रविवार, 28 अक्तूबर 2018

        

          गाँव में *नीम* के पेड़ कम हो रहे है        
          घरों में *कड़वाहट* बढती जा रही है !

          जुबान में *मीठास* कम हो रही है,
          शरीर मे *शुगर* बढती जा रही है !

   किसी महा पुरुष ने सच ही कहा था की जब *किताबे* सड़क किनारे रख कर बिकेगी और *जूते* काँच के शोरूम में तब समझ जाना के लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरुरत है।



    *"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें
*"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं
आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो
        देखते नही हैं *"लोग"*
जब *"रूह"* निकल जाएगी तो
          *"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे
*किसी ने क्या खूब लिखा है*
            *"वक़्त"* निकालकर
*"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"*
अगर *"अपने ही"* न रहेंगे
          तो *"वक़्त"* का क्या करोगे
*"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"*
आज *"मिट्टी"* के ऊपर
          तो कल "मीट्टीकै नीचे.

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