रविवार, 29 अप्रैल 2018
🙏🏻🙏🏻 *_क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें…_* *_"क"- क्लेश मत करो! "ख"- खराब मत करो! "ग"- गर्व ना करो! 'घ"- घमण्ड मत करो! "च"- चिँता मत करो! "छ"- छल-कपट मत करो! "ज"- जवाबदारी निभाओ! "झ"- झूठ मत बोलो! "ट"- टिप्पणी मत करो! 'ठ"- ठगो मत! "ड"- डरपोक मत बनो! "ढ"- ढोंग ना करो! "त"- तैश मे मत रहो! "थ"- थको मत! "द"- दिलदार बनो! "ध"- धोखा मत करो! न- नम्र बनो! "प"- पाप मत करो! "फ"- फालतू के काम मत करो! "ब"- बिगाङ मत करो! "भ"- भावुक बनो! "म"- मधुर बनो! "य"- यशश्वी बनो! "र"- रोओ मत! "ल"- लोभ मत करो! "व"- वैर मत करो! "श"- शत्रुता मत करो! "ष"- षटकोण की तरह स्थिर रहो! "स"- सच बोलो! "ह"- हँसमुख रहो! "क्ष"- क्षमा करो! "त्र"- त्रास मत करो! "ज्ञ"- ज्ञानी बनो..!!_*
दिल्ली के *मेट्रो ट्रेन* में एक *लडका*
रोजाना *बुजुर्ग महिला* के लिये
अपनी *सीट* खाली कर देता था
.
*बुढिया* भी बडे *स्नेह* के साथ
.
रोज उसे कुछ *काजू किशमिश*
और *पिस्ते के टुकड़े* खाने को दिया करती थी
.
लडका *खा* लेता था
.
*कई दिनो तक* ऐसा ही चलता रहा
. आखिरकार एक दिन उस लड़के ने *बूढी अम्मा* से पूछा
:आप रोज मुझे ये *मेवे* क्यो खाने को देती है ।
.
बूढी अम्मा *भावुक* हो कर
बोली :
मुझे *केडबरी फ्रूटस एंड नट* बहुत पसंद है ।
.अब मुँह में *दांत* तो रहे
नहीं
तो चाकलेट *चूस* लेती हूँ
और
*ड्राई फ्रूटस तुम्हे दे देती हूँ*
रामायण में सभी राक्षसों का
वध हुआ था।
लेकिन💥 सूर्पनखा का वध
नहीं हुआ था
उसकी नाक और कान काट
कर छोड़ दिया गया था ।
वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर
रहती थी ।
रावन के मर जाने के बाद वह
अपने पति के साथ शुक्राचार्य
के पास
गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी ।
राक्षसों का वंश ख़त्म न
हो
इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव
जी की आराधना की ।
शिव जी ने
अपना स्वरुप शिवलिंग
शुक्राचार्य को दे कर कहा की जिस दिन
कोई "वैष्णव" इस पर
गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन
राक्षसों का नाश हो जायेगा ।
उस आत्म लिंग को शुक्राचार्य
ने वैष्णव मतलब हिन्दुओं
से दूर रेगिस्तान में स्थापित
किया
जो आज अरब में
"मक्का मदीना" में है ।
सूर्पनखा जो उस समय चेहरा
ढक कर रखती थी वो परंपरा
को उसके बच्चो ने पूरा
निभाया ओर आज भी
मुस्लिम औरतें चेहरा ढकी
रहती हैं।
सूर्पनखा के वंसज
आज मुसलमान कहलाते हैं ।
क्यूँकी शुक्राचार्य ने इनको
जीवन दान
दिया , इस लिए ये शुक्रवार
को विशेष
महत्त्व देते हैं ।
पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है।⛳
जानिए इस्लाम कैसे पैदा हुआ..
👉असल में इस्लाम कोई धर्म नहीं है .एक मजहब है..
दिनचर्या है..
👉मजहब का मतलब अपने
कबीलों के गिरोह को बढ़ाना..
👉यह बात सब जानते है की मोहम्मदी मूलरूप से अरब
वासी है ।
👉अरब देशो में सिर्फ रेगिस्तान पाया जाता है.वहां जंगल नहीं है,
पेड़ नहीं है. इसीलिए वहां
मरने के बाद जलाने
के लिए लकड़ी न होने के
कारण ज़मीन में दफ़न कर
दिया जाता था.
👉रेगिस्तान में हरीयाली
नहीं होती.. ऐसे में रेगिस्तान
में हरा चटक रंग देखकर
इंसान चला आता की यहाँ
जीवन है ओर ये हरा रंग
सूचक का काम करता था..
👉अरब देशो में लोग
रेगिस्तान में तेज़ धुप में
सफ़र करते थे, इसीलिए
वहां के लोग सिर को
ढकने के लिए
टोपी 💂पहनते थे।
जिससे की लोग बीमार न पड़े.
👉अब रेगिस्तान में खेत
तो नहीं थे, न फल, तो
खाने के लिए वहा अनाज
नहीं होता था. इसीलिए वहा
के
लोग 🐑🐃🐄🐐🐖जानवरों
को काट कर खाते थे. और अपनी भूख मिटाने के लिए
इसे क़ुर्बानी का नाम दिया
गया।
👉रेगिस्तान में पानी की
बहुत कमी रहती थी,💧
इसीलिए लिंग (मुत्रमार्ग)
साफ़ करने में पानी बर्बाद
न हो जाये इसीलिए लो
ग खतना
(अगला हिस्सा काट देना ) कराते
थे।
👉सब लोग एक ही कबिलो के
खानाबदोश होते थे
इसलिए
आपस में भाई बहन ही
निकाह कर लेते थे।
👉रेगिस्तान में मिट्टी
मिलती नहीं थी मुर्ती बनाने
को इसलिए मुर्ती पुजा नहीं
करते थे| खानाबदोश थे ,
👉 एक जगह से दुसरी जगह
जाना पड़ता था इसलिए
कम बर्तन रखते थे और एक थाली नें पांच लोग खाते थे|
👉कबीले की अधिक से
अधिक संख्या बढ़े इसलिए
हर एक
को चार बीवी रखने
की इज़ाजत दी जाती थी
..
🔥अब समझे इस्लाम
कोई धर्म नहीं मात्र एक कबीला है..
और इसके नियम असल में इनकी दिनचर्या है ।
नोट : पोस्ट पढ़के इसके
बारे में सोचो।
#इस्लाम_की_सच्चाई
अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि
अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती
ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के
बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था ।
और फिर किस तरह
पृथ्वीराज चौहान की वीर
पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को
72 हूरों के पास भेजा
था ।
तो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए
"अजमेर के ख्वाजा
मुइनुद्दीन चिश्ती को ९०
लाख हिंदुओं को इस्लाम
में लाने का गौरव प्राप्त
है ।
मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था...
(सन्दर्भ - उर्दू अखबार
"पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क
१४ मई
२०१२).
अधिकांश मुर्दा हिन्दू तो शेयर
भी नहीं करेंगे,
,धिक्कार है ऐसे हिन्दुओ पर !!
बुधवार, 25 अप्रैल 2018
*पुरुष का श्रृंगार तो स्वयं प्रकृति ने किया है..*
*स्त्रियाँ* काँच का टुकड़ा हैं..जो मेकअप की रौशनी पड़ने पर ही चमकती हैं..
किन्तु *पुरुष* हीरा है जो अँधेरे में भी चमकता है और उसे मेकअप की कोई आवश्यकता नहीं होती।
खूबसूरत *मोर* होता है *मोरनी* नहीं..
मोर *रंग - बिरंगा* और *हरे - नीले* रंग से सुशोभित..जबकि मोरनी *काली सफ़ेद*..
मोर के *पंख* होते हैं इसीलिए उन्हें *मोरपंख* कहते हैं..मोरनी के पंख नहीं होते..
*दांत* हाथी के होते हैं,हथिनी के नहीं। हांथी के दांत *बेशकीमती* होते हैं। *नर हाथी* मादा हाथी के मुकाबले बहुत *खूबसूरत* होता है।
*कस्तूरी* नर हिरन में पायी जाती है। *मादा हिरन* में नहीं।
नर हिरन *मादा हिरन* के मुकाबले बहुत *सुन्दर* होता है।
*मणि* नाग के पास होती है , *नागिन* के पास नहीं।
नागिन ऐसे नागों की दीवानी होती है जिनके पास *मणि* होती है।
*रत्न महासागर* में पाये जाते हैं, *नदियो* में नहीं..और *अंत* में *नदियों* को उसी *महासागर* में गिरना पड़ता है।
*संसार* के बेशकीमती *तत्व* इस प्रकृति ने *पुरुषों* को सौंपे..
*प्रकृति ने पुरुष* के साथ अन्याय नहीं किया..
*9 महीने* स्त्री के गर्भ में रहने के बावजूद भी *औलाद का चेहरा*, स्वभाव पिता की तरह होना,
ये संसार का सबसे बड़ा *आश्चर्य* है..
क्योंकि ,
*पुरुष का श्रृंगार* प्रकृति ने करके भेजा है,उसे श्रृंगार की आवश्यकता नहीं...
मंगलवार, 24 अप्रैल 2018
लू लगने से मृत्यु क्यों होती है ?
हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है ?
👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है ।
👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है ।
👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है । (बंद कर देता है )
👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है ।
👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता
है ।
👉 स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते
हैं ।
👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है ।
👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है ।
👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-2 पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा ।
कृपया 12 से 3 बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें ।
तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा ।
यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा ।
(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है) ।
कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें ।
किसी भी अवस्था में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पियें । किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 लीटर पानी जरूर लें ।
जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें । किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है ।
ठंडे पानी से नहाएं । इन दिनों मांस का प्रयोग छोड़ दें या कम से कम
करें ।
फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें ।
हीट वेव कोई मजाक नही है ।
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है ।
शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है ।
अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें ।
सोमवार, 23 अप्रैल 2018
ब्राह्मणों की कहानी
जब भूकम्प आने वाला हो तो उनको पता नहीं होता ,
जब हुदहुद तूफान आने वाला हो तो पता नहीं होता
जब ट्रेन पलटने वाली या लड़ने वाली हो तो पता नहीं होता,
जब नोट बदलने वाला हो तो पता नहीं होता,
जब अपने देश पर हमला होने वाला हो तो पता नहीं होता,
जब देश मे बंम बिस्फोट होने वाला हो तो पता नहीं होता
जब केदार नाथ बाढ़ मे बह जाने वाला हो तो पता नहीं होता,
जब भारत की राजधानी में किसी बस में लड़की का रेप होने वाला हो तो पता नहीं होता ,
जब देश मे आतंकवादी घूम रहे होते तो पता नहीं होता,
जब सीमा के सैनिकों का गला कटने वाला हो तो पता नही होता,
जब चारो धाम जाते समय यात्री बस खाई मे गिरने वाला हो तो पता नहीं होता,
जब कोई प्लेन लुप्त होने वाली हो तो पता नहीं होता,
जब बारिस होने पर बिजली कड़कने वाली हो और किसी के ऊपर बिजली गिरने वाली हो तो इन्हें पता नहीं होता।
इनको केवल वह पता होता जो सम्भव नहीं
_जैसे किसी पर_
- ग्रह नक्षत्र दोष,
- पिछले जन्म का पाप,
- मरने के बाद स्वर्ग दिलाना,
- मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठत करना ( जान डालना )
- माता-पिता को मरने के बाद स्वर्ग में बैठाना,
- साढ़े साती, शनि, ढैय्या चढ़ना और उतारना
- धरती के अन्दर पानी देखना
आदि सभी अन्ध विश्वास मनगढंत बातें
जिनको पिछले जन्म की_और स्वर्ग की जानकारी हो;
वे ये सब क्यों नहीं जानते ?
ब्राह्मण मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठित कर सकता है
लेकिन अपने मरे हुये बच्चे 5 मिनट के लिए जीवित नही कर सकता
इसलिए नहीं जानते क्योंकि ये सब देखे जा सकते हैं,
हक़ीकत जाना जा सकता है
पाखण्ड और अन्धविश्वास मे न पड़ कर अपना दीपक स्वयं बने
*समोसे वाला*
चर्चगेट, मुंबई से मेरे घर से काम पर जाने के लिये लोकल ट्रेन की यह रोज़मर्रा की यात्रा थी। मैंने सुबह ६.५० की लोकल पकड़ी थी।
ट्रेन मरीन लाईन्स से छूटने ही वाली थी कि एक समोसे वाला अपनी ख़ाली टोकरी के साथ ट्रेन में चढ़ा और मेरी बग़ल वाली सीट पर आ कर बैठा गया।
चूँकि उस दिन भीड़ कम थी और मेरा स्टेशन अभी दूर था, तो मैंने उस समोसे वाले से बातचीत करनी शुरु की।
*मैं*- लग रहा है, सारे समोसे बेच आये हो!
*समोसे वाला* (मुस्कुरा कर)- हाँ, भगवान की कृपा है कि आज पूरे समोसे बिक गये हैं!
*मैं*- मुझे आप लोगों पर दया आती है। दिन भर यही काम करते हुये, कितना थक जाते होगे, आप लोग!
*समोसे वाला*- अब हम लोग भी क्या करें, सर? रोज़ इन्हीं समोसे को बेचकर ही तो १ रुपया प्रति समोसा कमीशन मिल पाता है।
*मैं*- ओह! तो ये बात है। वैसे कितने समोसे बेच लेते हो, दिन-भर में...लगभग?
*समोसे वाला*- शनिवार-इतवार को तो ४००० से ५००० समोसे बिक जाते हैं। वैसे औसतन ३००० समोसे प्रतिदिन ही समझो।
मेरे पास तो बोलने के लिये शब्द ही नहीं बचे थे! ये आदमी १ रुपया प्रति समोसा की दर से ३,००० हजार समोसे बेचकर रोज़ ३,००० रु यानी महीने में ९०,००० रुपये कमा रहा था! ओह माई गॉड!
मैं और भी बारीकी से बात करने लगा, अब ‘टाईम-पास’ करने वाली बात नहीं रह गई थी।
*मैं*- तो ये समोसे तुम खुद नहीं बनाते?
*समोसे वाला*- नहीं सर, वो हम लोग एक दूसरे समोसा बनाने वाले से लेकर आते हैं, वो हम लोगों को समोसा देता है, हम लोग उसे बेचकर पूरा पैसा वापस दे देते हैं, फिर वो १ रुपया प्रति समोसा की दर से हम लोगों का हिसाब कर देता है!
मेरे पास तो बोलने को एक शब्द भी नहीं बचा था, पर समोसे वाला बोले जा रहा था...
“पर एक बात है सा’ब, हम लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा हम लोगों के मुंबई में रहने पर ही ख़र्च हो जाता है! उसके बाद जो बचता है सिर्फ उसी से ही दूसरा धंधा कर पाते हैं।”
*मैं*- ‘दूसरा धंधा?’ अब ये कौन सा धंधा है?
*समोसे वाला*- ये ज़मीन का धंधा है, सा’ब! मैंने सन् २००७ में डेढ़ एकड़ ज़मीन ख़रीदी थी - १० लाख रुपयों में। इसे मैंने कुछ महीने पहले ही ८० लाख रुपयों में बेची है। उसके बाद मैंने अभी-अभी उमराली में ४० लाख की नई ज़मीन ख़रीदी है।
*मैं*- और बाकी बचे हुये पैसों का क्या किया?
*समोसे वाला*- बाकी बचे पैसों में से २० लाख रुपये तो मैंने अपनी बिटिया की शादी के लिये अलग रख दिये हैं। बचे रुपये २० लाख को मैंने बैंक, पोस्ट ऑफ़िस, म्युचुअल फ़ण्ड, सोना और कैश-बैक बीमा पॉलिसी में लगा दिया है।
*मैं*- कितना पढ़े हो तुम?
*समोसे वाला*- मैं तो सिर्फ तीसरी तक ही पढ़ा हूँ! चौथी में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। पर मैं पढ़ और लिख लेता हूँ।
खार स्टेशन आते ही वो समोसे वाला खड़ा हो गया।
*समोसे वाला*- सर, मेरा स्टेशन आ गया है। चलता हूँ, नमस्कार!
*मैं*- नमस्कार, अपना ख़्याल रखना!
मेरी खोपड़ी में बहुत सारे सवाल घूम रहे थे!
*१*- क्या समोसे बनाने वाला जी एस टी देता है? ट्रेन्स में उसके १० समोसा बेचने वाले थे।
*२*- क्या मैं बेवक़ूफ़ हूँ, जो आधार कार्ड और पैन कार्ड को बैंक के खातों से जुड़वाता फिर रहा हूँ? और अपनी तनख़्वाह से टीडीएस भी कटवा कर इंकम टैक्स भर रहा हूँ? फिर अपनी कार, मकान, बाइक के लिये लोन ले रहा हूँ? टीवी और एप्पल फ़ोन को किश्तों में ख़रीद रहा हूँ? मेरी सारी पढ़ाई-लिखाई इन समोसे बनाने और बेचने वालों के सामने तो कुछ भी नहीं है!
तो असली भारत में आपका स्वागत है! 🙃🙃👆👆
रविवार, 22 अप्रैल 2018
चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर
बीमारी
ठीक कर देते है....!
" चूना अमृत है " ..
🤔👌👌🤔👌👌🤔👌👌
* चूना एक टुकडा छोटे से मिट्टी के
बर्तन मे डालकर
पानी से भर दे , चूना गलकर नीचे और
पानी ऊपर
होगा !
वही एक चम्मच पानी किसी
भी खाने की
वस्तु के साथ लेना है ! 50 के उम्र के बाद
कोई
कैल्शियम की दवा शरीर मे जल्दी नही
घुलती चूना
तुरन्त घुल व पच जाता है ...
* जैसे किसी को पीलिया हो जाये
माने जॉन्डिस
उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ;गेहूँ के
दाने के बराबर
चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से
बहुत जल्दी
पीलिया ठीक कर देता है ।
* ये ही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी
दवा है -अगर
किसी के शुक्राणु नही बनता उसको
अगर गन्ने के रस
के साथ चूना पिलाया जाये तो साल
डेढ़ साल में
भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे; और जिन
माताओं के शरीर
में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा
है ये चूना ।
* बिद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत
अच्छा है जो
लम्बाई बढाता है ..
* गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में
मिला के
खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में
मिला के
खाओ, दाल नही है तो पानी में मिला
के पियो -
इससे लम्बाई बढने के साथ स्मरण शक्ति
भी बहुत
अच्छा होता है ।
* जिन बच्चों की बुद्धि कम काम
करती है मतिमंद
बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना
..जो बच्चे
बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते
है, देर में
सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन
सभी बच्चे को
चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।
* बहनों को अपने मासिक धर्म के समय
अगर कुछ भी
तकलीफ होती हो तो उसका सबसे
अच्छी दवा है
चूना । हमारे घर में जो माताएं है
जिनकी उम्र पचास
वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म
बंध हुआ उनकी
सबसे अच्छी दवा है चूना..
* गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन
खाना दाल में,
लस्सी में, नही तो पानी में घोल के
पीना । जब
कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज
खाना
चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे
ज्यादा
केल्शियम की जरुरत होती है और चूना
केल्शियम का
सबसे बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को
चूना
खिलाना चाहिए ..अनार के रस में -
अनार का रस
एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये
मिलाके
रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार
दीजिये..तो
चार फायदे होंगे -
पहला फायदा :-
माँ को बच्चे के जनम के समय कोई
तकलीफ नही
होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगा,
दूसरा :-
बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट
और तंदुरुस्त
होगा ,
तीसरा फ़ायदा :-
बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही
पड़ता
जिसकी माँ ने चूना खाया ,
चौथा सबसे बड़ा लाभ :-
बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत
Intelligent और
Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा
होता है ।
* चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर
का दर्द
ठीक करता है ,कंधे का दर्द ठीक करता
है,
* एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis
वो चूने से
ठीक होता है ।
* कई बार हमारे रीढ़की हड्डी में जो
मनके होते है
उसमे दुरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है
- ये चूना ही
ठीक करता है
उसको; रीड़ की हड्डी की सब
बीमारिया चूने से
ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट
जाये तो टूटी
हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे
ज्यादा चूने में
है । चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।
* मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो
चूना खाओ
बिलकुल ठीक हो जाता है ,
* मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का
पानी पियो
तुरन्त ठीक हो जाता है ।
* शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना
जरुर लेना
चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है
उसकी सबसे
अच्छी दवा है ये चूना , चूना पीते रहो
गन्ने के रस में ,
या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है
अनार के रस
में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत
बढता है , बहुत
जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का
रस गेहूँ के दाने
के बराबर चूना सुबह खाली पेट ।
* घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर
कहे के घुटना
बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते
रहिये और
हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा खाइए घुटने
बहुत अच्छे
काम करेंगे । —.
एक कहानी मिली है,इस कहानी को पढ़ कर सोचिये और समझिये।।।
ध्यान से पढ़ें,
किसी गाँव में चार मित्र रहते थे।
चारों में इतनी घनी मित्रता थी कि हर समय साथ रहते उठते बैठते, योजनाएँ बनाते।
एक ब्राह्मण
एक ठाकुर
एक बनिया और
एक नाई था
पर कभी भी चारों में जाति का भाव नहीं था गज़ब की एकता थी।
इसी एकता के चलते वे गाँव के किसानों के खेत से गन्ने
चने
आदि चीजे उखाड़ कर खाते थे।
एक दिन इन चारों ने किसी किसान के खेत से चने के झाड़ उखाड़े और खेत में ही बैठकर हरी हरी फलियों का स्वाद लेने लगे।
खेत का मालिक किसान आया
चारों की दावत देखी उसे बहुत क्रोध आया
उसका मन किया कि लट्ठ उठाकर चारों को पीटे
पर चार के आगे एक?
वो स्वयं पिट जाता
सो उसने एक युक्ति सोची।
चारों के पास गया,
ब्राह्मण के पाँव छुए,
ठाकुर साहब की जयकार की
बनिया महाजन से राम जुहार और फिर
नाई से बोला--
देख भाई
ब्राह्मण देवता धरती के देव हैं,
ठाकुर साहब तो सबके मालिक हैं अन्नदाता हैं,
महाजन सबको उधारी दिया करते हैं
ये तीनों तो श्रेष्ठ हैं
तो भाई इन तीनों ने चने उखाड़े सो उखाड़े पर तू? तू तो ठहरा नाई तूने चने क्यों उखाड़े?
इतना कहकर उसने नाई के दो तीन लट्ठ रसीद किये।
बाकी तीनों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उनकी तो प्रशंसा हो चुकी थी।
अब किसान बनिए के पास आया और बोला-
तू साहूकार होगा तो अपने घर का
पण्डित जी और ठाकुर साहब तो नहीं है ना! तूने चने क्यों उखाड़े?
बनिये के भी दो तीन तगड़े तगड़े लट्ठ जमाए।
पण्डित और ठाकुर ने कुछ नहीं कहा।
अब किसान ने ठाकुर से कहा--
ठाकुर साहब
माना आप अन्नदाता हो पर किसी का अन्न छीनना तो ग़लत बात है
अरे पण्डित महाराज की बात दीगर है
उनके हिस्से जो भी चला जाये दान पुन्य हो जाता है
पर आपने तो बटमारी की! ठाकुर साहब को भी लट्ठ का प्रसाद दिया,
पण्डित जी बोले नहीं,
नाई और बनिया अभी तक अपनी चोट सहला रहे थे।
जब ये तीनों पिट चुके
तब किसान पण्डितजी के पास गया और बोला--
माना आप भूदेव हैं
पर इन तीनों के गुरु घण्टाल आप ही हैं
आपको छोड़ दूँ
ये तो अन्याय होगा
तो दो लट्ठ आपके भी पड़ने चाहिए।
मार खा चुके बाकी तीनों बोले
हाँ हाँ, पण्डित जी को भी दण्ड मिलना चाहिए।
अब क्या पण्डित जी भी पीटे गए।
किसान ने इस तरह चारों को अलग अलग करके पीटा
किसी ने किसी के पक्ष में कुछ नहीं कहा,
उसके बाद से चारों कभी भी एक साथ नहीं देखे गये।
मित्रों पिछली दो तीन सदियों से हिंदुओं के साथ यही होता आया है,
कहानी सच्ची लगी हो तो समझने का प्रयास करो और
अगर कहानी केवल कहानी लगी हो
तो आने वाले समय के लट्ठ तैयार हैं। 🌹
मंगलवार, 17 अप्रैल 2018
अक्षय तृतीया का महत्व, पूजा का मुहूर्त और पूजन विधिI
अक्षय तृतीया को आखातीज भी कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ माना जाता है। इस दिन किया हुआ तप, दान अक्षय फलदायक होता है। इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में पड़ता है तो महा फलदायक माना जाता है। इस दिन प्रातः काल पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली, वस्त्र के दान का बहुत महत्व माना जाता है।
कैसे करें पूजा
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है। नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित की जाती है। इसके बाद फल, फूल, बरतन तथा वस्त्र आदि ब्राह्मणों को दान के रूप में दिये जाते हैं। इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।
पूजा का मुहूर्त
अक्षय तृतीया पर इस वर्ष पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय सुबह 6 बजकर 7 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक है। इसके अलावा यदि आप सोना खरीदना चाह रहे हैं तो 18 अप्रैल को दोपहर तीन बजकर 45 मिनट से लेकर 19 अप्रैल 2018 के दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक खरीद सकते हैं।
भगवान देते हैं दर्शन
इस दिन श्री बद्रीनारायण जी के पट खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। इस दिन ठाकुर द्वारे जाकर या बद्रीनारायण जी का चित्र सिंहासन पर रखकर उन्हें भीगी हुई चने की दाल और मिश्री का भोग लगाते हैं। कहते हैं भगवान परशुराम जी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
दान प्रधान है यह पर्व
यह पर्व दान प्रधान माना गया है। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र इत्यादि का दान बेहद पुण्यदायी माना गया है। पंचांग के मुताबिक यह तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है।
कर सकते हैं कोई भी मांगलिक कार्य
इस पर्व के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह−प्रवेश, वस्त्र−आभूषणों की खरीददारी या घर, वाहन आदि की खरीददारी आदि कार्य किये जा सकते हैं। पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस दिन अपने पितरों को किया गया तर्पण भी अक्षय फल प्रदान करता है। लोग इस दिन गंगा स्नान करते हैं क्योंकि मान्यता है कि इससे तथा भगवत पूजन से उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। पुरानी मान्यता यह भी है कि इस दिन यदि अपनी गलतियों के लिए भगवान से क्षमा मांगी जाए तो वह माफ कर देते हैं।
खूब खरीदें सोना
यह माना जाता है कि इस दिन ख़रीदा गया सोना कभी समाप्त नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह दिन सौभाग्य और सफलता का सूचक है।
कथा− अक्षय तृतीया का महत्व युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा था। तब श्रीकृष्ण बोले, 'राजन! यह तिथि परम पुण्यमयी है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है। इसी दिन से सतयुग का प्रारम्भ होता है। इस पर्व से जुड़ी एक प्रचलित कथा इस प्रकार है−
प्राचीन काल में सदाचारी तथा देव ब्राह्म्णों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था। इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से व्रत के माहात्म्य को सुना। कालान्तर में जब यह पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया। विधिपूर्वक देवी देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूं, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान कीं। स्त्री के बार−बार मना करने, कुटुम्बजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म कर्म और दान पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई।