मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

स्त्री के बगैर पुरुष की जिंदगी बेकार है ।
*पुरुष को हमेशा
*स्त्री *का साथ चाहिए ।
मंदिर में कृष्ण के साथ *** राधा या
***  रुक्मणी।
राम के साथ ***सीता ।
शंकर के साथ
*** पार्वती । 
  ऐसे ही नहीं होते । 
  हम मनुष्यों में भी देखो ।
*** पढते समय विद्या । *** फिर लक्ष्मी ।
***और लास्ट मे शांति ।
*** सुबह उषा के साथ दिन की शुरुआत होती है ***  और संध्या के साथ दिन समाप्त ।किन्तु काम तो
*** अन्नपूर्णा के लिए ही करना है ।
*** निशा के समय भी
*** निंदिया रानी
सोने के बाद भी
*** सपना
मंत्रोचार करते समय
*** गायत्री ।
ग्रंथ पढें तो *** गीता ।
मंदिर में भगवान के सामने *** वंदना *** पूजा  और *** आरती ।
वो भी  *** श्रद्धा तो साथ ही है ।
उसमें भी अंधेरा हो तो *** ज्योति ।
अकेला पन लग रहा हो तो *** प्रेमवती  एवं
*** स्नेहा
लडाई लडने जाये तो *** जया और
*** विजया
बुढापे मे *** करुणा वो भी *** ममता के साथ ।
गुस्सा आ जाए तब
*** क्षमा
इसीलिए तो धन्य है
*स्त्री* को जिसके  वगेर पुरुष अधूरा है |

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