*GST सार*
हे पार्थ, परिवर्तन संसार का नियम है।
जो कल Sales Tax था, आज VAT है, कल GST होगा ।
तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो ।
जो लिया customer से लिया ।
जो दिया, दूकान मे देश की सरकार को दिया ,
जो बचा वो घर आकर पत्नी ( *घर की सरकार* ) को दे दिया ।
तुम्हारे पास तो पहले भी कुछ नही था, अभी भी कुछ नही रहेगा ।
अतएव, हे वत्स, व्यर्थ विक्षोभ एवं विलाप मत करो । निष्काम भाव से कर्म किये जाओ । रण दुन्दुभि बज गई है ।
*उठ, आॅख - नाक पोंछ , हे भारत माता के लाल* ,
*वीर योद्धा की तरह हथियार सम्हाल* ।
*गोदाम मे जितना भी है कच्चे का माल*
*वो सारा 30 June से पहले पहले निकाल*
बाकी बाद मे देखेंगे!
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