गुरुवार, 16 नवंबर 2017

*📮   गन्भीर विचारणीय प्रश्न   📮*
                         ♨                  
  *चर्च के धन से कान्वेंट खोले जाते*
                         *हैं*

     *मस्जिद के धन से मदरसे खोले*
                      *जाते हैं*
                       *परन्तु*
                     *भारत में*
   *🔔  मन्दिरों में प्राप्त धन से 💰*
                          👩‍✈
                     *स्कूल नहीं*
                   *खोले  जाते*
                 *आखिर   क्यों*
              *जबकि  मन्दिरों  में*
         *अकूत   धन  चढा़वा   में*
     *आता   है  जिससे स्कूल  और*
*कॉलिज तो क्या देश में हर प्रदेशके*
*बड़े बड़े  विकसित  शहरो  में  PGI*
  *इन्जिनीयरिंग, टैक्निकल  संस्थान*
   *एग्रीकल्चर  मैडिकल यूनिवर्सिटी*
     *छात्र छात्राओं के लिए बड़े बड़े*
      *सुविधाजनक -  छात्रवावास*
         *अनाथालय - विश्रामालय*
           *स्थापित -  किये  - जा*
             *सकते हैं  परन्तु क्यूं*  
                *नहीं  किये  जाते*
  *क्या देश में विकास का स्तर बढ़ाने*
           *की आवश्यक्ता नहीं है*
          ❓❓❓❓❓❓

Reservations

जिसको आरक्षण दिया जा रहा है वो सामान्य आदमी बन ही नहीं पा रहा है....
जैसे किसी व्यक्ति को आरक्षण दिया गया और वो किसी सरकारी नौकरी में आ गया!अब उसका वेतन ₹5500 से₹50000 तक महीना है पर जब उसकी संतान हुई तो फिर वही से शुरुआत !
फिर वही गरीब पिछड़ा और सवर्णों के अत्याचार का मारा पैदा हुआ ।
उसका पिता लाखों रूपए सालाना कमा रहा है तथा उच्च पद पर आसीन है।सारी सरकारी सुविधाए ले रहा है।
वो खुद जिले के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है और सरकार उसे पिछड़ा मान रही है।
सदियों से सवर्णों के अत्याचार का शिकार मान रही है।
आपको आरक्षण देना है बिलकुल दो पर उसे नौकरी देने के बाद सामान्य तो बना दो ।
यह आरक्षण कब तक मिलता रहेगा उसे ?? इसकी भी कोई समय सीमा तो तय कर दो कि बस जाति विशेष में पैदा हो गया तो आरक्षण का हकदार हो गया।
*दादा जी जुल्म के मारे,
बाप जुल्म का मारा तथा पोता भी जुल्म का मारा!
वाह रे मेरे देश का दु:भा्ग्य!*
जिस आरक्षण से उच्च पदस्थ अधिकारी , मन्त्री , प्रोफेसर , इंजीनियर, डॉक्टर भी पिछड़े ही रह जायें, ऐसे असफल अभियान को तुरंत बंद कर देना चाहिए ।
जिस कार्य से कोई आगे न बढ़ रहा हो उसे जारी रखना मूर्खतापूर्ण कार्य है।
हम में से कोई भी आरक्षण के खिलाफ नहीं, पर आरक्षण का आधार जातिगत ना होकर आर्थिक होना चाहिए।
""ऒर तत्काल प्रभाव से प्रमोशन में आरक्षण तो बंद होना ही चाहिए।नैतिकता भी यही कहती है।""
क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी मंदिर में प्रसाद बँट रहा हो तो एक व्यक्ति को चार बार मिल जाये ,और एक व्यक्ति लाइन में रहकर अपनी बारी का इंतजार ही करता रहे।
आरक्षण देना है तो उन गरीबों ,लाचारों को चुन चुन के दो जो बेचारे दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं...चाहे वे अनपढ़ हो । चौकीदार , सफाई कर्मचारी ,सेक्युरिटी गार्ड कैसी भी नौकरी दो....हमें कोई आपत्ति नहीं।
ऐसे लोंगो को मुख्य धारा में लाना सरकार का सामाजिक उत्तरदायित्व है।
परन्तु भरे पेट वालों को बार बार 56 व्यंजन परोसने की यह नीति बंद होनी ही चाहिए।
जिसे एक बार आरक्षण मिल गया उसकी अगली पीढ़ियों को सामान्य मानना चाहिये और आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिये।
क्या आप भी सहमत हैं ?

रविवार, 12 नवंबर 2017

*सूत्र*

>>|| साधारण नमक ➠ NaCl

>>|| बेकिंग सोडा ➠ NaHCO₃

>>|| धोवन सोडा ➠ Na₂CO₃·10H₂O

>>|| कास्टिक सोडा ➠ NaOH

>>|| सुहागा ➠ Na₂B₄O₇·10H₂O

>>|| फिटकरी➠ K₂SO₄·Al₂(SO₄)₃·24H₂O

>>|| लाल दवा ➠ KMnO₄

>>|| कास्टिक पोटाश ➠ KOH

>>|| शोरा ➠ KNO₃

>>|| विरंजक चूर्ण ➠ Ca(OCl)·Cl

>>|| चूने का पानी ➠ Ca(OH)₂

>>|| जिप्सम ➠ CaSO₄·2H₂O

>>|| प्लास्टर ऑफ पेरिस➠ CaSO₄·½H₂O

>>|| चॉक ➠ CaCO₃

>>|| चूना-पत्थर ➠ CaCO₃

>>|| संगमरमर ➠ CaCO₃

>>|| नौसादर ➠ NH₄Cl

>>|| लाफिंग गैस ➠ N₂O

>>|| लिथार्ज ➠ PbO

>>|| गैलेना ➠ PbS

>>|| लाल सिंदूर ➠ Pb₃O₄

>>|| सफेद लेड ➠ 2PbCO₃·Pb(OH)₂

>>|| नमक का अम्ल ➠ HCl

>>|| शोरे का अम्ल ➠ HNO₃

>>|| अम्लराज ➠ HNO₃ + HCl (1 : 3)

>>|| शुष्क बर्फ ➠ CO₂

>>|| हरा कसीस ➠ FeSO₄·7H₂O

>>|| हॉर्न सिल्वर ➠ AgCl

>>|| भारी जल ➠ D₂O

>>|| प्रोड्यूशर गैस ➠ CO + N₂

>>|| मार्श गैस ➠ CH₄

>>|| सिरका ➠ CH₃COOH

>>|| गेमेक्सीन ➠ C₆H₆Cl₆

>>|| नीला कसीस ➠ CuSO₄·5H₂O

>>|| ऐल्कोहॉल ➠ C₂H₅OH

>>|| मण्ड ➠ C₆H₁₀O₅

>>|| अंगूर का रस ➠ C₆H₁₂O₆

>>|| चीनी ➠ C₁₂H₂₂O₁₁

>>|| यूरिया ➠ NH₂CONH₂

>>|| बेंजीन ➠ C₆H₆

>>|| तारपीन का तेल ➠ C₁₀H₁₆

>>|| फिनॉल ➠ C₆H₅0.             ....

शादी शुदा लोग जरूर पढ़े आनन्द आएगा

कॉलेज में Happy married life पर

एक  कार्यक्रम हो रहा था,

जिसमे कुछ शादीशुदा

जोडे हिस्सा ले रहे थे।

जिस समय प्रोफेसर  मंच पर आए 

उन्होने नोट किया कि सभी

पति- पत्नी शादी पर

जोक कर  हँस रहे थे...

ये देख कर प्रोफेसर ने कहा

कि चलो पहले  एक Game खेलते है...

उसके बाद  अपने विषय पर बातें करेंगे।

सभी  खुश हो गए

और कहा कोनसा Game ?

प्रोफ़ेसर ने एक married

लड़की को खड़ा किया

और कहा कि तुम ब्लेक बोर्ड पे

ऐसे 25- 30 लोगों के  नाम लिखो

जो तुम्हे सबसे अधिक प्यारे हों

लड़की ने पहले तो अपने परिवार के

लोगो के नाम लिखे

फिर अपने सगे सम्बन्धी,

दोस्तों,पडोसी और

सहकर्मियों के नाम लिख दिए...

अब प्रोफ़ेसर ने उसमे से

कोई भी कम पसंद वाले

5 नाम मिटाने को कहा...

लड़की ने अपने

सह कर्मियों के नाम मिटा दिए..

प्रोफ़ेसर ने और 5 नाम मिटाने को कहा...

लड़की ने थोडा सोच कर

अपने पड़ोसियो के नाम मिटा दिए...

अब प्रोफ़ेसर ने

और 10 नाम मिटाने को कहा...

लड़की ने अपने सगे सम्बन्धी

और दोस्तों के नाम मिटा दिए...

अब बोर्ड पर सिर्फ 4 नाम बचे थे

जो उसके मम्मी- पापा,

पति और बच्चे का नाम था..

अब प्रोफ़ेसर ने कहा इसमें से

और 2 नाम मिटा दो...

लड़की असमंजस में पड गयी

बहुत सोचने के बाद

बहुत दुखी होते हुए उसने

अपने मम्मी- पापा का

नाम मिटा दिया...

सभी लोग स्तब्ध और शांत थे

क्योकि वो जानते थे

कि ये गेम सिर्फ वो

लड़की ही नहीं खेल रही थी

उनके दिमाग में भी

यही सब चल रहा था।

अब सिर्फ 2 ही नाम बचे थे...

पति और बेटे का...

प्रोफ़ेसर ने कहा

और एक नाम मिटा दो...

लड़की अब सहमी सी रह गयी...

बहुत सोचने के बाद रोते हुए

अपने बेटे का नाम काट दिया...

प्रोफ़ेसर ने  उस लड़की से कहा

तुम अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओ...

और सभी की तरफ गौर से देखा...

और पूछा-

क्या कोई बता सकता है

कि ऐसा क्यों हुआ कि सिर्फ

पति का ही नाम

बोर्ड पर रह गया।

कोई जवाब नहीं दे पाया...

सभी मुँह लटका कर बैठे थे...

प्रोफ़ेसर ने फिर

उस लड़की को खड़ा किया

और कहा...

ऐसा क्यों !

जिसने तुम्हे जन्म दिया

और पाल पोस कर

इतना बड़ा किया

उनका नाम तुमने मिटा दिया...

और तो और तुमने अपनी

कोख से जिस बच्चे को जन्म दिया

उसका भी नाम तुमने मिटा दिया ?

लड़की ने जवाब दिया.......

कि अब मम्मी- पापा बूढ़े हो चुके हैं, 

कुछ साल के बाद वो मुझे

और इस दुनिया को छोड़ के

चले जायेंगे ......

मेरा बेटा जब बड़ा हो जायेगा

तो जरूरी नहीं कि वो

शादी के बाद मेरे साथ ही रहे।

लेकिन मेरे पति जब तक मेरी

जान में जान है

तब तक मेरा आधा शरीर बनके

मेरा साथ निभायेंगे

इस लिए मेरे लिए

सबसे अजीज मेरे पति हैं..

प्रोफ़ेसर और बाकी स्टूडेंट ने

तालियों की गूंज से

लड़की को सलामी दी...

प्रोफ़ेसर ने कहा

तुमने बिलकुल सही कहा

कि तुम और सभी के बिना

रह सकती हो

पर अपने आधे अंग अर्थात

अपने पति के बिना नहीं रह सकती l

मजाक मस्ती तक तो ठीक है

पर हर इंसान का

अपना जीवन साथी ही

उसको सब  से ज्यादा

अजीज होता है...

ये सचमुच सच है for all husband and wife   कभी मत भूलना.....👌......✍
🙏 जिन्दगी के साथ भी ,जिन्दगी के बाद

शनिवार, 11 नवंबर 2017

*सोना*

सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।

                        *चाँदी*

चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।

                           *कांसा*

काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                         *तांबा*

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।

                        *पीतल*

पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                         *लोहा*

लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोहतत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

                         *स्टील*

स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी  नहीं पहुँचता।

                      *एलुमिनियम*

एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान ही होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का किसी भी रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।

                           *मिट्टी*

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं । इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वादभी आता है

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

*सत्कर्म करते समय क्यों दी जाती है दक्षिणा ?*
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*महालक्ष्मी का कलावतार हैं ‘दक्षिणा’*
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देवी ‘दक्षिणा’ महालक्ष्मीजी के दाहिने कन्धे (अंश) से प्रकट हुई हैं इसलिए दक्षिणा कहलाती हैं। ये कमला (लक्ष्मी) की कलावतार व भगवान विष्णु की शक्तिस्वरूपा हैं। दक्षिणा को शुभा, शुद्धिदा, शुद्धिरूपा व सुशीला–इन नामों से भी जाना जाता है। ये उपासक को सभी यज्ञों, सत्कर्मों का फल प्रदान करती हैं।

*श्रीकृष्ण और दक्षिणा का सम्बन्ध*
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गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण को अत्यन्त प्रिय सुशीला नाम की एक गोपी थी जो विद्या, रूप, गुण व आचार में लक्ष्मी के समान थी। वह श्रीराधा की प्रधान सखी थी। भगवान श्रीकृष्ण का उससे विशेष स्नेह था। श्रीराधाजी को यह बात पसन्द न थी और उन्होंने भगवान की लीला को समझे बिना ही सुशीला को गोलोक से बाहर कर दिया गोलोक से च्युत हो जाने पर सुशीला कठिन तप करने लगी और उस कठिन तप के प्रभाव से वे विष्णुप्रिया महालक्ष्मी के शरीर में प्रवेश कर गयीं। भगवान की लीला से देवताओं को यज्ञ का फल मिलना बंद हो गया। घबराए हुए सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु का ध्यान किया। भगवान विष्णु ने अपनी प्रिया महालक्ष्मी के विग्रह से एक अलौकिक देवी ‘मर्त्यलक्ष्मी’ को प्रकट कर उसको दक्षिणा’ नाम दिया और ब्रह्माजी को सौंप दिया।

*यज्ञपुरुष, दक्षिणा और फल*
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ब्रह्माजी ने यज्ञपुरुष के साथ दक्षिणा का विवाह कर दिया। देवी दक्षिणा के ‘फल’ नाम का पुत्र हुआ। इस प्रकार भगवान यज्ञ अपनी पत्नी दक्षिणा व पुत्र फल से सम्पन्न होने पर कर्मों का फल प्रदान करने लगे। इससे देवताओं को यज्ञ का फल मिलने लगा। इसीलिए शास्त्रों में दक्षिणा के बिना यज्ञ करने का निषेध है। दक्षिणा की कृपा के बिना प्राणियों के सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश व अन्य देवता भी दक्षिणाहीन कर्मों का फल देने में असमर्थ रहते हैं।

*दक्षिणाहीन कर्म हो जाता है निष्फल*
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बिना दक्षिणा के किया गया सत्कर्म राजा बलि के पेट में चला जाता है। पूर्वकाल में राजा बलि ने तीन पग भूमि के रूप में त्रिलोकी का अपना राज्य जब भगवान वामन को दान कर दिया तब भगवान वामन ने बलि के भोजन (आहार) के लिए दक्षिणाहीन कर्म उसे अर्पण कर दिया। श्रद्धाहीन व्यक्तियों द्वारा श्राद्ध में दी गयी वस्तु को भी बलि भोजन रूप में ग्रहण करते हैं।
कर्म की समाप्ति पर तुरन्त देनी चाहिए दक्षिणा

*मनुष्य को सत्कर्म करने के बाद तुरन्त दक्षिणा देनी चाहिए तभी कर्म का तत्काल फल प्राप्त होता है।*
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यदि जानबूझकर या अज्ञान से धार्मिक कार्य समाप्त हो जाने पर ब्राह्मण को दक्षिणा नहीं दी जाती, तो दक्षिणा की संख्या बढ़ती जाती है, साथ ही सारा कर्म भी निष्फल हो जाता है। संकल्प की हुई दक्षिणा न देने से (ब्राह्मण के अधिकार का धन रखने से) मनुष्य रोगी व दरिद्र हो जाता है व उससे लक्ष्मी, देवता व पितर तीनों ही रुष्ट हो जाते हैं।

शास्त्रों में दक्षिणा के बहुत ही अनूठे उदाहरण देखने को मिलते हैं✍☘💕

Theory' of success Life👏👏👏👏👏👏👏👏👏
Dont LIVE a limited life
साधारण जीवन मत जीओ । असाधारण जीवन के तरफ कदम बढ़ाते रहो । खुलकर जीओ, आनंद का हर पल को जीओ । ✍✍✍✍✍✍✍
Passion
जूनून होना चाहिए । अपने मकसद के प्रति एक पागलपन जैसा जूनून ।
✍✍✍✍✍✍✍✍✍Design for Yourself
अपने आपको निर्माण करो । अपने व्यक्तित्व पे पूंजी लगाते रहो और इसमें चमक पैदा करो । पढ़ो, सीखो और बढ़ो।
✍✍✍✍✍✍✍✍✍ Dont Sell Crap
बकबास नहीं बेचो, घटिया सामग्री आपकी घटिया सोच एवं घटिया तरक्की को दर्शाता है। उद्देश्य अच्छा है तो प्रोडक्ट्स भी अच्छा होना चाहिए ।
✍✍✍✍✍✍✍✍Build a Great Team
एक महान टीम का निर्माण करो । टीम जिसमे आप अपना दूरदृष्टि के साथ साथ जूनून भी डाल सको ।
✍✍✍✌✍✍✍✍Dont Do it for the Money
पैसों के लिए काम मत करो, पैसे तो बाय प्रोडक्ट्स होना चाहिए। उद्देश्य दूसरों को मदद करना, ऊपर उठाना होना चाहिए ।

✍✍✍✍✍✍✍✍Be Proud of Your Products
अपने उत्पाद पे आपको गर्व होना चाहिए । आपका प्रोडक्ट्स आपका शान और मान को ऊँचा करने वाला होना चाहिए।
✍✍✍✍✍✍✍Build around Customers
ग्राहक राजा है, ग्राहक ही आपका मित्र है । ग्राहक संतुष्टि पे ध्यान होना चाहिए । ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बनाने पे ध्यान देना चाहिए ।
✍✍✍✍✍✍✍✍ MarketingisaroundValues
मार्केटिंग मूल्य आधारित होना चाहिए, मान सम्मान के साथ होना चाहिए । झूठ, फरेब और धोखाधड़ी का स्थान नहीं होना चाहिए ।
✍✍✍✍✍✍✍✍StayHungrystayFoolish
हमेशा सिखने का भूख रहना चाहिए, निरंतर छात्र बने रहें । सुनना, पढ़ना, पूछना और अपनाना चलते रहना
🍏🍇🍏🍓🍏💐🍏🍒

मंगलवार, 7 नवंबर 2017

Ramayana

*रामायण कथा का एक अंश*
जिससे हमे *सीख* मिलती है *"एहसास"* की...
    🔰🔰🔰🔰🔰🔰

*श्री राम, लक्ष्मण एवम् सीता' मैया* चित्रकूट पर्वत की ओर जा रहे थे,
राह बहुत *पथरीली और कंटीली* थी !
की यकायक *श्री राम* के चरणों मे *कांटा* चुभ गया !

श्रीराम *रूष्ट या क्रोधित* नहीं हुए, बल्कि हाथ जोड़कर धरती माता से *अनुरोध* करने लगे !
बोले- "माँ, मेरी एक *विनम्र प्रार्थना* है आपसे, क्या आप *स्वीकार* करेंगी ?"

*धरती* बोली- "प्रभु प्रार्थना नहीं, आज्ञा दीजिए !"

प्रभु बोले, "माँ, मेरी बस यही विनती है कि जब भरत मेरी खोज मे इस पथ से गुज़रे, तो आप *नरम* हो जाना !
कुछ पल के लिए अपने आँचल के ये पत्थर और कांटे छुपा लेना !
मुझे कांटा चुभा सो चुभा, पर मेरे भरत के पाँव मे *आघात* मत करना"

श्री राम को यूँ व्यग्र देखकर धरा दंग रह गई !
पूछा- "भगवन, धृष्टता क्षमा हो ! पर क्या भरत आपसे अधिक सुकुमार है ?
जब आप इतनी सहजता से सब सहन कर गए, तो क्या कुमार भरत सहन नही कर पाँएगें ?
फिर उनको लेकर आपके चित मे ऐसी *व्याकुलता* क्यों ?"

*श्री राम* बोले- "नही...नही माते, आप मेरे कहने का अभिप्राय नही समझीं ! भरत को यदि कांटा चुभा, तो वह उसके पाँव को नही, उसके *हृदय* को विदीर्ण कर देगा !"

*"हृदय विदीर्ण* !! ऐसा क्यों प्रभु ?",
*धरती माँ* जिज्ञासा भरे स्वर में बोलीं !

"अपनी पीड़ा से नहीं माँ, बल्कि यह सोचकर कि...इसी *कंटीली राह* से मेरे भैया राम गुज़रे होंगे और ये *शूल* उनके पगों मे भी चुभे होंगे !
मैया, मेरा भरत कल्पना मे भी मेरी *पीड़ा* सहन नहीं कर सकता, इसलिए उसकी उपस्थिति मे आप *कमल पंखुड़ियों सी कोमल* बन जाना..!!"

अर्थात
*रिश्ते* अंदरूनी एहसास, आत्मीय अनुभूति के दम पर ही टिकते हैं ।
जहाँ *गहरी आत्मीयता* नही, वो रिश्ता शायद नही परंतु *दिखावा* हो सकता है ।
🔰🔰
इसीलिए कहा गया है कि...
*रिश्ते*खून से नहीं, *परिवार* से नही,
*मित्रता* से नही, *व्यवहार* से नही,
बल्कि...
सिर्फ और सिर्फ *आत्मीय "एहसास"* से ही बनते और *निर्वहन* किए जाते हैं।
जहाँ *एहसास* ही नहीं,
*आत्मीयता* ही नहीं ..
वहाँ *अपनापन* कहाँ से आएगा l
          🍃🍂🍃🍂🍃
*हम सबके लिए प्रेरणास्पद लघुकथा* ✍�✍

Wife

पत्नी की फटकार का महत्व-

              पत्नी की फटकार है अद्भुत,
             अद्भुत है पत्नी की मार।
             पत्नी के ताने सुन सुन कर,
             खुलते ज्ञान चक्षु के द्वार।।

दस्यु सुना उत्तर पत्नी का
भरम हो गया अंतर्ध्यान।
हार गई पत्नी से दस्युता
बाल्मिकी हुए कवि महान।।

             पत्नी से जब मार पड़ी तब,
             रोया फूट फूट नादान।
             कालिदास अनपढ़ मतिमंदा,
             हो गए कवि विद्वान महान।।

पत्नी की फटकार सुनी जब,
तुलसी भागे छोड़ मकान।
राम चरित मानस रच डाला,
जग में बन गए भक्त महान।।

             पत्नी छोड़ भगे थे जो जो,
             वही बने विद्वान महान।
             गौतम बुद्ध महावीर तीर्थंकर,
             पत्नी छोड़ बने भगवान।।

पत्नी छोड़ जो भागे मोदी
हुए आज हैं पंत प्रधान।।
अडवाणी ना छोड़ सके तो,
देख अभी तक हैं परेशान।।

             नहीं किया शादी पप्पू ने,
             नहीं सुनी पत्नी की तान।
             इसीलिए करता बकलोली,
             बना है मूर्ख मूढ़ नादान।।

हम भी पत्नी छोड़ न पाए,
इसीलिए तो हैं परेशान।
पत्नी छोड़ बनो सन्यासी,
पाओ मोक्ष और निर्वाण।।

👍🏼👍🏼👍🏼🤣🤣👍🏼👍🏼👍🏼

Wife

मास्टर जी – *पत्नी पे निबन्ध लिखो ❓*
                                         छात्र – *पत्नी पर निबंध*

Answer - पत्नी नामक प्राणी भारत सहित पूरे विश्व में बहुतायत पाए जाती है।

प्राचीन समय में यह भोजन शाला में पायी जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह *शॉपिंग मॉल्स , थिएटर्स  एवं रेस्तरा* के नजदीक विचरती हुई अधिक पायी जाती है।

पहले इस प्रजाति में *लम्बे बाल, सुन्दर आकृति* प्रायः पाये जाते थे। लेकिन अब *छोटे बाल, कृत्रिम श्वेत मुख, रक्त के सामान होठ* सामान्य रूप से देखे जा सकते है।

इनका मुख्य आहार पति नामक मूक प्राणी होता है। भारत में इन्हें *धर्मपत्नी, भाग्यवती, लक्ष्मी* नामो से भी जाना जाता है।

*अधिक बोलना, अकारण झगड़ना, अति व्यय करना*, इस प्रजाति के मुख्य लक्षणों में से है। हालाकि इस प्रजाति पर सम्पूर्ण अध्ययन करना संभव नहीं है, किन्तु सामान्यतः इनके निम्न प्रकार होते है।

1. *सुशील पत्नी*– यह प्रजाति अब लुप्त हो चुकी है। इस प्रजाति की प्राणी सुशील एवं सहनशील होतीे थी और घरो में ज्यादा पाये जाते थीे।

2. *आक्रामक पत्नी* – यह प्रजाति भारत सहित पूरे विश्व में बहुत अधिक मात्रा में पायी जाती है। ये अपनी आक्रामक शैली, एवं तेज प्रहार के लिए जानी जाती है। समय आने पर ये *बेलन, झाड़ू और चरण पादुकाओँ* का उपयोग अधिक करती है।

3. *झगडालू पत्नी* – यह प्रजाति भी वर्तमान में सभी जगह पायी जाती है। इन्हें जॊर से बोलना और झगडा करना अत्यंत पसंद होता है। इनका अधिकतर सामना *“सास”* नामक एक और अत्यंत खतरनाक प्राणी से होता है।

4. *खर्चीली पत्नी* – भारत जैसे गरीब देश में भी पत्नियों की ये प्रजाति निरंतर बढती जा रही है। इनकी मुख्य आदतों में क्रेडिट कार्ड रखना, *बिना विचार किये खर्च करना और बिना जरूरत वस्तुए खरीदना* है। इस प्रजाति के साथ पति नामक प्राणी को चप्पल में थका हुआ पीछे पीछे घूमते देखा जा सकता है।

5. *नखरीली पत्नी* – इस प्रजाति के प्राणी अधिकतर आइने के सामने देखी जाती है। इनके *होठ रक्त के सामान लाल, नाख़ून बड़े बड़े, केश सतरंगी और चेहरा श्वेत पाउडर* से लिपा होता है। इन्हें भोजन शाला में जाना और काम करना नापसंद होता है।

*चेतावनी*– पति नामक प्राणी के लिए इस प्रजाति के प्राणी अत्यंत खतरनाक व आक्रामक होते है। इन्हें समय-समय पर साड़ी, गिफ्ट्स, फ्लावर्स तथा करवा-चौथ के सुअवसर पर गहना इत्यादि के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है । लेकिन सनद रहे– केवल कुछ समय के लिए।

बीवियों के प्रकार
1. *आलसी बीवी* :::::::::::::
खुद जाकर चाय बना लो और एक कप मुझे भी दे देना …
2. *धमकाने वाली बीवी* ::::
कान खोलकर सुन लो , या तो इस घर में तुम्हारी माँ रहेगी या मैं …
3. *इतिहास-पसंद बीवी* ::::
सब जानती हूँ तुम्हारा खानदान कैसा है …
4. *भविष्य-वाचक बीवी* :::
अगले साथ जन्मो तक मेरे जैसी बीवी नहीं मिलेगी …
5. *भ्रमित बीवी*:::::::::::::
तुम आदमी हो या पजामा ?
6. *स्वार्थी बीवी* ::::::::::::
ये साड़ी मेरी माँ ने मुझे पहनने को दी है तुम्हारी बहनों के लिए नहीं ..
7. *शक्की बीवी* :::::::::::::
मेरी कौन सी सौतन से फ़ोन पर बात कर रहे थे ?
8. *अर्थशास्त्री बीवी* :::::::::
कौन सा कुबेर का खजाना कमा ले आते हो जो रोज़ पनीर खिलाऊ ?
9. *धार्मिक बीवी* :::::::::
शुक्र करो भगवान् का जो मेरे जैसी बीवी मिली …
10. *सबकी बीवी*:::::::::::::
मेरे नसीब में तुम ही लिखे थे
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂सभी सताये हुए पतियों को सुप्रभात के साथ समर्पित।