रविवार, 24 सितंबर 2017

���� *जय माँ शेरावाली*����

*1-शैलपु्त्री*

पर्वतराज हिमालय के घर,
                माता ने जन्म लिया है|
शैलापुत्री तब कहलायी,
                सबको ही हर्ष दिया है||
एक हाथ में लिए खड्ग हैं,
                    दूजे कर कमल विराजे,
होकर वृषभ सवार मात फिर,
                   कष्टों को दूर किया हैं||

*2-बम्ह्रचारिणी*

योग साधना हुई लीन जब,
                बम्ह्रचारिणी कहलाई|
इसी रूप की सब मुनियों ने,
                भूरि भूरि महिमा गाई||
एक हाथ में लिए कमण्डल,
                 दूजे में जप की माला|
जिसने पूजा इसी रूप को,
                माँ उस पर होत सहाई||

*3-चंद्रघंण्टा*

अर्द्धचन्द्र माँ के मस्तिक पर,
                 कंचन जैसी हैं काया|
होते हैं कार्य सिद्ध उनके,
            कर्म वचन से जो ध्याया||
चंद्रघण्टा नाम हैं इनका,
                करती है सिंह सवारी|
दूर करो माँ संकट सारे,
                हमको माँ दे दो छाया||

*4-कूष्माण्ड़ा*

मंद मंद मुस्काकर माँ ने,
             पूरा ब्रम्हाण्ड़ बनाया हैं|
नाम पड़ा हैं तब कूष्माण्ड़ा,
               पूर्ण धरा पर छाया हैं||
जाप करे जो इसी नाम का,
             भव सागर तर जाये वो,
सब कुछ देती हैं माँ उसको,
                जो द्वारे पर आया हैं||

*5-स्कन्दमाता*

स्वरूप पंचम माँ दुर्ग का,
               उसे स्कन्दमाता मानौ|
विशुद्ध मन को शुद्ध करे जो,
             कार्तिकेय की माँ जानौ||
सिंह सवारी मैया करती,
                कमलासन पर बैठी हैं|
इच्छायें माँ पूरी करदे,
             जो भी  तुम मन में ठानौ||

*6- कात्यायनी*
कात्यायन की कठिन तपस्या,
                    प्रसन्न हुई महारानी|
महर्षि इच्छा पूरी करने,
                  आई घर जगत भवानी||
षष्ठ स्वरुप हैं कात्यायनी,
                   सबकी पीड़ा हरती हैं|
मुझको भी माँ दर्शन दे दो,
                   चौहान बड़ा  अज्ञानी||

*7-कालरात्रि*
रूप भयानक माता का,
            सुफल मनोरथ बाली हैं|
कालरात्रि कहते हैं इनको,
                 संकट हरने बाली हैं ||
सारे भय को दूर करे माँ,
                जीवन में खुशहाली दे|
एक हाथ में तलवार लिए,
                  दूजे विपदा टाली है||

*8-महागौरी*

आँठवी दुर्गा महागौरी,
                शंख चन्द्रमा धारी हैं|
तीन नेत्र हैं माता जी के,
           भक्तों पर माँ बलिहारी हैं||
माँ गौरी की पूजा करले,
              पाप सभी धुल जायेगे|
ऊँचे पर्वत पर माँ रहती,
            उसकी महिमा न्यारी हैं||

*9-सिद्धदात्री*

अनिमा महिमा गरिमा लघिमा,
              सब सिद्धि देन बाली हैं |
नौवा रूप हैं सिद्धिदात्री,
                    माता शेराबाली हैं||
महाशक्ति की पूजा करले,
               भाग्य उदय हो जायेगा|

*������जय माता दी����*

सोमवार, 18 सितंबर 2017

*वाह री जिन्दगी*

जीवन की आधी उम्र तक पैसा कमाया,
पैसा कमाने मे इस शरीर को खराब कीया।
बाकी आधी उम्र तक उसी पैसे को,
शरीर ठीक करने मे लगाया।
न शरीर बचा, न पैसा ।

*वाह री जिन्दगी*

�� श्मशान के बाहर लिखा था
☝मंजिल तो तेरी यही थी
बस ज़िन्दगी गुजर गई आते आते
*क्या मिला तुंझे इस दुनिया
से*
*अपनों ने ही जला दिया तुंझे जाते जाते*...

*_़़़़़वाह री जिंदगी़़़़़़_*

दौलत की भूख एेसी लगी कि कमाने निकल गए!
जब दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए!
बच्चों के साथ रहने की फुरसत ना मिल सकी!
फुरसत मिली तो बच्चे कमाने निकल गए!

*_़़़़़वाह री जिंदगी़़़़़़_*

गए!

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

श्राद्ध पक्ष : 5  सितम्बर से 20 सितम्बर तक
श्राद्ध के आरम्भ व अंत में निम्न मंत्र का तीन बार उच्चारण करने से श्राद्ध की त्रुटियाँ क्षम्य हो जाती हैं, पितर प्रसन्न होते हैं तथा आसुरी शक्तियाँ भाग जाती हैं ।
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः ।।
देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा और स्वाहा को मेरा सर्वदा नमस्कार है, नमस्कार है ।
(अग्नि पुराण – 117.22)
श्राद्ध से संबंधित विस्तृत जानकारी हेतु आश्रम की पुस्तक श्राद्ध महिमा पढ़ें ।

सत्संग के मुख्य अंश :

श्राद्ध पक्ष मे पितर अपने-अपने कुल मे जाते हैं, तृप्त होते हैं और घर में उच्च कोटि की संतान आने का आशीर्वाद देते हैं जो श्राद्ध नही करते उनके पितर अतृप्त रहते हैं |

श्राद्ध करने की समता, शक्ति, रुपया पैसा नहीं हैं तो दिन में ११.२४ से १२.२० से बीच के समय गाय को चारा खिला दे

अगर चारा खिलाने के भी पैसे नहीं हैं तो दिन में ११.२४ से १२.२० के बीच सूर्य नारायण का ध्यान करके दोनों हाथ उपर करके, कहे-
हमारे पिता को, दादा आदि को आप तृप्त करे मैं असमर्थ हूँ, उन्हें आप सुख दे, आप समर्थ हैं, मेरे पास धन- दौलत, विधि-सामग्री नहीं है, घर में कोई करने-कराने वाला नहीं है लेकिन आपके लिए मेरा सद्भाव है, श्रद्धा हैं आप मेरे सद्भाव और श्रद्धा से तृप्त हो सकते हैं |

पितर पितृलोक में हैं तो श्राद्ध करने से वहाँ उन्हें रस मिलेगा, देवलोक में हैं तो वहाँ उन्हें सुख मिलेगा या जहाँ भी जिस योनी में होते हैं उन्हें वहाँ सुख मिल जाता हैं

चांदी के बर्तन में श्राद्ध की सामग्री या खिलाने का सामर्थ्य नहीं है तो चांदी का दर्शन और सुमिरन करके भी कर सकते हैं, लोहे के बर्तन कभी न प्रयोग करें , बुद्धि का नाश होता है और पितर पलायन हो जाते हैं |

पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करे और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुवां भी न करे|

कुटुंब में बड़ा पुत्र श्राद्ध करे अगर पुत्र नहीं हैं तो पत्नी या कोई और कर सकता है, पत्नी नहीं है तो जमाई या बेटी का बेटा कर सकता है

सफ़ेद पुष्प, लीपा हुआ गाय के गोबर से सात्विक घर, तथा दक्षिण दिशा नीची हो तो उपयुक्त मानी जाती है|

श्राद्ध के समय अन्न की प्रशंसा न करे और निंदा भी न करें मौन रहकर, संकेत से लें और दें |

श्राद्ध के दिन सुपारी न चबाये, मंजन, मालिश, उपवास और स्त्री भोग भी न करें औषध न ले तो अच्छा, दूसरे का अन्न न खाये|

श्राद्ध करने वाले का जन्म दिवस हो तो उस दिन वह श्राद्ध न करे |

ब्राह्मण को एक दिन पहले न्योता दे दे ताकि वह संयमी रहे

यह मंत्र तीन बार बोलने से श्राद्ध फलित होता हैं-
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च |
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव भवन्त्युत ||

1) श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्मय पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
2) श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें l
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ll देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च l
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव भवन्त्युत ll
(समस्त देवताओं, पितरों, महयोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं l ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं l)
3) “श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आप के कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा|
4) जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं l कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है l
5) पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करे और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करे|
6) अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
“हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दे) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन करता हूँ ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें ।
7) श्राद्ध पक्ष में १ माला रोज द्वादश मंत्र ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” की करनी चाहिए और उस माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।

श्राद्ध कर्म करते समय ध्यान देने योग्य बातें –
– श्राद्ध कर्म करते समय जो श्राद्ध का भोजन कराया जाता है, तो ११.३६ से १२.२४ तक उत्तम काल होता है l- गया, पुष्कर, प्रयाग और हरिद्वार में श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है l
– गौशाला में, देवालय में और नदी तट पर श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है l
– सोना, चांदी, तांबा और कांसे के बर्तन में अथवा पलाश के पत्तल में भोजन करना-कराना अति उत्तम माना गया है l लोहा, मिटटी आदि के बर्तन काम में नहीं लाने चाहिए l
– श्राद्ध के समय अक्रोध रहना, जल्दबाजी न करना और बड़े लोगों को या बहुत लोगों को श्राद्ध में सम्मिलित नहीं करना चाहिए, नहीं तो इधर-उधर ध्यान बंट जायेगा, तो जिनके प्रति श्राद्ध सद्भावना और सत उद्देश्य से जो श्राद्ध करना चाहिए, वो फिर दिखावे के उद्देश्य में सामान्य कर्म हो जाता है l
– अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी व अष्टमी, रविवार, श्राद्ध और व्रत के दिन स्त्री- सहवास एवं तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रम्हवैवर्त पुराण, ब्रम्ह खंड : २७.३७-३८) – सफ़ेद सुगन्धित पुष्प श्राद्ध कर्म में काम में लाने चाहिए l लाल, काले फूलों का त्याग करना चाहिए l अति मादक गंध वाले फूल अथवा सुगंध हीन फूल श्राद्ध कर्म में काम में नहीं लाये जाते हैं l

‼ *सोच और समझ में अंतर* ‼                           ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
●एक डॉ.चाहता है कि हर आदमी बीमार हो.!
●वकील चाहता है कि हर आदमी झगड़ालू हो.!
●पुलिस चाहती है कि हर आदमी जुल्मी हो.!
●ठेकेदार चाहता है कि हर आदमी मजदूर हो.!
●दारू का ठेकेदार चाहता है कि हर आदमी शराबी हो.!
●बैंक चाहता है कि हर आदमी कर्जदार हो.!
●नेता चाहता है कि हर आदमी भोला-भाला और अनपढ़ हो.!
●पुजारी चाहता है कि हर आदमी अन्धविश्वास में डूबा रहे.!
●तांत्रिक चाहता है कि हर आदमी भूत-प्रेतों से डरता रहे.!
*लेकिन*
एक *शिक्षक* ही है, जो हमेशा चाहता है, कि हर *स्त्री-पुरुष* पढ़ा लिखा हो, और जीवन में *सफलता* प्राप्त करके आगे बढ़े। जिससे वह *स्वयं* का, अपने *परिवार* का, *मानव समाज* का और *देश* का विकास करे।               ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
�� *आइए, शिक्षक वर्ग का सम्मान करें* ����     HAPPY TEACHER'S DAY   Mahendraagrawalgwalior

पत्नी अपने पति को बार बार बोलती थी :---- "एक चुटकी सिन्दूर की कीमत तुम क्या जानो जी " °°° °°° एक बार पति ने उसे अपने पास बिठाकर हिंदी में समझाया : -- रसोई राशन Rs 7,000/- बिजली बिल Rs. 1,000/- पानी Rs. 200/- बच्चों की स्कूल फीस Rs.10,000/- बच्चों की ट्युशन फीस| Rs. 2,000/- मकान किराया Rs.7,000/- मोबाइल खर्च Rs. 1,500/- मेडिसन Rs. 1,300/- पेट्रोल Rs. 2,000/- अन्य खरचा Rs. 3,000/- और ये सब इसलिए कि तेरी मांग में एक चुटकी सिन्दूर भरा है। वरना 2-4 हजार में मस्त जी रहा हो�

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आइये  आपको
     *"धरती पर भगवान हैं*
प्रमाणिकता सिद्ध किये गये लोगो के अनुभव  देखे व परखे  :-
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१. *"अमरनाथजी"* में शिवलिंग अपने आप बनता है।

२. *"माँ ज्वालामुखी"* में
हमेशा ज्वाला निकलती है।

३. *"मैहर माता मंदिर"* में रात को आल्हा अब भी आते हैं।

४. सीमा पर स्थित *"तनोट माता मंदिर"* में 3000 बम में से एक का भी ना फूटना।

५. इतने बड़े हादसे के बाद भी *"केदारनाथ मंदिर"* का बाल ना बांका होना।

६. पूरी दुनियां मैं आज भी सिर्फ *"रामसेतु के पत्थर"* पानी में तैरते हैं।

७. *"रामेश्वरम धाम"* में सागर का कभी उफान न मारना।

८. *"पुरी के मंदिर"* के ऊपर से किसी पक्षी या विमान का न निकलना।

९. *"पुरी मंदिर" की पताका हमेशा हवा के विपरीत* दिशा में उड़ना।

१०. *उज्जैन में "भैरोंनाथ" का मदिरा पीना।*

११. *गंगा और नर्मदा माँ (नदी) के पानी का कभी खराब* न होना।

१२,  *श्री राम नाम धन संग्रह बैंक में संग्रहीत इकतालीस अरब राम नाम मंत्र पूरित ग्रंथों को (कागज होने पर भी) चूहों द्वारा नहीं काटा जान। जबकि अनेक चूहे अंदर घुमते रहते हॆं।*

13, *चितोडगढ मे बाणमाताजी के मंदिर मे आरती के समय* त्रिशूल का हिलना।।

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शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

" ब्राह्मण " क्या है,,,,? कौन है,,,,,?
भगवान कृष्ण ने क्या कहा है,,,,,,,,;;?
⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘

बनिया धन का भूखा होता है।
क्षत्रिय दुश्मन के खून का प्यासा होता है ।
गरीब अन्न का भूखा होता है।

पर ब्राम्हण?

ब्राम्हण केवल प्रेम और सम्मान का भूखा होता है।
ब्राम्हण को सम्मान दे दो वो तुम्हारे लिऐ
जान देने को तैयार हो जाऐगा।

अरे दुनिया वालो आजमाकर
तो देखो हमारी दोस्ती को।

मुसलमान अशफाक उल्ला खान बनकर हाथ बढ़ाता है,हम बिस्मिल बनकर गले लगा लेते है।

क्षत्रिय चंद्रगुप्त बनकर पैर छू लेता है,हम चाणक्य बनकर पूरा भारत जितवा देते है।

सिख भगत सिह बनकर हमारे पास आता है। हम चंद्रशेखर आजाद बनकर उसे बेखौफ जीना सिखा देते है।

कोई वैश्य गाधी बनकर हमे गुरु मान लेता है हम गोपाल कृष्ण गोखले बनकर उसे महात्मा बना देते है।

और
कोई शूद्र शबरी बनकर हमसे वर मागती है, तो हम उसे भगवान से मिलवा देते है।

अरे एक बार सम्मान तो देकर देखो हमें...........
........ फर्ज न अदा करे तो कहना
जय जय राम!!जय जय परशुराम!!

--  पुराणों में कहा गया है -

     विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता ।

  जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वंहा देवता भी निवास करते हैं अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के बिना देवालय भी शून्य हो जाते हैं ।

इसलिए
   ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः ।।

  श्री कृष्ण ने कहा - ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए ।
क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है ।

  ब्राह्मणोंस्य मुखमासिद्......

   वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान के मुख में निवास करते हैं इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान का ही शब्द है, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है की

   विप्र प्रसादात् धरणी धरोहम
   विप्र प्रसादात् कमला वरोहम
   विप्र प्रसादात्अजिता$जितोहम
   विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।

   ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने धरती को धारण कर रखा है अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष कैसे उठा सकता है, इन्ही के आशीर्वाद से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान में प्राप्त किया है, इन्ही के आशीर्वाद सेढ मैं हर युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मेरा नाम "राम" अमर हुआ है, अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है । और ब्राह्मणों का अपमान ही कलियुग में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है ।

  - किसी में कमी निकालने की अपेक्षा किसी में से कमी निकालना ही ब्राह्मण का धर्म है,            
समस्त ब्राह्मण सम्प्रदाय को समर्पित।
⚘⚘⚘⚘*जयश्रीपरशुराम*⚘⚘⚘