गुरुवार, 31 अगस्त 2017

*दोस्त अब थकने लगे है* किसीका *पेट* निकल आया है, किसीके *बाल* पकने लगे है... सब पर भारी *ज़िम्मेदारी* है, सबको छोटी मोटी कोई *बीमारी* है। दिनभर जो *भागते दौड़ते* थे, वो अब चलते चलते भी *रुकने* लगे है। पर ये हकीकत है, सब दोस्त *थकने* लगे है...1 किसी को *लोन* की फ़िक्र है, कहीं *हेल्थ टेस्ट* का ज़िक्र है। फुर्सत की सब को कमी है, आँखों में अजीब सी नमीं है। कल जो प्यार के *ख़त लिखते* थे, आज *बीमे के फॉर्म* भरने में लगे है। पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है....2 देख कर *पुरानी तस्वीरें*, आज जी भर आता है। क्या अजीब सा है ये वक़्त भी, किस तरह ये गुज़र जाता है। कल का *जवान* दोस्त मेरा, आज *अधेड़* नज़र आता है... *ख़्वाब सजाते* थे जो कभी , आज *गुज़रे दिनों में खोने* लगे है। पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है...

👌👌👌👌👌👌 *"P" शब्द इन्सान को बहुत प्रिय है हम जिंदगी भर P के पीछे भागते रहते है ।* *जो मिलता है वह भी P से..* *और जो नहीं मिलता वह भी P से...* *P 👨 पति* *P 👩 पत्नि* *P 👦 पुत्र* *P 👧 पुत्री* *P 👪 परिवार* *P 💞प्रेम* *P 💵 पैसा* *P 💺 पद* *P 🚨 प्रतिष्ठा* *P 👏 प्रशंसा* *P 👨‍❤‍💋‍👨 प्यार* *P 🍻 पार्टी* *P 📋परीक्षा* *P 🏅पब्लिसिटी* *इन सब P के पीछे पड़ते-पड़ते हम P से पाप भी करते है ।* *फिर हमारा P से पतन होता है..* *और अंत मे बचता है सिर्फ P से पछतावा...* *पाप के P के पीछे पड़ने से अच्छा है हम P से परमात्मा के पीछे पड़े... और P से पुण्य कमाये..* *अतं मे P से प्रणाम..* 🙏🙏🙏


सोमवार, 28 अगस्त 2017

*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"*

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

*धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!*
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

*ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!*
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!

*प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!*
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

*ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!*
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

*भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!*
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

*प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!*
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

*प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!*                                                  तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

*भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!*
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

*घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!*
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

*अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!*
पानी पीजै बैठकर,  कभी न आवें पास!!

*रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!*
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

*सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!*
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

*देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!*
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

*दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!*
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

*सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!*
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

*भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!*
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

*अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!*
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

*पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!*
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

*अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!*
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

*फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!*
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

*चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!*
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

*रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!*
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

*भोजन करके खाइए, सौंफ,  गुड, अजवान!*
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

*लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!*
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

*चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !*
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

*सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!*
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

*सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!*
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

*हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!*
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

*अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!*
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

*तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!*
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग। ��

*Ⓜ कर्म भोग Ⓜ*

Ⓜ  पूर्व जन्मों के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नि, प्रेमी-प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बन्धी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते हैं, सब मिलते हैं । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है ।

Ⓜ    *सन्तान के रुप में कौन आता है ?*

Ⓜ  वेसे ही सन्तान के रुप में हमारा कोई पूर्वजन्म का 'सम्बन्धी' ही आकर जन्म लेता है । जिसे शास्त्रों में चार प्रकार से बताया गया है --

Ⓜ  *ऋणानुबन्ध  :* पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो, वह आपके घर में सन्तान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा, जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो जाये ।

Ⓜ  *शत्रु पुत्र  :* पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में सन्तान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता-पिता से मारपीट, झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रखकर खुश होगा ।

Ⓜ  *उदासीन पुत्र  :* इस प्रकार की सन्तान ना तो माता-पिता की सेवा करती है और ना ही कोई सुख देती है । बस, उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है । विवाह होने पर यह माता-पिता से अलग हो जाते हैं ।

Ⓜ  *सेवक पुत्र  :* पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिए आपका पुत्र या पुत्री बनकर आता है और आपकी सेवा करता है । जो  बोया है, वही तो काटोगे । अपने माँ-बाप की सेवा की है तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी, वर्ना कोई पानी पिलाने वाला भी पास नहीं होगा ।

Ⓜ  आप यह ना समझें कि यह सब बातें केवल मनुष्य पर ही लागू होती हैं । इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव आ सकता है । जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है । यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसको दूध देना बन्द करने के पश्चात घर से निकाल दिया तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी । यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा और आपसे बदला लेगा ।

Ⓜ  इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा ना करें । क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे, उसे वह आपको इस जन्म में या अगले जन्म में सौ गुना वापिस करके देगी । यदि आपने किसी को एक रुपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रुपये जमा हो गये हैं । यदि आपने किसी का एक रुपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रुपये निकल गये ।

Ⓜ  ज़रा सोचिये, "आप कौन सा धन साथ लेकर आये थे और कितना साथ लेकर जाओगे ? जो चले गये, वो कितना सोना-चाँदी साथ ले गये ? मरने पर जो सोना-चाँदी, धन-दौलत बैंक में पड़ा रह गया, समझो वो व्यर्थ ही कमाया । औलाद अगर अच्छी और लायक है तो उसके लिए कुछ भी छोड़कर जाने की जरुरत नहीं है, खुद ही खा-कमा लेगी और औलाद अगर बिगड़ी या नालायक है तो उसके लिए जितना मर्ज़ी धन छोड़कर जाओ, वह चंद दिनों में सब बरबाद करके ही चैन लेगी ।"

Ⓜ  मैं, मेरा, तेरा और सारा धन यहीं का यहीं धरा रह जायेगा, कुछ भी साथ नहीं जायेगा । साथ यदि कुछ जायेगा भी तो सिर्फ *नेकियाँ* ही साथ जायेंगी । इसलिए जितना हो सके *नेकी* कर, *सतकर्म* क,र ।      

रविवार, 27 अगस्त 2017

.         *बहुत ही सुंदर कथा*
            (एक बार अवश्य पढे़)
          ********************

.         �� जय श्री कृष्ण ����

एक बार की बात है। महाभारत के युद्ध के बाद भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन द्वारिका गये पर इस बार रथ अर्जुन चला कर के ले गये।

द्वारिका पहुँचकर अर्जुन बहुत
थक गये इसलिए विश्राम करने के लिए अतिथि भवन में चले गये।
शाम के समय रूक्मणी जी ने कृष्ण को भोजन परोसा तो कृष्ण बोले: "घर में अतिथि आये हुए हैं। हम उनके बिना भोजन कैसे कर लें।"

रूक्मणी जी ने कहा: "भगवन! आप आरंभ करिये, मैं अर्जुन को बुलाकर लाती हूँ।"

जैसे ही रूक्मणी जी वहाँ पहुँची तो उन्होंने देखा, कि अर्जुन
सोये हुए हैं। और उनके रोम-रोम से "कृष्ण" नाम की ध्वनि प्रस्फुटित हो रही है। तो ये जगाना तो भूल गयीं और मन्द-मन्द स्वर में ताली बजाने लगी।

इधर नारद जी ने कृष्ण से कहा: "भगवान भोग ठण्डा हो रहा है।"
कृष्ण बोले: "अतिथि के बिना
हम नहीं करेंगे।"

नारद जी बोले: "मैं बुलाकर लाता हूँ।" नारद जी ने वहां का नजारा देखा, तो ये भी जगाना भूल गये और इन्होंने वीणा बजाना शुरू कर दिया।

इधर सत्यभामा जी बोली,"प्रभु! भोग ठण्डा हो रहा है आप प्रारंभ तो करिये।" भगवान बोले: "हम अतिथि के बिना नहीं कर सकते।"

सत्यभामाजी बोली: "मैं बुला कर लाती हूँ।"

ये वहाँ पहुँची तो इन्होंने देखा कि अर्जुन सोये हुए हैं और उनका रोम-रोम कृष्ण नाम का कीर्तन कर रहा है। और रूक्मनीजी ताली बजा रही हैं। नारदजी वीणा बजा रहे हैं। तो ये भी जगाना भूल गयीं और इन्होंने नाचना शुरू कर दिया। इधर भगवान बोले "सब बोल के जाते हैं। भोग ठण्डा हो रहा है पर हमारी चिन्ता किसी को नहीं है। चलकर देखता हूँ वहाँ ऐसा क्या हो रहा है जो सब हम को ही भूल गये।"

प्रभु ने वहाँ जाकर के देखा तो वहाँ तो स्वर लहरी चल रही है । अर्जुन सोते-सोते कीर्तन कर रहे हैं, रूक्मनीजी ताली बजा रही हैं। नारदजी वीणा बजा रहे हैं। और सत्यभामा जी नृत्य कर रही हैं।

ये देखकर भगवान के नेत्र सजल हो गये, और मेरे प्रभु ने अर्जुन के चरण दबाना शुरू कर दिया।

जैसे ही प्रभु के नेत्रों से प्रेमाश्रुओं की बूँदें अर्जुन के चरणों पर पड़ी, तो अर्जून छटपटा के उठे और बोले "प्रभु! ये क्या हो रहा है।"

भगवान बोले, "हे अर्जुन! तुमने मुझे रोम-रोम में बसा रखा है। इसीलिए तो तुम मुझे सबसे अधिक प्रिय हो।"

और गोविन्द न अर्जुने को गले से लगा लिया।

लीलाधारी तेरी लीला,
भक्त भी तू,
भगवान भी तू,
करने वाला भी तू,
कराने वाला भी तू,
बोलिये भक्त और भगवान की जय।

प्यार से बोलो जय श्री कृष्ण।

����जय श्रीराधे..जय निताई.. ������

Sunday


�� *रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
�� *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
�� *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
�� *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
           ��

�� *ज्योतिष शास्त्र* ��
���� *मोर पंख सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण को नहीं, बल्कि सभी देवी–देवताओं को प्रिय है। इसमें नौ ग्रहों का निवास भी माना गया है। ज्योतिष शास्त्र से जुड़े कुछ खास उपायों को गणेश उत्सव के दौरान किया जाए तो पैसों के साथ ही जीवन की अन्य कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। 25 अगस्त से गणेश उत्सव प्रारंभ हो चुका है आइए जानते हैं मोर पंख से जुड़े कुछ बहुत आसान उपाय….*
�� *कारगर उपाय* ��
*आपका भाग्य बदल सकता है गणेश जी को चढ़ाया हुआ एक मोरपंख*
�� *पैसों से जुड़ी प्राॅब्लम*
*जिन लोगों को पैसों की कमी रहती है वे पर्स में ये मोर पंख रखें।*
�� *रुके हुए काम होंगे पूरे*
*इस मोर पंख को हमेशा साथ रखने पर रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं।*
��  *बच्चा जिद्दी हो तो*
*उस बच्चे के सिर से पैर तक ये मोर पंख फिरा दें। फायदा होगा।*
�� *डरावने सपने आते हों तो*
*रात में डरावने सपने आते हों तो मोर पंख को सिरहाने रखकर सोएं।*
�� *नकारात्मक शक्ति*
*मोर पंख को घर के किसी ऐसी जगह पर रखें जहां से वो दिखाई दे तो नकारात्मकता दूर होगी।*
�� *बरकत के लिए*
*साउथ ईस्ट में इस मोर पंख को रखने से घर में हमेशा बरकत रहेगी।*
�� *किताब में मोर पंख*
*इस मोर पंख को स्टूडेंट अपनी किताब में रखें तो पढ़ाई में मन लगने लगेगा।*
�� *यदि वास्तुदोष हो तो*
*यदि मुख्य द्वार दोष में हो तो दरवाजे के ऊपर तीन मोर पंख लगाएं।*
�� *शत्रु परेशान कर रहा हो तो*
*मंगलवार को मोर पंख पर हनुमानजी के मस्तक सिंदूर से शत्रु का नाम लिखें।रात भर मोर पंख को देवस्थान पर रखें व सुबह बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।*
              ��

☀ *घर में दरिद्रता आने के कुछ कारण...*                   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*1:-* रसोई घर के पास में पेशाब करना ।
*2:-* टूटी हुई कंघी से कंघा करना ।
*3:-* टूटा हुआ सामान उपयोग करना।
*4:-* घर में कूड़ा-करकट रखना।
*5:-*रिश्तेदारों से बदसुलूकी करना।
*6:-* बांए पैर से पैंट पहनना।
*7:-* सांध्या वेला मे सोना।
*8:-* मेहमान आने पर नाखुश होना।
*9:-* आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
*10:-* दाँत से रोटी काट कर खाना।
*11:-* चालीस दिन से ज्यादा बाल रखना
*12:-*दाँत से नाखून काटना।
*13:-*औरतों का खड़े-खड़े बाल बाँधना।
*14:-*फटे हुए कपड़े पहनना ।
*15:-*सुबह सूरज निकलने के बाद तक सोते रहना।
*16:-*पेड़ के नीचे पेशााब करना।
*17:-*उल्टा सोना।
*18:-*शमशान भूमि में हँसना ।
*19:-*पीने का पानी रात में खुला रखना।
*20:-*रात में मांगने वाले को कुछ ना देना ।
*21:-*मन में बुरे ख्याल लाना।
*22:-*पवित्रता के बगैर धर्मग्रंथ पढना।
*23:-*शौच करते वक्त बातें करना।
*24:-*हाथ धोए बगैर भोजन करना ।
*25:-*अपनी औलाद को हरदम कोसना।
*26:-*दरवाजे पर बैठना।
*27:-*लहसुन प्याज के छीलके जलाना।
*28:-*साधू फकीर को अपमानित करना, उनसे रोटी या फिर और कोई चीज खरीदना।
*29:-*फूँक मार के दीपक बुझाना।
*30:-*ईश्वर को धन्यवाद किए बगैर भोजन करना।
*31:-*झूठी कसम खाना।
*32:-*जूते चप्पल उल्टा देख कर उसको सीधा नहीं करना।
*33:-*मकड़ी का जाला घर में रखना।
*34:-*रात को झाड़ू लगाना।
*35:-*अन्धेरे में भोजन करना ।
*36:-*घड़े में मुँह लगाकर पानी पीना।
*37:-*धर्मग्रंथ न पढ़ना।
*38:-*नदी, तालाब में शौच साफ करना और उसमें पेशाब करना ।
*39:-*गाय, बैल को लात मारना ।
*40:-*माता-पिता का अपमान करना ।
*41:-*किसी की गरीबी और लाचारी का मजाक उड़ाना ।
*42:-*दाँत गंदे रखना और रोज स्नान न करना ।
*43:-*बिना स्नान किये  भोजन करना ।
*44:-*पड़ोसियों का अपमान करना, गाली देना ।
*45:-*मध्यरात्रि में भोजन करना ।
*46:-*गंदे बिस्तर पर सोना ।
*47:-*वासना और क्रोध से भरे रहना ।
*48:-*दूसरे को अपने से हीन समझना । इत्यादि-      ___________________________
�� *शास्त्रों में लिखा है- कि जो दूसरों का भला करता है, ईश्वर उसका भी भला करता है।

शनिवार, 26 अगस्त 2017

*गणपती क्यों बिठाते हैं ?*

हम सभी हर साल गणपती की स्थापना करते हैं, साधारण भाषा में गणपती को बैठाते हैं।
लेकिन क्यों ???
किसी को मालूम है क्या ??
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है।
लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था।
अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपती जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की।
गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था।
अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की।
मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा।
महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला।
अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ।
वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया।
इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए।
तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी।
इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते हैं।।

*��गणपती बाप्पा मोरया��*

बुधवार, 23 अगस्त 2017

*बूढ़ा पिता अपने IAS बेटे के चेंबर में  जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया !*

*और प्यार से अपने पुत्र से पूछा...*

*"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"?*

*पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "!*

*पिता को इस जवाब की  आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया !*

*उनकी आँखे छलछला आई !*
*वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे !*

*उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ???*

       *पुत्र ने  इस बार कहा...*
         *"पिताजी आप हैैं,*
       *इस दुनिया के सब से*
        *शक्तिशाली इंसान "!*

*पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ???*

*पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते  हुए कहा ..*

*"पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना,,,,,*

*बोलिए पिताजी"  !*

*पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लगा लिया !*
    *"तब में चन्द पंक्तिया लिखता हुं"*
          *जो पिता के पैरों को छूता है *वो कभी गरीब नहीं होता।*

*जो मां के पैरों को छूता है  वो कभी बदनसीब नही होता।*

*जो भाई के पैराें को छुता हें वो कभी गमगीन नही होता।*

*जो बहन के पैरों को छूता है वो कभी चरित्रहीन नहीं होता।*

*जो गुरू के पैरों को छूता है*
*उस जेसा कोई खुशनसीब नहीं होता.......*

*��अच्छा दिखने के लिये मत जिओ*
          *बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ��*

*��जो झुक सकता है वह सारी*
          *☄दुनिया को झुका सकता है ��*

*�� अगर बुरी आदत समय पर न बदली जाये*
          *तो बुरी आदत समय बदल देती है��*

  *��चलते रहने से ही सफलता है,*
          *रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता है ��*

*�� झूठे दिलासे से स्पष्ट इंकार बेहतर है*
   *अच्छी सोच, अच्छी भावना,*
          *अच्छा विचार मन को हल्का करता है��*

*��मुसीबत सब प आती है*
*कोई बिखर जाता हे*
  *और कोई निखर जाता हें*

*�� "तेरा मेरा"करते एक दिन चले जाना है...*
         *जो भी कमाया यही रहे जाना हे*

सोमवार, 21 अगस्त 2017

*मित्रता की परिभाषा...*
*************************
*कहानी शिक्षाप्रद है।*

*एक बेटे के अनेक मित्र थे जिसका उसे बहुत घमंड था। पिता का एक ही मित्र था लेकिन था सच्चा।*
एक दिन पिता ने बेटे को बोला कि तेरे बहुत सारे दोस्त है उनमें से आज रात तेरे सबसे अच्छे दोस्त की परीक्षा लेते है।
बेटा सहर्ष तैयार हो गया।
रात को 2 बजे दोनों बेटे के सबसे घनिष्ठ मित्र के घर पहुंचे, बेटे ने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा नहीं खुला,
*बार-बार दरवाजा ठोकने के बाद अंदर से बेटे का दोस्त उसकी माताजी को कह रहा था माँ कह दे मैं घर पर नहीं हूँ।यह सुनकर बेटा उदास हो गया, अतः निराश होकर दोनों लौट आए।*

फिर पिता ने कहा कि बेटे आज तुझे मेरे दोस्त से मिलवाता हूँ। दोनों पिता के दोस्त के घर पहुंचे। पिता ने अपने मित्र को आवाज लगाई।
उधर से जवाब आया कि ठहरना मित्र, दो मिनट में दरवाजा खोलता हूँ।
जब दरवाजा खुला तो पिता के दोस्त के एक हाथ में रुपये की थैली और दूसरे हाथ में तलवार थी। पिता ने पूछा, यह क्या है मित्र।
*तब मित्र बोला....अगर मेरे मित्र ने दो बजे रात्रि को मेरा दरवाजा खटखटाया है, तो जरूर वह मुसीबत में होगा और अक्सर मुसीबत दो प्रकार की होती है,या तो रुपये पैसे की या किसी से विवाद हो गया हो। अगर तुम्हें रुपये की आवश्यकता हो तो ये रुपये की थैली ले जाओ और किसी से झगड़ा हो गया हो तो ये तलवार लेकर मैं तुम्हारें साथ चलता हूँ।*
तब पिता की आँखे भर आई और उन्होंने अपने मित्र से कहा कि, मित्र मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं, मैं तो बस मेरे बेटे को मित्रता की परिभाषा समझ रहा था।
*ऐसे मित्र न चुने जो खुद गर्ज हो और आपके काम पड़ने पर बहाने बनाने लगे*
*अतः मित्र, एक चुनें लेकिन नेक चुनें।*
********************

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

*भारत का नया गीत*

*आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,
शैतानी शैतान की... ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,
घोटालों की थाली में ।*
*सूटकेश भर के चलते हैं,
अपने यहाँ दलाली में ।।*

*देश-धर्म की नहीं है चिंता,
चिन्ता निज सन्तान की ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*चोर-लुटेरे भी अब देखो,
सांसद और विधायक हैं।*
*सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये,
सचमुच के खलनायक हैं ।।*

*भिखमंगों में गिनती कर दी,
भारत देश महान की ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*जनता के आवंटित धन को,
आधा मंत्री खाते हैं ।*
*बाकी में अफसर ठेकेदार,
मिलकर मौज उड़ाते हैं ।।*

*लूट खसोट मचा रखी है,
सरकारी अनुदान की ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*थर्ड क्लास अफसर बन जाता,
फर्स्ट क्लास चपरासी है,
*होशियार बच्चों के मन में,
छायी आज उदासी है।।*

*गंवार सारे मंत्री बन गये,
मेधावी आज खलासी है।*
*आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
शैतानी शैतान की...।।*

*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की.

सोमवार, 14 अगस्त 2017

आपको और आपके परिवार को मेरी तरफ से 15 August एवं जन्माष्टमी की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं।। जय हिंद - जय श्रीकृष्णा।।

*जानिए क्या है हमारे राष्ट्रगान जन गण मन...का मतलब..*

*शब्द             अंग्रेजी              हिंदी*

जन=            People=             लोग
गण=             Group=             समूह
मन=              Mind =           दिमाग
अधिनायक=     Leader=             नेता
जय हे=           Victory=           जीत
भारत=           India=               भारत
भाग्य=            Destiny=      किस्मत
विधाता=     Disposer=    ऊपरवाला
पंजाब=          Punjab=          पंजाब
सिंधु=            Sindhu =           सिंधु
गुजरात=       Gujarat=         गुजरात
मराठा=        Maratha=       मराठा (महाराष्ट्र)
द्रविण=          South=             दक्षिण
उत्कल=         Orissa=          उड़िसा
बंगा=            Bengal=           बंगाल
विंध्य=      Vindhyas=    विन्धयाचल
हिमाचल=      Himalay=     हिमालय
यमुना=        Yamuna =          यमुना
गंगा=            Ganges =           गंगा
उच्छलय=       Moving=     गतिमान
जलधि=        Ocean =           समुद्र
तरंगा=      Waves =    लहरें (धाराएं)
तब =            Your =            तुम्हारा
शुभ =        Auspicious =      मंगल
नामे =          name =                नाम
जागे=          Awaken =          जागो
तब =             Your =            तुम्हारा
शुभ =         Auspicious =      मंगल
आशीष=    Blessings =   आशीर्वाद
मांगे =            Ask =                पूछो
गाहे =            Gaahe =          गाओ
तब =              Your =          तुम्हारी
जय =            Victory =          जीत
गाथा =              Song =            गीत
जन =               People =         लोग
गण =              Group =          समूह
मंगल =          Fortune =        भाग्य
दायक =           Giver =           दाता
जय हे =          Victory Be =    जीत
भारत =          India =        हिंदुस्तान
भाग्य =         Destiny =       किस्मत
विधाता =   Dispenser= ऊपर वाला

जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे.=    Victory,
Victory, Victory, Victory Forever = 
विजय, विजय, विजय, विजय हमेशा के लिए ...
जय हिंद = JAIHIND