सोमवार, 18 सितंबर 2017

*वाह री जिन्दगी*

जीवन की आधी उम्र तक पैसा कमाया,
पैसा कमाने मे इस शरीर को खराब कीया।
बाकी आधी उम्र तक उसी पैसे को,
शरीर ठीक करने मे लगाया।
न शरीर बचा, न पैसा ।

*वाह री जिन्दगी*

�� श्मशान के बाहर लिखा था
☝मंजिल तो तेरी यही थी
बस ज़िन्दगी गुजर गई आते आते
*क्या मिला तुंझे इस दुनिया
से*
*अपनों ने ही जला दिया तुंझे जाते जाते*...

*_़़़़़वाह री जिंदगी़़़़़़_*

दौलत की भूख एेसी लगी कि कमाने निकल गए!
जब दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए!
बच्चों के साथ रहने की फुरसत ना मिल सकी!
फुरसत मिली तो बच्चे कमाने निकल गए!

*_़़़़़वाह री जिंदगी़़़़़़_*

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