शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

बुद्धि विक्रय केंद्र

*बुद्धि विक्रय केंद्र*

कुम्भ मेले में एक स्टाल लगा था जिस पर लिखा था, "बुद्धि विक्रय केंद्र "  !

लोगो की भीड उस स्टाल पर लगी थी !

मै भी पहुंचा तो देखा कि उस स्टाल पर अलग अलग शीशे के जार में कुछ रखा हुआ था !

एक जार पर लिखा था-
 बनिया की बुद्धि- 100 रुपये किलो

दूसरे जार पर लिखा था - 
गुर्जरों  की बुद्धि- 1000 रुपये किलो

तीसरे जार पर लिखा था- 
 दलितों की बुद्धि- 2000 रुपये किलो

चौथे जार पर लिखा था- 
 मुस्लिम की बुद्धि- 50000 रुपये किलो

मैं हैरान कि इस दुष्ट ने बनिये की बुद्धि की इतनी कम कीमत क्यों लगाई? 

गुस्सा भी आया कि इसकी इतनी मजाल, अभी मजा चखाता हूँ।

गुस्से से लाल मै भीड को चीरते हुआ..दुकानदार के पास पहुंचा और उससे पूछा कि तेरी हिम्मत कैसे हुयी जो बनिया की बुद्धि इतनी सस्ती बेचने की ?

उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कराया और बोला हुजूर बाजार के नियमानुसार...

जो चीज ज्यादा उत्पादित होती है, उसका रेट गिर जाता है !

आप लोगों की इसी बहुतायत बुद्धि के कारण ही तो आपलोग दीनहीन पड़े हैं !

राजनीति में कोई पूछने वाला भी नहीं है आप लोगों को..

स्वर्णिम इतिहास होने के बावजूद विकास की धारा से हट चुके हैं आप लोग....

सब एक दूसरे की टांग खींचते हैं 
और सिर्फ अपना नाम बडा देखना चाहते हैं...

किसी को सहयोग नहीं करते...
काम करने वाले की आलोचना करते है... 
और नीचा दिखाते हैं...!

आज हर जाति में एकता देखने को मिलती है सिर्फ बनिया को छोड़कर...!

जाइये साहब...पहले अपनी कौम को समझाइये और मुकाम हासिल करिए..!

और फिर आइयेगा मेरे पास... तो आप जिस रेट में कहेंगे, उस रेट में आप लोगों की बुद्धि बेचूंगा..!

मेरी जुबान पर ताला लग गया और मैं अपना सा मुंह लेकर चला आया !

इस छोटी सी कहानी के माध्यम से जो कुछ मैं कहना चाहता हूं,
आशा करता हूँ कि समझने वाले 
समझ गये होंगे !
 
और जो ना समझना चाहे 
वो अपने आपको बहुत बडा खिलाडी समझ सकते हैं..!

 

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

✧​ कूटने की परम्परा ✧​ 😇😉 🤓 😉😇 कल एक बुजुर्ग आदमी से पूछा, कि पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे, जितने आज हो रहे हैं. तो बुजुर्ग ने अपने तजुर्बे से बोला ~ भाईजी ! पहले कूटने की परंपरा थी,जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत रहता था.★ पहले हम हर चीज को कूटते थे. ★ जबसे हमने कूटना छोड़ा है, तब से हम सब बीमार होने लग गए. जैसे ... पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाते थे. घर में मिर्च मसाला कूटते थे, कभी-कभी तो बड़ा भाई भी छोटे को कूट देता था, और जब छोटा भाई उसकी शिकायत माँ से करता था, तो माँ बड़े भाई को कूट देती थी. और कभी-कभी तो दादाजी भी पोते को कूट देते थे. यानी कुल मिलाकर .... दिन भर कूटने का काम चलता रहता था. कभी माँ , बाजरा कूट कर शाम को खिचड़ी बनाती. पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे. स्कूल में मास्टरजी भी कूटते थे. जहाँ देखो वहाँ पर कूटने का काम चलता रहता था, इसीलिए बीमारी नजदीक नहीं आती थी. सबका इम्यूनिटी पावर मजबूत रहता था. जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से मना करता था, तो माँ , पहले कूटकर उसका इम्यूनिटी पावर बढ़ाती थी, और फिर नहलाती थी.★ वर्तमान समय में इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए कूटने की परंपरा फिर से चालू होनी चाहिए.

✧​  कूटने की परम्परा  ✧​
 
            😇😉 🤓 😉😇

  कल एक बुजुर्ग आदमी से पूछा, कि 
     पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे,
           जितने आज हो रहे हैं.
    तो बुजुर्ग ने अपने तजुर्बे से बोला ~
   भाईजी ! पहले कूटने की परंपरा थी,
जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत रहता था.
★  पहले हम हर चीज को कूटते थे. ★
   जबसे हमने कूटना छोड़ा है, तब से 
    हम सब बीमार होने लग गए.

   जैसे ... पहले खेत से अनाज को 
               कूट कर घर लाते थे.
     घर में मिर्च मसाला कूटते थे,

     कभी-कभी तो बड़ा भाई भी
   छोटे को कूट देता था, और जब 
      छोटा भाई उसकी शिकायत
        माँ से करता था, तो माँ
      बड़े भाई को कूट देती थी.

   और कभी-कभी तो दादाजी भी 
           पोते को कूट देते थे.

   यानी कुल मिलाकर .... दिन भर
  कूटने का काम चलता रहता था.

      कभी माँ , बाजरा कूट कर 
       शाम को खिचड़ी बनाती.

  पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे.
     स्कूल में मास्टरजी भी कूटते थे.
     जहाँ देखो वहाँ पर कूटने का काम
         चलता रहता था, इसीलिए
      बीमारी नजदीक नहीं आती थी.

          सबका इम्यूनिटी पावर
             मजबूत रहता था.

        जब कभी बच्चा सर्दी में 
        नहाने से मना करता था, 
        तो माँ , पहले कूटकर
    उसका इम्यूनिटी पावर बढ़ाती थी,
         और फिर नहलाती थी.
            वर्तमान समय में 
    इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए 
          कूटने की परंपरा 
      फिर से चालू होनी चाहिए.

                    🙏

आप सभी से निवेदन है अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जो कैंसर से पीड़ित हो और अपना इलाज करा कर थक चुके हो तो *गरम नारियल पानी प्लीज*


आप सभी से निवेदन है अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जो कैंसर से पीड़ित हो और अपना इलाज करा कर थक चुके हो तो 
*गरम नारियल पानी प्लीज*
 
TATA मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. राजेन्द्र ए. बडवे ने जोर देकर कहा कि यदि *जो हर कोई इस समाचार पत्र को प्राप्त करता है, वह दस प्रतियों को दूसरों को अग्रेषित कर सकता है, तो निश्चित रूप से कम से कम एक जीवन वापस बच जाएगा ... * मैंने पहले ही अपना हिस्सा बना लिया है, आशा है कि आप भी कर सकते हैं।  अपने हिस्से के साथ मदद करें।  धन्यवाद!

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आवत ही हरषै नहीं ,नैनन नहीं सनेह, तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेहl तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस स्थान या जिस घर में आपके जाने से लोग खुश नहीं होते हों और उन लोगों की आँखों में आपके लिए न तो प्रेम और न ही स्नेह हो, वहाँ हमें कभी नहीं जाना चाहिए, चाहे वहाँ धन की हीं वर्षा क्यों न होती हो।*🙏🙏