*संतान के लिए विरासत*
मृत्यु के समय टॉम स्मिथ ने अपने बच्चों को बुलाया, और अपने पद चिह्नों पर चलने की सलाह दी, ताकि उनको अपने हर कार्य में मानसिक शाँति मिले!
उसकी बेटी सारा ने कहा ~ डैडी ! यह दुर्भाग्यपूर्ण है, कि आप अपने बैंक में एक पैसा भी छोड़े बिना मर रहे हैं। यह घर भी ... जिसमें हम रहते हैं , किराये का है।
सॉरी ... मैं आपका अनुसरण नहीं कर सकती।
कुछ क्षण बाद उसके पिता ने अपने प्राण त्याग दिये।
तीन साल बाद ... सारा एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में इंटरव्यू देने गई। इंटरव्यू में कमेटी के चेयरमैन को सारा ने उत्तर दिया :- मैं सारा स्मिथ हूँ। मेरे पिता टॉम स्मिथ अब नहीं रहे।
चेयरमैन .. कमेटी के अन्य सदस्यों की ओर घूमकर बोले -यह आदमी स्मिथ वह था, जिसने ... प्रशासकों के संस्थान में मेरे सदस्यता फ़ार्म पर हस्ताक्षर किये थे, और ... उसकी सिफारिश से ही मैं वह स्थान पा सका हूँ ,
जहाँ मैं आज हूँ. उसने यह सब कुछ भी बदले में लिये बिना किया था। फिर वे सारा की ओर मुड़े,मुझे तुमसे कोई सवाल नहीं पूछना।
तुम स्वयं को इस पद पर चुना हुआ मान लो। कल आना ... तुम्हारा नियुक्ति पत्र तैयार मिलेगा।
सारा स्मिथ उस कम्पनी में कॉरपोरेट मामलों की प्रबंधक बन गई।उसे ड्राइवर सहित दो कारें,ऑफिस से जुड़ा हुआ डुप्लेक्स मकान, और एक लाख पाउंड प्रतिमाह का वेतन अन्य भत्तों और ख़र्चों के साथ मिला।
उस कम्पनी में दो साल कार्य करने के बाद कम्पनी का प्रबंध निदेशक एक दिन अमेरिका से आया।
उसकी इच्छा त्यागपत्र देने और अपने बदले किसी अन्य को पद देने की थी, जो बहुत सत्यनिष्ठ ईमानदार हो।
कम्पनी के सलाहकार ने उस पद के लिए सारा स्मिथ को नामित किया।
एक इंटरव्यू में सारा से उसकी सफलता का राज पूछा गया।आँखों में आँसू भरकर उसने उत्तर दिया ~ मेरे पिता ने मेरे लिए मार्ग खोला था।
उनकी मृत्यु के बाद ही मुझे पता चला कि वे वित्तीय दृष्टि से निर्धन थे. लेकिन प्रामाणिकता, अनुशासन और सत्यनिष्ठा में ~ वे बहुत ही धनी थे।
फिर उससे पूछा गया, कि वह रो क्यों रही है ?
उसने उत्तर दिया - मृत्यु के समय मैंने ईमानदार और प्रामाणिक होने के कारण अपने पिता का अपमान किया था।
मुझे आशा है कि अब वे मुझे क्षमा कर देंगे। मैंने यह सब प्राप्त करने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने ही मेरे लिए यह सब किया था।
अन्त में उसका सीधा उत्तर था- मैं अब अपने पिता की पूजा करती हूँ, उनका बड़ा सा चित्र मेरे कमरे में और घर के प्रवेश द्वार पर लगा है।
मेरे लिए ... भगवान के बाद उनका ही स्थान है,
ईमानदारी,अनुशासन ,आत्मनियंत्रण और ईश्वर से डरना ।
यही हैं जो किसी व्यक्ति को धनी बनाते हैं! अच्छी विरासत छोड़कर जाइए !
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