गाँव में *नीम* के पेड़ कम हो रहे है
घरों में *कड़वाहट* बढती जा रही है !
जुबान में *मीठास* कम हो रही है,
शरीर मे *शुगर* बढती जा रही है !
किसी महा पुरुष ने सच ही कहा था की जब *किताबे* सड़क किनारे रख कर बिकेगी और *जूते* काँच के शोरूम में तब समझ जाना के लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरुरत है।
*"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें
*"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं
आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो
देखते नही हैं *"लोग"*
जब *"रूह"* निकल जाएगी तो
*"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे
*किसी ने क्या खूब लिखा है*
*"वक़्त"* निकालकर
*"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"*
अगर *"अपने ही"* न रहेंगे
तो *"वक़्त"* का क्या करोगे
*"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"*
आज *"मिट्टी"* के ऊपर
तो कल "मीट्टीकै नीचे.
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