गुरुवार, 31 अगस्त 2017

*दोस्त अब थकने लगे है* किसीका *पेट* निकल आया है, किसीके *बाल* पकने लगे है... सब पर भारी *ज़िम्मेदारी* है, सबको छोटी मोटी कोई *बीमारी* है। दिनभर जो *भागते दौड़ते* थे, वो अब चलते चलते भी *रुकने* लगे है। पर ये हकीकत है, सब दोस्त *थकने* लगे है...1 किसी को *लोन* की फ़िक्र है, कहीं *हेल्थ टेस्ट* का ज़िक्र है। फुर्सत की सब को कमी है, आँखों में अजीब सी नमीं है। कल जो प्यार के *ख़त लिखते* थे, आज *बीमे के फॉर्म* भरने में लगे है। पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है....2 देख कर *पुरानी तस्वीरें*, आज जी भर आता है। क्या अजीब सा है ये वक़्त भी, किस तरह ये गुज़र जाता है। कल का *जवान* दोस्त मेरा, आज *अधेड़* नज़र आता है... *ख़्वाब सजाते* थे जो कभी , आज *गुज़रे दिनों में खोने* लगे है। पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है...

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