बुधवार, 26 जुलाई 2017

ननंद ने अपनी भाभी को फोन किया और पूछा
भाभी मैंने राखी भेजी थी मिल गयी आप लोगों को ???
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भाभी : नहीं दीदी, अभी नहीं
            मिली
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ननद : भाभी कल तक देख लो
          अगर नहीं मिली तो मैं खुद आऊंगी राखी लेकर
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अगले दिन भाभी ने खुद फोन किया : दीदी आपकी राखी नहीं मिली
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ननद ने फोन रखा और चल दी और राखियां,
मिठाई लेकर,
मायके पहुंची,
राखी बांधी, सबसे मिली, खूब बातें, हंसी मजाक हुए, चलने लगी तो भाभी ने खूब सामान रख दिया।
*माँ से विदा ली तो माँ ने शिकायत के लहजे में कहा-मेरा ख्याल नहीं करती, जल्दी आया कर*
,         *ननद बोली- उधर भी तो माँ हैं और इधर भाभी तो हैं आपके पास*
         आँखों में आंसू लेकर *माँ*  बोली- सचमुच बहुत ख्याल करती है मेरा,
तुझे बुलाने के लिए तुझसे झूठ भी बोला,
तेरी राखी तो पहले ही आ गयी थी,
लेकिन सबसे कह दिया कि कोई बताना मत, राखी बांधने के बहाने इस बार दीदी को बुलाना है,
बहुत दिन से नहीं आयीं,

*ननंद रास्ते भर मायके की मीठी यादों में सिमटी हुई सोच रही थी*
         " *ऐसी भाभी सब बहनों को मिले* !!!"
  #कुछ_रिस्ते_ऐसे_भी_होते_है

गुरुवार, 6 जुलाई 2017

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*��साधना हेतु अमृतकाल : चतुर्मास��*

*��(चतुर्मास : 4 जुलाई से 1 नवम्बर)��*

*चतुर्मास में भगवान नारायण जल में शयन करते हैं, अतः जल में भगवान विष्णु के तेज का अंश व्याप्त रहता है । इसलिए प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर भगवद्-चिंतन, नाम-सुमिरन करते हुए स्नान करना समस्त तीर्थों से भी अधिक फल देता है ।*

*जो मनुष्य जल में तिल और आँवले का मिश्रण अथवा बिल्वपत्र डालकर उस जल से स्नान करता है, उसमें दोष का लेशमात्र भी नहीं रह जाता ।*

*चतुर्मासस में बाल्टी में कुछ बिल्वपत्र डालकर ‘ॐ नमः शिवाय’ का 4-5 बार जप करके स्नान करें तो विशेष लाभ होता है । इससे वायुप्रकोप दूर होता है और स्वास्थ्य की रक्षा होती है लेकिन भगवत्प्रीत्यर्थ स्नान करें, यह भक्ति हो जायेगी ।*

*जो सम्पूर्ण चतुर्मास नमक का त्याग करता है, उसके सभी पूर्तकर्म (परोपकार एवं धर्म संबंधी कार्य) सफल होते हैं ।*

*इस मास में श्रद्धापूर्वक प्रिय वस्तु का त्याग करनेवाला अनंत फल का भागी होता है । प्रिय वस्तु का त्याग करने से आसक्ति से मुक्त होकर अनंत फल - अनंत सुख का भागी होता है । अनंत तो है परमात्मा !*

*सद्धर्म, सत्कथा, सत्पुरुषों की सेवा, संतों के दर्शन, भगवान विष्णु का पूजन आदि सत्कर्मों में संलग्न रहना और दान में अनुराग होना - ये सब बातें चतुर्मास में अत्यंत कल्याणकारी बतायी गयी हैं ।*

*चतुर्मास में दूध, दही, घी एवं मट्ठे का दान महाफल देनेवाला होता है । जो चतुर्मास में भगवान की प्रीति के लिए विद्या, गौ व भूमि का दान करता है, वह अपने पूर्वजों का उद्धार कर देता है ।*

*चतुर्मास के चार महीनों में भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, दान-पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं ।*

*चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेषरूप से त्याज्य है । इन दिनों धातु के पात्रों का त्याग करके पलाश के पत्ते में भोजन करना पुण्यप्रदायक है. चतुर्मास में काला व नीला वस्त्र पहनना हानिकारक है ।*

*चतुर्मास में परनिंदा का विशेषरूप से त्याग करें । परनिंदा को सुननेवाला भी पापी होता है । परनिंदा महान पाप है, महान भय है, महान दुःख है ।*

*��परनिंदा से बढ़कर दूसरा कोई पातक नहीं है ।��*

*यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो वह सब पातकों का नाश करके वैकुंठ धाम को पाता है ।*

*चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करनेवाला मनुष्य रोगी नहीं होता । एक समय भोजन करनेवाला ‘द्वादशाह यज्ञ’ का फल पा लेता है ।*

*जो मनुष्य चतुर्मास में केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं ।*

*चतुर्मास में भगवान विष्णु के सामने खड़े होकर ‘पुरुषसूक्त’ का पाठ करने से बुद्धिशक्ति बढ़ती है ।*

*चतुर्मास में शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते । ये चार मास तपस्या करने के हैं ।*

*जो मनुष्य जप, नियम, व्रत आदि के बिना ही चतुर्मास व्यतीत करता है वह मूर्ख है और जो इन साधनों द्वारा इस अमूल्य काल का लाभ उठाता है वह मानो अमृतकुंभ ही पा लेता है

।।गुरू पुर्णिमा ९ जूलाई।।

☀ *घर में दरिद्रता आने के कुछ कारण...*                   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*1:-* रसोई घर के पास में पेशाब करना ।
*2:-* टूटी हुई कंघी से कंघा करना ।
*3:-* टूटा हुआ सामान उपयोग करना।
*4:-* घर में कूड़ा-करकट रखना।
*5:-*रिश्तेदारों से बदसुलूकी करना।
*6:-* बांए पैर से पैंट पहनना।
*7:-* सांध्या वेला मे सोना।
*8:-* मेहमान आने पर नाखुश होना।
*9:-* आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
*10:-* दाँत से रोटी काट कर खाना।
*11:-* चालीस दिन से ज्यादा बाल रखना
*12:-*दाँत से नाखून काटना।
*13:-*औरतों का खड़े-खड़े बाल बाँधना।
*14:-*फटे हुए कपड़े पहनना ।
*15:-*सुबह सूरज निकलने के बाद तक सोते रहना।
*16:-*पेड़ के नीचे पेशााब करना।
*17:-*उल्टा सोना।
*18:-*शमशान भूमि में हँसना ।
*19:-*पीने का पानी रात में खुला रखना।
*20:-*रात में मांगने वाले को कुछ ना देना ।
*21:-*मन में बुरे ख्याल लाना।
*22:-*पवित्रता के बगैर धर्मग्रंथ पढना।
*23:-*शौच करते वक्त बातें करना।
*24:-*हाथ धोए बगैर भोजन करना ।
*25:-*अपनी औलाद को हरदम कोसना।
*26:-*दरवाजे पर बैठना।
*27:-*लहसुन प्याज के छीलके जलाना।
*28:-*साधू फकीर को अपमानित करना, उनसे रोटी या फिर और कोई चीज खरीदना।
*29:-*फूँक मार के दीपक बुझाना।
*30:-*ईश्वर को धन्यवाद किए बगैर भोजन करना।
*31:-*झूठी कसम खाना।
*32:-*जूते चप्पल उल्टा देख कर उसको सीधा नहीं करना।
*33:-*मकड़ी का जाला घर में रखना।
*34:-*रात को झाड़ू लगाना।
*35:-*अन्धेरे में भोजन करना ।
*36:-*घड़े में मुँह लगाकर पानी पीना।
*37:-*धर्मग्रंथ न पढ़ना।
*38:-*नदी, तालाब में शौच साफ करना और उसमें पेशाब करना ।
*39:-*गाय, बैल को लात मारना ।
*40:-*माता-पिता का अपमान करना ।
*41:-*किसी की गरीबी और लाचारी का मजाक उड़ाना ।
*42:-*दाँत गंदे रखना और रोज स्नान न करना ।
*43:-*बिना स्नान किये  भोजन करना ।
*44:-*पड़ोसियों का अपमान करना, गाली देना ।
*45:-*मध्यरात्रि में भोजन करना ।
*46:-*गंदे बिस्तर पर सोना ।
*47:-*वासना और क्रोध से भरे रहना ।
*48:-*दूसरे को अपने से हीन समझना ।

*"इच्छायें पूरी नही होती है*
*तो क्रोध बढ़ता है*
*और इच्छायें पूरी होती है*
*तो लोभ बढ़ता है*
*इसलिए जीवन की हर तरह की परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है

      *अच्छे लोगों की इज्जत*
        *कभी कम नहीं होती*

     *सोने के सौ टुकड़े करो,*
            *फिर भी कीमत*
            *कम नहीं होती*।

        *भूल होना "प्रकृत्ति" है,*
       *मान लेना "संस्कृति" है,*
*और उसे सुधार लेना "प्रगति" है.*
    

GST

मान लो आप कुंवारे है
आप देर रात घर पहुँचे
आपको
पहले बहन को
फिर भाई को
फिर माँ को
फिर पिताजी को जवाब देना होता है.
फिर आपकी शादी हो गयी
आपको अब सिर्फ अपनी बीवी को जवाब देना होगा.
बस यही है GST ����