मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

जीने की असली उम्र तो साठ है ,
बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,
ना बचपन का होमवर्क ,
ना जवानी का संघर्ष ,
ना 40 की परेशानियां,
बेफिक्रे दिन और सुहानी रात है,
जीने की असली उम्र तो साठ है ,
बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,
ना स्कूल की जल्दी,
ना ऑफिस की किट किट,
ना बस की लाइन ,
ना ट्रैफिक का झमेला,
सुबह रामदेव का योगा,
दिनभर खुली धूप ,
दोस्तों यारों के साथ राजनीति पर चर्चा आम है,
जीने की असली उम्र तो साठ है ,
बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,
ना मम्मी डैडी की डांट ,
ना ऑफिस में बॉस की फटकार,
पोते-पोतियों के खेल,
बेटे-बहू का प्यार,
इज्जत से झुकते सर ,
सब के लिए आशीर्वाद और दुआओं की भरमार है,
जीने की असली उम्र तो साठ है ,
बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,
ना स्कूल का डिसिप्लिन,
ना ऑफिस में बोलने की कोई पाबंदी,
ना घर पर बुजुर्गों की रोक टोक,
खुली हवा में हंसी के ठहाके,
बेफिक्र बातें,
किसी को कुछ भी कहने के लिए आज़ाद हैं,
जीने की असली उम्र तो साठ है ,
बुढ़ापे में ही असली ठाठ है।

सोमवार, 4 दिसंबर 2017

ग्वालियर = एक सक्षिप्त परिचय
********************
गालव ऋषि की तपोभूमि
गाने वालो की रियाज स्थली ।ग्वाले ग्वाले से
यह ग्वालियर हो गया

ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है।। भौगोलिक दृष्टि से ग्वालियर म.प्र. राज्य के उत्तर में स्थित है। यह शहर और इसका क़िला उत्तर भारत के प्राचीन शहरोँ के केन्द्र रहे हैँ।
यह शहर गुर्जर प्रतिहार, तोमर तथा कछवाहा राजवंशो की राजधानी रहा है।
इस शहर में ज्ञात १६४ राजाओं .....इनके द्वारा छोड़े गये प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे। सहेज कर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिन्ह इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं।

ग्वालियर शहर के इस नाम के पीछे भी एक इतिहास छिपा है; आठवीं शताब्दि में एक राजा हुए सूरजपाल सेन, एक बार वे एक अज्ञात बीमारी से ग्रस्त हो मृत्युशैया पर थे, तब ग्वालिपा नामक संत ने उन्हें ठीक कर जीवनदान दिया। बस उन्हीं के सम्मान में इस शहर की नींव पडी और इसे नाम दिया ग्वालियर।

इसके बाद आने वाली शताब्दियों में यह शहर बडे-बडे राजवंशो की राजस्थली बना। हर सदी के साथ इस शहर के इतिहास को नये आयाम मिले। महान योध्दाओं, राजाओं, कवियों, संगीतकारों तथा सन्तों ने इस राजधानी को देशव्यापी पहचान देने में अपना-अपना योगदान दिया। आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है।

संक्षेप में ग्वालियर का इतिहास :-

ग्वालियर प्राचीन नगर: यह नगर ग्वालियर दुर्ग के उत्तर पश्चिम पूर्व दिशा में बना हुआ हे जिसमें प्राचीन इमारतें घर, हवेलियां, बाजार, आदि आज भी प्राचीन नामों से ही जाने जाते हे। जैसे, लधेड़ी, घासमंडी, राजा की मण्डी, कोटेवाला मोहल्ला, हलवाहट खाना, बाबा कपूर की गली, काशी नरेश की गली, आदि आदि।

लश्कर नगर : यह नगर व्यवस्थित रूप से जयाजी राव सिन्धिया के काल में बनाया गया आधुनिक नगर हे जो ग्वालियर दुर्ग के दक्षिण पश्चिम दिशा में हे।
इस नगर में  विभिन्न व्यवसाय के हिसाब से अलग अलग बाजार और मुहल्ले हैं जेसे: लोहिया बाजार, दाल बजारा, जयेंद्र गंज, सराफा बाजार, नया बाजार, नई सड़क, दौलत गंज, जीवाजी गंज, जनक गंज, सब्जी मंडी, सेंट्रल जेल, कोतवाली जयाजी चोक, पिछाड़ी ड्योढ़ी, मामा का बाजार, कम्पू, पड़ाव, आदि आदि।

मोरार नगर :-  पहले यह सैन्य क्षेत्र हुआ करता था, जिसे मिलिट्री ऑफिसर्स रेजिडेंशियल एरिया रिजर्व्ड (morar) कहा जाता था और संक्षेप में मोरार।

थाटीपुर नगर : रियासत काल में यहाँ सेना के सरकारी आवास थे, जिस का नाम थर्टी फोर लांसर था। आज़ादी के बाद यह आवास मध्य प्रदेश शासन के अधीन आ गए, जिसे थर्टी फोर की जगह थाटीपुर कहा गया।

सहस्त्रबाहु या सासबहू मन्दिर : ग्वालियर दुर्ग पर इस मंदिर के बारे में मान्यता है की यह सहत्रबाहु अर्थात हजार भुजाओं वाले भगवन विष्णु को समर्पित है। बाद में धीरे-धीरे सास और बहू का मंदिर कहा जाने लगा।

गोरखी महल : पुराने रजिस्ट्रार ऑफिस से गजराराजा स्कूल तक सिंधियावंश ने रहने का स्थान बनाया था। यही उनकी कुल देवी गोराक्षी का मंदिर बनाया गया। बाद में यह गोरखी बन गई।

पिछड़ी ड्योढ़ी : स्टेट टाइम में महल बनने से पहले सफ़ेद झंडा गाड़ा जाता था। जब महल बना तो इसके पीछे की ड्योढ़ी और बाद में पिछड़ी ड्योढ़ी कहलाने लगी।

तेली का मंदिर : ८ वी शताब्दी में प्रतिहार राजा के सेनापति तेल्प ने दुर्ग पर दक्षिण और उत्तर भारतीय शैली का मंदिर बनवाया था, जिसे तेल्प का मंदिर कहा जाता था। आज इसे तेली का मंदिर कहा जाता है।

पान पत्ते की गोठ : पूना की मराठा सेना जब पानीपत युद्ध से पराजित होकर लौट रही थी, तब उसने यहीं अपना डेरा डाल लिया। पहले इसे पानीपत की गोठ कहा जाता था। बाद में यह पान पत्ते की गोठ हो गई।

डफरिन सराय : १८ वी शतदि में यहां कचहरी लगाई जाती थी। यहां ग्वालियर अंचल के करीब ८०० लोगों को लार्ड डफरिन ने फांसी की सजा सुनाई थी, इसी के चलते इसे डफरिन सराय कहा जाता है।
इस इमारत का नाम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लार्ड डेफिरेन् के सम्मान रखा गया।

सूरजपाल सिंह सेन का क़िला (ग्वालियर दुर्ग)

सेन्ड स्टोन से बना यह किला शहर की हर दिशा से दिखाई देता और शहर का प्रमुखतम स्मारक है। एक उँचे पठार पर बने इस किले तक पहुंचने के लिये एक बेहद ऊंची चढाई वाली पतली सडक़ से होकर जाना होता है। इस सडक़ के आसपास की बडी-बडी चट्टानों पर जैन तीर्थकंरों की विशाल मूर्तियां बेहद खूबसूरती से और बारीकी से गढी ग़ई हैं। किले की तीन सौ फीट उंचाई इस किले के अविजित होने की गवाह है। इस किले के भीतरी हिस्सों में मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूने स्थित हैं।
पन्द्रहवीं शताब्दि में निर्मित गूजरी महल उनमें से एक है जो राजा मानसिंह और गूजरी रानी मृगनयनी के गहन प्रेम का प्रतीक है। इस महल के बाहरी भाग को उसके मूल स्वरूप में राज्य के पुरातत्व विभाग ने सप्रयास सुरक्षित रखा है किन्तु आन्तरिक हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है जहां दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां रखी गई हैं जो कार्बन डेटिंग के अनुसार प्रथम शती ए डी की हैं। ये दुर्लभ मूर्तियां ग्वालियर के आसपास के इलाकों से प्राप्त हुई हैं। ग्वालियर का किला से आगरा 120कि.मी. दूर स्थित है।

मानमंदिर महल  ग्वालियर दुर्ग

इसे 1486 से 1517 के बीच ग्वालियर के प्रतापी राजा मानसिंह तोमर द्वारा बनवाया गया था। सुन्दर रंगीन टाइलों से सजे इस किले की समय ने भव्यता छीनी जरूर है किन्तु इसके कुछ आन्तरिक व बाह्य हिस्सों में इन नीली, पीली, हरी, सफेद टाइल्स द्वारा बनाई उत्कृष्ट कलाकृतियों के अवशेष अब भी इस किले के भव्य अतीत का पता देते हैं।राजा मानसिंह तोमर पराक्रमी योद्धा होने के साथ ही ललित कला प्रेमी व स्थापत्य शैली के जानकार भी थे। उनके शासनकाल को ग्वालियर का स्वर्ण युग कहा जाता है।इस किले के विशाल कक्षों में अतीत आज भी स्पंदित है। यहां जालीदार दीवारों से बना संगीत कक्ष है, जिनके पीछे बने जनाना कक्षों में राज परिवार की स्त्रियां संगीत सभाओं का आनंद लेतीं और संगीत सीखतीं थीं। इस महल के तहखानों में एक कैदखाना है, इतिहास कहता है कि औरंगज़ेब ने यहां अपने भाई मुराद को कैद रखवाया था और बाद में उसे समाप्त करवा दिया। जौहर कुण्ड भी यहां स्थित है।

इसके अतिरिक्त किले में इस शहर के प्रथम शासक के नाम से एक कुण्ड है ' सूरज कुण्ड। नवीं शती में गुर्जर प्रतिहार वंश द्वारा निर्मित एक अद्वितीय स्थापत्यकला का नमूना विष्णु जी का तेली का मन्दिर है, जो कि 100 फीट की ऊंचाई का है। यह द्रविड स्थापत्य और आर्य स्थापत्य का बेजोड़ संगम है। भगवान विष्णु का ही एक और मन्दिर है 'सहस्रबाहु का मन्दिर' जिसे अब सास-बहू का मंदिर नाम से भी जानते हैं। इसके अलावा यहां एक सुन्दर गुरूद्वारा है जो सिखों के छठे गुरू गुरू हरगोबिन्द जी की स्मृति में निर्मित हुआ, जिन्हें जहांगीर ने दो वर्षों तक यहां बन्दी बना कर रखा था।

जयविलास महल, ग्वालियर

यह सिन्धिया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल ही नहीं एक भव्य संग्रहालय भी है। इस महल के चार सौ कमरों में से ....35 कमरों को संग्रहालय बना दिया गया है। इस महल का ज्यादातर हिस्सा इटेलियन स्थापत्य से प्रभावित है। इस महल का प्रसिध्द दरबार हॉल इस महल के भव्य अतीत का गवाह है, यहां लगा हुए दो फानूसों का भार दो-दो टन का है, कहते हैं इन्हें तब टांगा गया जब दस हाथियों को छत पर चढा कर छत की मजबूती मापी गई। इस संग्रहालय की एक और प्रसिद्ध चीज है, चांदी की रेल जिसकी पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हैं और विशिष्ट दावतों में यह रेल पेय परोसती चलती है। और इटली, फ्रान्स, चीन तथा अन्य कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां यहाँ हैं।

तानसेन स्मारक समाधि ग्वालियर

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के स्तंभ महान संगीतकार तानसेन जो कि अकबर के नवरत्नों में से एक थे, उनका स्मारक यहां स्थित है, यह मुगल स्थापत्य का एक नमूना है। तानसेन की स्मृति में ग्वालियर में हर वर्ष नवम्बर में तानसेन समारोह आयोजित होता है।

विवस्वान सूर्य मन्दिर, ग्वालियर

यह बिरला द्वारा निर्मित करवाया मन्दिर है जिसकी प्रेरणा कोर्णाक के सूर्यमन्दिर से ली गई है।

गोपाचल पर्वत एक पत्थर की बावड़ी, जैन प्रतिमाएं

गोपाचल पर्वत ग्वालियर के किले के अंचल में, प्राचीन कलात्मक जैन मूर्ति समूह का अद्वितीय स्थान है। यहाँ पर हजारों विशाल दि. जैन मूर्तियाँ सं. 1398 से सं. 1536 के मध्य पर्वत को तराशकर बनाई गई हैं। इन विशाल मूर्तियों का निर्माण तोमरवंशी राजा वीरमदेव, डूँगरसिंह व कीर्तिसिंह के काल में हुआ। अपभ्रंश के महाकवि पं॰ रइधू के सान्निध्य में इनकी प्रतिष्ठा हुई।

रानी लक्ष्मीबाई स्मारक, ग्वालियर

रानी लक्ष्मीबाई स्मारक शहर के पड़ाव क्षैत्र में है। यहां झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की सेना ने अंग्रेजों से लड़ते हुए पड़ाव डाला और यहां के तत्कालीन शासक से सहायता मांगी किन्तु सदैव से मुगलों और अंग्रेजों के प्रभुत्व में रहे यहां के शासक उनकी मदद न कर सके और वे यहां वीरगति को प्राप्त हुईं। यहां के राजवंश का गौरव तब संदेहास्पद हो गया। इसी प्रकार यहां शिवपुरी में तात्या टोपे का भी स्मारक है।

खेल

लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय, भारत के बडे शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालयों में से एक है।

ग्वालियर में कृत्रिम टर्फ़ का रेलवे हॉकी स्टेडियम भी है।

रूप सिंह स्टेडियम ४५,००० की क्षमता वाला अन्तर्रष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है, जहाँ १० एक दिवसिय अन्तर्रष्ट्रीय मैचों क आयोजन हो चुका है। यह स्टेडियम दुधिया रोशनी से सुसज्जित है, तथा १९९६ के क्रिकेट विश्व कप का भारत - वेस्ट इन्डीज़ मेच का आयोजन कर चुका है। इस मैदान पर सचिन तेंडुलकर, एक दिवसिय मेच में दोहरा शतक जमाने वाले विश्व के पहले खिलाडी बने थे।

संगीत

ग्वालियर संगीत के शहर के रूप में भी जाना जाता है।राजा मानसिंह तोमर (१४८६ ई.)के शासनकाल में संगीत महाविद्यालय की नींव रखी गई।

बैजू बावरा, हरिदास ,तानसेन आदि ने यहीं संगीत साधना की। संगीत सम्राट तानसेन ग्वालियर के बेहट में पैदा हुए। म. प्र. सरकार द्वारा तानसेन समारोह ग्वालियर में हर साल आयोजित किया जाता है।

सरोद उस्ताद अमजद अली खान भी ग्वालियर के शाही शहर से है। उनके दादा गुलाम अली खान बंगश ग्वालियर के दरबार में संगीतकार बने। बैजनाथ प्रसाद (बैजू बावरा) ध्रुपद के गायक थे जिन्होने ग्वालियर को अपनी कर्म भूमि बनाई।

ग्वालियर घराना, खयाल घरानो मे एक ऐसा सब से पुराना घराना है, जिससे कई महान संगीतज्ञ निकले है। ग्वालियर घराने का उदय महान मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल (1542-1605) के साथ शुरू हुआ। मियां तानसेन जैसे इस कला के संरक्षक ग्वालियर से आये।

ग्वालियर से प्रसिद्ध हस्तियाँ

अटल बिहारी वाजपेयी - भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री
गणेश शंकर विद्यार्थी - प्रसिद्ध हिन्दी लेखक
रूप सिंह - भारतीय हॉकी खिलाड़ी
माधवराव सिंधिया - भारतीय राजनेता व केन्द्रीय मंत्री
अमजद अली ख़ान - सरोद वादक व संगीतज्ञ
तानसेन - अक़बर के दरबार में संगीतज्ञ
ज्योतिरादित्य सिंधिया - वाणिज्य और उद्योग मंत्री
शिवेन्द्र सिंह - भारतीय हॉकी खिलाड़ी
निदा फ़ाज़ली - प्रसिद्ध उर्दू लेखक व शायर
नरेन्द्र सिंह तोमर - सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री
विवेक अग्निहोत्री - फिल्म निर्माता
जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद - हिंदी के कवि एवं साहित्यकार
हरिहर निवास दिवेद्दी - हिंदी, संस्कृत के विद्वान् एवं इतिहासकार
प्रदीप कुशवाहा - प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर इंजिनियर
आदि आदि......!

ग्वालियर ने भारत ही नहीं विदेशों में भी अपनी योग्यता का परिचम फहराने वाले कई व्यक्तियों को जन्म दिया है ।
सन् 19O5  में
पशु मेले के रुप में शुरु हुआ ग्वालियर मैला  वर्तमान में ग्वालियर व्यापार मैला बन गया है इसे देखने 2OO K M  परिधि तक के लोग आते है ।

ग्वालियर के हो तो इसे अन्य ग्वालियर वालो को भेजो ।
       शृणोति -श्रान्तम्
            🌹🌹🌹
            🙏🙏🙏

⌛🕹⌛🕹⌛🕹⌛🕹⌛🕹
*अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने !*
*ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये.!*
*खासकर अपने बच्चो को बताए क्यों कि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...*
             *⌛दो पक्ष⌛*
१-कृष्ण पक्ष ,    २-शुक्ल पक्ष❗
        *🙏तीन ऋण🙏*
१-देवऋण , २-पितृऋण, ३-ऋषिऋण❗
         *🏉चार युग🏉*
१-सतयुग ,  २-त्रेतायुग ,
३-द्वापरयुग ,  ४-कलियुग❗
        *🌷चार धाम🌷*
१-द्वारिका , २-बद्रीनाथ ,
३-जगन्नाथपुरी , ४-रामेश्वरमधाम❗
       *🕹चार पीठ🕹*
१-शारदा पीठ *(द्वारिका)*
२-ज्योतिष पीठ *(जोशीमठ बद्रिधाम*)
३-गोवर्धन पीठ *(जगन्नाथपुरी),*
४-शृंगेरीपीठ❗
          *⌛चार वेद⌛*
१-ऋग्वेद , २-अथर्वेद ,३-यजुर्वेद , ४-सामवेद!
            *🍁चार आश्रम🍁*
१-ब्रह्मचर्य , २-गृहस्थ , ३-वानप्रस्थ , ४-संन्यास❗
           *🏉चार अंतःकरण🏉*
१-मन , २-बुद्धि , ३-चित्त , ४-अहंकार❗
          *🍁पञ्च गव्य🍁*
१-गाय का घी , २-दूध ,
दही ,३-गोमूत्र , ४-गोबर❗
         *🙏पञ्च देव🙏*
१-गणेश , २-विष्णु , ३-शिव , ४-देवी ,५-सूर्य!
          *🕹पंच तत्त्व🕹*
१-पृथ्वी ,२-जल , ३-अग्नि , ४-वायु , ५-आकाश❗
        *⌛छह दर्शन⌛*
१-वैशेषिक , २-न्याय ,३-ऋषांख्य , ४-योग , ५-पूर्व मिसांसा , ६-दक्षिण मिसांसा❗
       *🌷  सप्त ऋषि🌷*
१-विश्वामित्र ,२-जमदाग्नि ,३-भरद्वाज , ४-गौतम , ५-अत्री , ६-वशिष्ठ और कश्यप❗
          *🍁सप्त पुरी🍁*
१-अयोध्यापुरी ,२-मथुरापुरी ,
३-मायापुरी *(हरिद्वार)*, ४-काशीपुरी ,
५-कांचीपुरी *(शिन कांची-विष्णु कांची),*
६-अवंतिकापुरी और
७-द्वारिकापुरी❗
          *⌛आठ योग⌛*
१-यम , २-नियम , ३-आसन ,४-प्राणायाम , ५-प्रत्याहार , ६-धारणा , ७-ध्यान, एवं ८-समािध❗
          *🙏आठ लक्ष्मी🙏*
१-आग्घ , २-विद्या , ३-सौभाग्य ,४-अमृत , ५-काम , ६-सत्य , ७-भोग ,एवं ८-योग लक्ष्मी❗
             *🌹नव दुर्गा 🌹*
१-शैल पुत्री , २-ब्रह्मचारिणी ,३-चंद्रघंटा , ४-कुष्मांडा , ५-स्कंदमाता , ६-कात्यायिनी ,७-कालरात्रि, ८-महागौरी एवं ९-सिद्धिदात्री❗
       *🍫 दस दिशाएं🍫*
१,पूर्व , २-पश्चिम , ३-उत्तर , ४-दक्षिण ,५-ईशान , ६-नैऋत्य , ७-वायव्य , ८-अग्नि
९-आकाश, एवं १०-पाताल,❗
               *🏉मुख्य ११ अवतार🏉*
१-मत्स्य , २-कश्यप , ३-वराह , ४-नरसिंह , ५-वामन , ६-परशुराम ,७-श्री राम , ८-कृष्ण , -बलराम , १०-बुद्ध , एवं ११-कल्कि❗
         *🍁बारह मास🍁*
१-चैत्र , २-वैशाख , ३-ज्येष्ठ ,४-अषाढ , ५-श्रावण , ६-भाद्रपद , ७-अश्विन , ८-कार्तिक ,९-मार्गशीर्ष , १०-पौष , ११-माघ , १२-फागुन❗
       *⌛ बारह राशी ⌛*
१-मेष , २-वृषभ , ३-मिथुन , ४-कर्क , ५-सिंह , ६-कन्या , ७-तुला , ८-वृश्चिक , ८-धनु , १०-मकर , ११-कुंभ , १२-कन्या❗
           *🙏बारह ज्योतिर्लिंग🙏*
१-सोमनाथ ,२-मल्लिकार्जुन ,३-महाकाल , ४-ओमकारेश्वर , ५-बैजनाथ , ६-रामेश्वरम ,७-विश्वनाथ , ८-त्र्यंबकेश्वर , ९-केदारनाथ , १०-घुष्नेश्वर, ११-भीमाशंकर ,१२-नागेश्वर!
       *💥पंद्रह तिथियाँ💥*
१-प्रतिपदा ,२-द्वितीय ,३-तृतीय ,४-चतुर्थी , ५-पंचमी , ६-षष्ठी , ७-सप्तमी , ८-अष्टमी , ९-नवमी ,१०-दशमी , ११-एकादशी , १२-द्वादशी , १३-त्रयोदशी , १४-चतुर्दशी , १५-पूर्णिमा, अमावास्या❗
           *🕹स्मृतियां🕹*
१-मनु , २-विष्णु , ३-अत्री , ४-हारीत ,५-याज्ञवल्क्य ,७-उशना , ७-अंगीरा , ८-यम , ९-आपस्तम्ब , १०-सर्वत ,१०-कात्यायन , १२-ब्रहस्पति , १३-पराशर , १४-व्यास , १५-शांख्य , १६-लिखित , १७-दक्ष ,
१८-शातातप , १९-वशिष्ठ❗

Diebetes /  शुगर
एक नंगा सच.. जानिये.!
लूट मचाने के लिए दवा कंपनियाँ किस हद तक गिर सकती आप अनुमान भी नहीं लगा सकते ,
अभी कुछ समय पूर्व स्पेन मे शुगर की दवा बेचने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियो की एक बैठक हुई है ,दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए एक सुझाव दिया गया है कि अगर शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 120 से कम कर 100 कर दिया जाये तो शुगर की दवाओं की बिक्री 40 % तक बढ़ जाएगी ।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ बहुत समय पूर्व शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 160 था दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए ही इसे कम करते-करते 120 तक लाया गया है जिसे भविष्य मे 100 तक करने की संभावना है ।

ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लूटने के लिए किस स्तर तक गिर सकती है ये इसका जीता जागता उदाहरण है आज मैडीकल साईंस के अनुसार शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 80 से 120 है

अब मान लो दवा कंपनियो के साथ मिलीभगत कर इन्होने कुछ फर्जी शोध की आड़ मे नया मानक 70 से 100 तय कर दिया, अब अच्छा भला व्यक्ति शुगर टेस्ट करवाये और शुगर का सतर 100 से 110 के बीच आए ,तो डाक्टर आपको शुगर का रोगी घोषित कर देगा,

भय के कारण आप शुगर की एलोपेथी दवाएं लेना शुरू कर देंगे, अब शुगर तो पहले से सामान्य थी आपने जो भय के कारण शुगर कम करने की दवा ली तो उल्टा शरीर मे और कमजोरी महसूस होने लगेगी ,
और आप फिर इस अंधी खाई मे गिरते चले जाएंगे ।

और मान लो आप जैसे 2 -3 करोड़ लोग भी इस
साजिश का शिकार हुए तो ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लाखो करोड़ का व्यापार कर डालेंगी

एक नंगा सच.. जानिये.! क्या आप जानते हैं.............  

1997 से पहले fasting diebetes की limit 140 थी।
फिर fasting sugar की limit 126 कर दी गयी।
इससे world population में 14% diebetec लोग अचानक बढ़ गए।
उसके बाद 2003 में WHO ने फिर से fasting sugar की limit कम करके 100 कर दी।
याने फिर से total population के करीबन 70% लोग diebetec माने जाने लगे।

दरअसल diebetes ratio या limit तय करने वाली कुछ pharmaceutical कंपनियां थीं जो WHO को घूस खिलाकर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये ये सब करवा रही थीं।

और अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए ये किया जाता रहा।

लेकिन क्या आपको पता है कि
हकीकत में डायबिटीज को कैसे जांचना चाहिए ?

कैसे पता चलेगा कि आप डायबिटीज के शिकार हैं भी या नहीं ?

पुराने जमाने के इलाज़ के हिसाब से
डायबिटीज चेक करने का एक सरल उपाय है ---
आप की उम्र और + 100
जी हाँ
यही एक सचाई है

अगर आपकी उम्र 65 है तो आपका सुगर लेवल खाने के बाद 165 होना चाहिये।
अगर आपकी age 75 है तो आपका नॉर्मल सुगर लेवेल खाने के बाद 175 होना चाहिए।
अगर ऐसा है तो इसका मतलब आपको डायबिटीज नहीं है।

ये होता है age के हिसाब से यानी..
So now you can count your diebetec limit as 100 + your age.

अगर आपकी उम्र 80 है तो फिर आपकी डायबिटिक लिमिट खाने के बाद 180 काउंट की जानी चाहिये।
मतलब अगर आपका सुगर लेवल इस उम्र में भी 180 है तो आप डायबिटिक नहीं हैं।
आपकी गिनती नॉर्मल इंसान जैसी होनी चाहिये।

लेकिन W.H.O. को अपने कॉन्फिडेंस में लेकर बहुत सारी फार्मा कम्पनियों ने अपने व्यापार के लिये सुगर लेवेल में उथल पुथल कर दी और आम जनता उस चक्रव्यूह में फंस गई।

No Doctor can guide u.
No one will advice u.
But its a bitter truth.!

उसके साथ साथ एक सच ये भी है कि--

अगर आपकी पाचन शक्ति उत्तम है तो आपको कोई टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है
या फिर आप अपने जीवन में कोई टेंशन नहीं लेते।
आप अच्छा खाना खाते हो
आप जंक फूड, ज्यादा मसालेदार या तैलीय भोजन या फ़्राईड फूड नहीं खाते
आप रेगुलर योगा या कसरत करते हैं
और आपका वजन आपकी हाइट के हिसाब के बराबर है
तो आपको डायबिटीज हो ही नहीं सकती।
यही सत्य है, बस टेंशन न लें अच्छा खाना खाएं, एक्सरसाइज करते रहें।

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

*_Pyaari si WhatsApp Poem (in Hindi)_* जोड़ दिये सब टूटे रिश्ते, बरसों पहले छूटे रिश्ते ! फ़ैमिली को परिवार कर दिया, *“WhatsApp”* ने कमाल कर दिया !! स्कूल के सब यार मिल गए, यादों के अंबार मिल गए! खुशियों भरा संसार कर दिया, *“WhatsApp”* ने कमाल कर दिया !! सेंस ऑफ़ ह्यूमर तेज हो गया, भोंदू भी अंग्रेज हो गया ! कॉपी पेस्ट का जाल कर दिया, *“WhatsApp”* ने कमाल कर दिया ! बीवी फोन में बिजी हो गई, पति भी इसमें कहीं खो गया, लड़ना-झगड़ना बंद कर दिया, *“WhatsApp”* ने कमाल कर दिया...

👉 *आंवला* किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा। 👉 *मेथी* मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी और जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा। 👉 *नेत्र स्नान* मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये। ऐसा दिन में तीन बार करे। जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये। मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले। मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे। भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व कानो तक मले। इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं। 👉 *शौच* ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे। इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा। 👉 *छाछ* तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं। 👉 *सरसों तेल* सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे। 👉 *निद्रा* दिन में जब भी विश्राम करे तो दाहिनी करवट ले कर सोएं। और रात में बायीं करवट ले कर सोये। दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर अर्थात सूर्य स्वर चलेगा। 👉 *ताम्बे का पानी* रात को ताम्बे के बर्तन में रखा पानी सुबह उठते बिना कुल्ला किये ही पिए, निरंतर ऐसा करने से आप कई रोगो से बचे रहेंगे। ताम्बे के बर्तन में रखा जल गंगा जल से भी अधिक शक्तिशाली माना गया हैं। 👉 *सौंठ* सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात को सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये। 👉 *टाइफाइड* चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से टाइफाईड नहीं होता। 👉 *ध्यान* हर रोज़ कम से कम 15 से 20 मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे। 👉 *नाक* रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये। हर तीसरे दिन दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ ले। प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी। 👉 *मालिश* स्नान करने से आधा घंटा पहले सर के ऊपरी हिस्से में सरसों के तेल से मालिश करे। इस से सर हल्का रहेगा, मस्तिष्क ताज़ा रहेगा। रात को सोने से पहले पैर के तलवो, नाभि, कान के पीछे और गर्दन पर सरसों के तेल की मालिश कर के सोएं। निद्रा अच्छी आएगी, मानसिक तनाव दूर होगा। त्वचा मुलायम रहेगी। सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में मालिश ज़रूर करे। 👉 *योग और प्राणायाम* नित्य कम से कम आधा घंटा योग और प्राणायाम का अभ्यास ज़रूर करे। 👉 *हरड़* हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे। 👉 *सुबह की सैर* सुबह सूर्य निकलने से पहले पार्क या हरियाली वाली जगह पर सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। इस समय हवा में प्राणवायु का बहुत संचार रहता हैं। जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर रोग मुक्त रहता हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं। 👉 घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी, दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी। 👉तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय, मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय ।। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏