शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

*कोरोना काल में ससुराल यात्रा*********************कोरोना काल में जब पहुंच गया *ससुराल !*बहुत ही अजीब सा था वहां का हाल !!घर की घंटी बजाते ही *सास* दौड़ी आई !देख *जमाई* को आज, मजबूरी मे मुसकाई !!बोली थोड़ी देर गेट पर आप ठहर जाओ !वाश वेशन पर *सैनिटाइजर* से हाथ धो आओ !!पढे लिखे हो चेहरे पर *मास्क* नहीं लगाया ?घर पर ही रहना था किसी ने नहीं समझाया ??खैर आ ही गए हो तो दरवाजे पर जूते दो उतार !पैर धोकर आ जाओ चाय रखी है तैयार !!मन मे उठा *क्रोध* पर कुछ कह नहीं पाया !लगा जैसे *जमाई* नही, कोई *राक्षस ससुराल* आया !!इज्जत तो सारी आज *कोरोना* ने हर ली !बाकी की कसर *सासू माँ* ने पूरी कर ली !!फिर बेआबरू हो कदम *साली* की ओर बढाया !वहां से भी नकारात्मक सा उत्तर आया !!वो बोली *सामाजिक दूरी* को समझ नहीं पाये ?हमारे इतनी पास क्यूँ *जीजाजी* चले आऐ ??दूर से ही करती हूँ आज आपको नमस्ते !*छोटे साले* ने भी दूर से हाथ हिलाया, हंसते हंसते !! फिर *सलहज जी* की मधुर आवाज दी सुनाई !*कवारंटाइन* करना रे, बाहर से आया है *जमाई* !!चाय हाथ में थी, पर नहीं जा रही थी गटकी !चाय खत्म होते ही , लगाना चाह रहा था घुडकी !!जो काम सरकार *लोकडाउन* मे नहीं कर पाई !*ससुराल* वालों ने एक ही दिन में थी समझाई!*विनती करता हूं तुमसे इन हालात में ससुराल मत चले जाना मेरे भाई!*

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