आवत ही हरषै नहीं ,नैनन नहीं सनेह, तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेहl तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस स्थान या जिस घर में आपके जाने से लोग खुश नहीं होते हों और उन लोगों की आँखों में आपके लिए न तो प्रेम और न ही स्नेह हो, वहाँ हमें कभी नहीं जाना चाहिए, चाहे वहाँ धन की हीं वर्षा क्यों न होती हो।*🙏🙏
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