मंगलवार, 27 सितंबर 2016

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सिंधु नदी जल समझौता क्या है आप भी पढ़िए !
9 सितंबर 1960 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने इस पर दस्तखत किए थे। इसके तहत भारत, पाकिस्तान को अपने इलाके से होते हुए जाने वाली सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का 80 फीसदी पानी देता है। भारत को इन नदियों के सिर्फ 20 फीसदी पानी के इस्तेमाल की इजाज़त है। हर कोई हैरत जताता है कि दुनिया का कोई देश अपने नागरिकों को प्यासा रखकर पड़ोसी देश को ज्यादा पानी कैसे दे सकता है। आम तौर पर ऐसे समझौतों में 50-50 का बंटवारा होता है। लेकिन भारत के तब के ‘दूरदर्शी (??) प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को देने के समझौते पर खुद कराची जाकर दस्तखत कर दिया।
इस समझौते की वजह से पूरे जम्मू कश्मीर में पनबिजली परियोजनाएं लगाना मुश्किल है। जो परियोजनाएं अभी चल रही हैं उनमें भी पानी को रोककर डैम नहीं बनाया जा सका है। अगर इन नदियों के पानी का इस्तेमाल भारत भी कर सकता तो इससे पूरे जम्मू कश्मीर और आसपास के राज्यों में खुशहाली आती। अगर इन पर बिजलीघर बनते तो हजारों मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकती थी, जिससे पूरे देश का फायदा होता। नेहरू ने पानी के बंटवारे में जम्मू कश्मीर के लोगों का कुदरती हक़ छीनकर वहां पर आतंकवाद के बीज इतने साल पहले ही बो दिए थे।
2005 में इंटरनेशल वाटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट और टाटा वाटर पॉलिसी प्रोग्राम भी इस ट्रीटी को खत्म करने की डिमांड कर चुके हैं। इनकी रिपोर्ट के मुताबिक, इस ट्रीटी की वजह से जम्मू-कश्मीर को हर साल 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। इस ट्रिटी के रद्द हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर की घाटी में 20000 मेगावाट से भी ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है। पाकिस्तान भारत के बगलियार और किशनगंगा पावर प्रोजेक्ट्स का इंटरनेशनल लेवल पर विरोध करता है। ये प्रोजेक्ट्स बन जाने के बाद उसे मिलने वाले पानी में कमी आ जाएगी और वहां परेशानी बढ़ जाएगी।
तो ऐसे थे देश के पहले प्रधान मंत्री जिन्होंने सिर्फ और सिर्फ भारत को नुकसान पहुचाया है बांधो के जरिये रोककर नहरों के द्वारा देश के अन्य राज्यों तक पहुंचना चाहिए जिससे देश की अनेकों समस्याओं से निपटा जा सकता है ! नेहरू की नीतियों की वजह से ही आज भारत की ज्यादातर समस्याएं हैं। इसके बावजूद पप्पू हर बात के लिए मोदी पर दोष मढ़ता है।
सुप्रभात मित्रो जय जय श्री राम !

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