गुरुवार, 30 मार्च 2017

Anushthan Vidhi

🕉 *अनुष्ठान से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें*

*अनुष्ठान शुरू करने के दिन*

*शुभ दिन:*

*सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार और रविवार।*

*शुभ तिथि :*

*दूज, तीज, पंचमी, सप्तमी, दशमी, द्वादशी और त्रयोदशी.*
*( २,३,५,७,१०,१२,१३)*

इन बताये गये दिनों और तिथि में अनुष्ठान शुरू करने में कोई बाधा नहीं होती और हमारा संकल्प पूरा होता है।

🕉 *विघ्न बाधा से बचने के लिए*

  "ॐ ह्रीं ॐ" का १०८ बार जप करके अनुष्ठान शुरू करने से अनुष्ठान सफल होता है ।

रोज़ एक माला इस मंत्र की करने से कोई बाधा नहीं आएगी और शरीर व स्थान की शुद्धि होगी ।

*आंवला प्रयोग*  

  अनुष्ठान के पहले आंवले का जूस रोज सुबह नाश्ते में लें 5-7 दिन लें, जिससे नाडियाँ शुद्ध रहें |

🕉 *अनुष्ठान के लिये*

अनुष्ठान करना हो तो सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार या रविवार, इन 5 दिनों में से किसी भी दिन शुरु करें अर्थात मंगलवार और शनिवार को छोड़कर बाकी के 5 दिन शुरु करें अनुष्ठान पूरा होकर रहेगा।

  🕉 अनुष्ठान की शुरुआत करने से पहले “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र की माला करें तो अनुष्ठान में विघ्न नहीं आयेगा।

    फिर श्वास रोककर गुरुमन्त्र का जप करें गुरुदेव की तस्वीर के सामने अपना संकल्प बोलें, ये संकल्प पूरा हो जाये ऐसी प्रार्थना करें जितने दिन का अनुष्ठान कर रहे हैं, जैसे 7 दिन या 11 दिन तो उतने दिन तक हर दिन श्वास रोक कर गुरुमंत्र का जप करके संकल्प बोलने का प्रयोग करें, तो कार्य सिद्ध होगा|

🕉 *आसन सिद्ध करने के लिए :-*
अनुष्ठान शुरू कर रहे हो तो पहले आसन सिद्ध करें...स्थापना करें ।

पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठें ।

चावल के दाने ( अक्षत ) हल्दी से पीले कर दें ।

अग्नि कोण (पूर्व और दक्षिण के बीच का ) में आसन के नीचे कोने पर वो दाने रख दिए और ' ॐ गं गणेशाय नमः ' मेरा आसन और अनुष्ठान सिद्ध हो ...मेरे जप ध्यान में कोई विघ्न न आए।

फिर नेऋत्त्य कोण ( दक्षिण और पश्चिम के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे दाने रख दिए और प्रार्थना करें ' ॐ एं सरस्वत्यै नमः ' ...हें सरस्वती मुझे सद्बुद्धि देना... मेरे अनुष्ठान में मैं ही अड़चन न बनूँ ...मैं उपवास न तोडूं .... मेरी बुद्धि बनी रहे ।

फिर वायव्य कोण ( पश्चिम और उत्तर के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे चावल के दाने रखे और ' ॐ दुं दुर्गाय नमः ' हें माँ दुर्गा ... काम , क्रोध , लोभ, मोह, मद, मत्सर, आदि अगर मेरे जप अनुष्ठान में अड़चन बनें तो मेरे ये दुर्गुणों को भी तू दूर करना।

फिर ईशान कोण ( उत्तर और पूर्व के बीच का कोण ) के कोने के नीचे दाने रख दिए और ' श्याम क्षेत्रपालय नमः ' जपे ।

*गुरुदेव का स्मरण–प्रेम–अनुष्ठान –*

🕉 गुरुदेव की ध्यान की एम्. पी. थ्री वगैरह सुनते हुये कभी गुरुदेव की तस्वीर को देखते रहे |

फिर आँखों के द्वारा ऐसी भावना करें कि मेरे गुरुदेव को मेरे भीतर ही ले जा रहा हूँ |

मन से दूसरी चिंताएं और दूसरे लोगों का चिंतन नहीं निकलता हो ना !

तो गुरुदेव की तस्वीर को देखते देखते ये भाव किया कि मैं मेरे गुरुदेव को भीतर ले जा रहा हूँ और भीतर जो भी कचरा है मेरे-तेरे का वो जाये बाहर |

ये भी कर सकते हैं |

कभी अनुष्ठान किया जाए तो केवल माला का ही नहीं गुरुदेव के ही सुमरन-ध्यान-प्रेम आदि का अनुष्ठान २१ दिन, ११ दिन, ७ दिन|

दिन में तीन बार गुरुदेव के सामने बैठ जाये और उनकी तस्वीर को निहारते –निहारते उन्ही में खो जाये |

दूरी, भेद और भिन्नता को मिटाये, शरणागति और प्यार को सजीव बनाये |

Sudama Charitra

सुदामाजी को गरीबी क्यों मिली।आज तक आपको ये जानकारी नही होगी कि सुदामा जी गरीब थे तो क्यों
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                सब से निवेदन पढ़े

सुदामा को गरीबी क्यों मिली:::
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अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे।जितना धन उनके पास था किसी के पास नही था ।

लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे ।

आखिर क्यों ::::::::
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एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी। भिच्छा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी।
छठवें दिन उसे भिच्छा में दो मुट्ठी चना मिले । कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा अब ये चने रात मे नही खाऊँगी प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर तब खाऊँगी ।
यह सोंचकर ब्राह्मणी चनों को कपडे में बाँधकर रख दिय। और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी ।

देखिये समय का खेल:::
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कहते हैं:::

पुरुष बली नही होत है
समय होत बलवान
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ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये।
इधर उधर बहुत ढूँढा चोरों को वह चनों की बँधी पुटकी मिल गयी चोरों ने समझा इसमे सोने के शिक्के हैं इतने मे ब्राह्मणी जग गयी और शोर मचाने लगी ।

गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे।चोर वह पुटकी लेकर भगे।
पकडे जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये।

(संदीपन मुनि का आश्रम गाँव के निकट था
जहाँ भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे)

गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं  चोर समझ गये कोई आ रहा है चोर डर गये और आश्रम से भगे ! भगते समय चोरों से वह पुटकी वहीं छूट गयी।और सारे चोर भग गये ।

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इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब जाना ! कि उसकी चने की पुटकी  चोर उठा ले गये ।

तो ब्राह्मणी ने श्राप दे दिया की " मुझ दीनहीन असह।य के जो भी चने  खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा " ।

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उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाडू लगानेलगी झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पुटकी मिली गुरु माता ने पुटकी खोल के देखी तो उसमे चने थे।

सुदामा जी और कृष्ण भगवान जंगल से लकडी लाने जा रहे थे। (रोज की तरह )
गुरु माता ने वह चने की पुटकी सुदामा जी को दे दी।

और कहा बेटा ! जब वन मे भूख लगे तो दोनो लोग यह चने खा लेना ।

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सुदामा जी जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। ज्यों ही  चने की पुटकी सुदामा जी ने हाथ मे लिया त्यों ही उन्हे सारा रहस्य मालुम हो गया ।

सुदामा जी ने सोंचा ! गुरु माता ने कहा है यह चने दोनो लोग  बराबर बाँट के खाना।
लेकिन ये चने अगर मैने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो सारी शृष्टी दरिद्र हो जायेगी।
नही-नही मै ऐसा नही करुँगा मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा ।
मै ये चने स्वयं खा जाऊँगा लेकिन कृष्ण को नही खाने दूँगा।

और सुदामा जी ने सारे चने खुद खा लिए।

दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया। चने खाकर ।
लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नही दिया।

Husband : व्रत है ??
Wife : हाँ जी
Husband : कुछ खाया ?
Wife : हाँ जी
Husband : क्या ?
Wife : केला,सेव,अनार ,मूंगफली, फ्रूट क्रीम, आलू की
टिक्की, साबूदाने की खीर, साबूदाने के पापड़, कुट्टू की पूरी,
सावंख के चावल, सिंघाड़े का आटे का हलवा, खीरा, सुबह-सुबह
चाय और अब जूस पी रही हूँ।
.
.
Husband- बहुत सख्त व्रत रख रही हो, यह हर किसी के
बस की बात नही हैै।
और कुछ खाने की इच्छा है ? देखलो कहीं
कमज़ोरी न आ जाए। 

बुधवार, 29 मार्च 2017

🌿🌷🌸🌺🌹🌺🌸🌷🌿                                                                                           🌿🌸🌺🙏🙏🙏🌺🌸🌿

✍ *कर्मों की आवाज़*
      *शब्दों से भी ऊँची होती है...!*
*"दूसरों को नसीहत देना*
      *तथा आलोचना करना*
             *सबसे आसान काम है।*
*सबसे मुश्किल काम है*
        *चुप रहना और*
              *आलोचना सुनना...!!"*
*यह आवश्यक नहीं कि*
       *हर लड़ाई जीती ही जाए।*
*आवश्यक तो यह है कि*
   *हर हार से कुछ सीखा जाए*
💞🍂 🍃 🍂🍃 🍂🍃?💞
✍ *दो पल " की जिन्दगी के*
               *" दो नियम "*

   *" निखरो " फूलों की तरह*
        *और*
     *" बिखरो " खुशबू की तरह*

*किसी को प्रेम देना सबसे बड़ा उपहार है*
*और किसी का प्रेम पाना सबसे बड़ा सम्मान है...*
       

मंगलवार, 28 मार्च 2017

श्री नरेंद्र मोदी द्वारा योगी श्री आदित्यनाथ जी को उत्तर-प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के फ़ैसले का समर्थन करती मेरी कविता--

अबतक तो उम्मीद नहीं थी, यू पी के दिन बदलेंगे
गुंडे तस्कर और मवाली, अपनी राहें बदलेंगे|

लेकिन मोदी जी ने मोदी वाला, तेवर दिखा दिया
सबकी हाँ मिलते ही योगी जी को, सी एम बना दिया|

माथे पर चंदन टीका है, सूर्य तेज़ के स्वामी हैं
यू पी के दिल की सुन ली, मोदी जी अंतर्यामी हैं|

हाथी थककर बैठ गया है, और साइकल टूटी है
पूरा यू पी झूम रहा हैं , बस योगी की तूती है|

कई सियासी गठबंधन अब, भिखमंगे हो जाएँगे
माँ को डायन कहने वाले, सब नंगे हो जाएँगे|

यू पी के सब गुंडो सुनलो, ये पिस्टल वाला गाँधी हैं
योगी केवल नाम नहीं हैं, योगी ख़ुद में आँधी हैं|

जिन को घिन आती हो, भारत माँ को माता कहने में
जिनकी साँसे फूल रही हो, वन्दे मातरम कहने में|

उनको योगी, योगी वाली, भाषा में समझाएँगे
वक़्त पड़ा तो हिटलर वाले, तेवर भी अपनाएँगे|

हाँ, थोड़ा कड़वा तेवर हैं, कड़वी भाषा कहते हैं
लेकिन योगी राष्ट्रवाद को, गले लगाकर रहते हैं|

साम दाम और दंड भेद का, मंतर पढ़ना आता हैं
योगी जी को सीधी ऊँगली, टेढ़ी करना आता हैं|

अफ़ज़ल के जीजा साले, अब बोलो किस पर ऐठेंगे
भैंसों के सारे मालिक अब, गाय बाँध कर बैठेंगे|

वक़्त लेगेगा, लेकिन यू पी, पावन सी हो जाएगी
अब यू पी में हर दिन होली , रात दिवाली आएगी|

कवि 'परवाना' की कविता, अब पूरा यू पी गाएगा
देशप्रेम और राष्ट्रवाद की, योगी अलख जगाएगा|

🚩भारतीय चैत्री नूतनवर्ष की विशेषताएं - 28 मार्च

🚩 #चैत्र मास की #शुक्ल #प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन #हिन्दू #नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ '#विजय #पताका' होता है।

🚩 #इतिहास में इस प्रकार वर्णित है #चैत्री #वर्ष #प्रतिपदा...

1- #ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की सृजन...

2- मर्यादा #पुरुषोत्तम #श्रीराम का राज्‍याभिषेक...

3- #माँ दुर्गा के #नवरात्र व्रत का शुभारम्भ...

4 प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..

5 उज्जैनी सम्राट #विक्रमादित्‍य द्वारा #विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..

6 शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग)महर्षि #दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..

7 भगवान #झूलेलाल का अवतरण दिन..

8 #मत्स्यावतार दिवस..

9 - गुरु अंगद देव अवतरण दिवस..

10 - डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन ।

🚩#नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है...!!!

🚩इसी दिन #ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है।

🚩चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।

🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन #चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है।

🚩महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से #सूर्यास्त तक...दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘#पंचांग ‘ की रचना की थी ।

🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में #गुड़ीपड़वा की गिनती होती है।  इसी दिन भगवान #राम ने बाली के अत्याचारी शासन से  प्रजा को मुक्ति दिलाई थी।

🚩#नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों...???

🚩#भारतीय #नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से #ग्रहों, #वारों, #मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है।

🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है। इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है।

🚩#विक्रमी संवत किसी संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है। हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं। यह संवत्सर किसी #देवी, #देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है।

🚩हमारी गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थो में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है।

🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की। यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम #चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं।

🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं। यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है।  प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है। मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है।

🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से #उज्जैनी #नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की। उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा।

🚩महाराज विक्रमादित्य ने आज से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की। साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई। उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी ।

🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की। सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया। इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक अथवा रोहण के रूप में मनाया गया।

🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है। इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया।

🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है। हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं।

🚩कैसे मनाये नूतन वर्ष...???

🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी  मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फेराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  ।

🚩तो देखा आपने कितनी महान है हमारी भारतीय संस्कृति...!!!

🚩तो अब से सभी भारतीय संकल्प ले कि अंग्रेजो द्वारा चलाया गया एक जनवरी को नववर्ष न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष मनायेंगें।

🚩भारतीय संस्कृति की जय🚩

           Happy  Family

         "परिवार" से बड़ा कोई
            "धन" नहीं!
            "पिता" से बड़ा कोई
            "सलाहकार" नहीं!
            "माँ" की छाव से बड़ी
             कोई "दुनिया" नहीं!
            "भाई" से अच्छा कोई 
            "भागीदार" नहीं!
            "बहन" से बड़ा कोई
            "शुभचिंतक" नहीं!
            "पत्नी" से बड़ा कोई
            "दोस्त" नहीं
                    इसलिए
            "परिवार" के बिना
            "जीवन" नहीं!!!
           👏👏👏👏👏

Innocent Joke of The Year
बच्चा : मम्मा .... मैं कैसे पैदा हुआ....?
माँ : मैंने एक बॉक्स में मिठाई डाल कर रख दी थी, कुछ दिन बाद उसमें से मुझे तुम मिले ।
बच्चे ने ठीक वैसा ही किया ...
और कुछ दिन बाद जब उसने जा कर देखा तो उसमें 1 कॉकरोच था .....
बच्चा गुस्से से : दिल तो करता है कि तुझे अभी चप्पल से मार दूँ.. पर क्या करूं ...!? ओलाद है तू मेरी....!!

सोमवार, 27 मार्च 2017

सिर्फ विचार अच्छे हो औऱ करम या आचरण उसके अनुसार नहीं हो तो यह व्यर्थ है। ऐसे विचार कच्चे ढांचे के समान है जिस पर मेहराब बनाई जाती है ये ढांचा टिकाऊ नहीं होता ।

करम औऱ वचन मैं समानता होनी चाहिए जो बोले उसी अनुसार काम करें इससे परब्रह्म का समीप्य प्राप्त होता है एक क्षण मैं धन्य होने या सब कुछ पा जाने का संतोष आ जाता है।

🍁"रिद्धि दे, सिद्धि दे,वंश में वृद्धि दे, ह्रदय में ज्ञान दे,चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे,दुःख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा को संपूर्ण कर,सज्जन जो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे,जग में जीत दे, माया दे, साया दे, और निरोगी काया दे,मान-सम्मान दे, सुख समृद्धि और ज्ञान दे,vशान्ति दे, शक्ति दे, भक्ति भरपूर दें..."🍁🍁आप  को  नव वर्ष विक्रम संवत 2074 के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।🎈🎂🎈🎂🎈🎂🎈🎂🎈

हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूँ मैं,
भीड़ बहुत है, इस मेले मेंखो सकता हूँ मैं,

पीछे छूटे साथी मुझको याद आ जाते है,
वरना दौड़ में सबसे आगे हो सकता हूँ मैं,

कब समझेंगे जिनकी ख़ातिर फूल बिछाता हूँ,
इन रस्तों पर कांटे भी तो बो सकता हूँ मैं,

इक छोटा-सा बच्चा मुझ में अब तक ज़िंदा है,
छोटी छोटी बात पे अब भी रो सकता हूँ मैं,

सन्नाटे में दहशत हर पल गूँजा करती है,
इस जंगल में चैन से कैसे सो सकता हूँ मैं,

सोच-समझ कर चट्टानों से उलझा हूँ वरना,
बहती गंगा में हाथों को धो सकता हूँ मैं।

Navratri

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *आज का दिनांक - 27 मार्च  2017*
⛅ *दिन - सोमवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2073*
⛅ *शक संवत -1938*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत*
⛅ *गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार मास - फाल्गुन*
⛅ *मास - चैत्र*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*    
⛅ *तिथि - सुबह 10:44 तक चतुर्दशी - सुबह 10:45 से अमावस्या*
⛅ *नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद*
⛅ *योग - शुक्ल*
⛅ *राहुकाल - सुबह 07:52 से सुबह 09:23 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:38*
⛅ *सूर्यास्त - 18:50*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व  विवरण - दर्श अमावस्या, सोमवती अमावस्या  (सुबह 10:45 से 28 मार्च सूर्योदय तक)*
💥 *विशेष - चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *वर्ष में ४ नवरात्रियाँ होती हैं* 🌷
🙏🏻 *साल में ४ नवरात्रियाँ होती हैं, जिनमे से २ नवरात्रियाँ गुप्त होती हैं -*
➡ *माघ शुक्ल पक्ष की प्रथम ९ तिथियाँ*
➡ *चैत्र मास की रामनवमी के समय आती हैं वो ९ तिथियाँ (28 मार्च 2017 मंगलवार से 05 अप्रैल 2017 बुधवार तक)*
➡ *आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष के ९ दिन*
➡ *अश्विन महीने की दशहरे के पहले आनेवाली ९ तिथियाँ*
🙏🏻 *' नवरात्रियों में उपवास करते, तो एक मंत्र जप करें ........ये मंत्र वेद व्यास जी भगवान ने कहा है ....इस से श्रेष्ट अर्थ की प्राप्ति हो जाती है......दरिद्रता दूर हो जाती है । "ॐ श्रीं ह्रीं क्लिं ऐं कमल वसिन्ये स्वाहा"*
🙏🏻 *- Sureshanandji – Bhivani 23rd June 2010*
          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *चैत्र नवरात्र* 🌷
🙏🏻 *चैत्र शुक्ल पक्ष की नवरात्रि इस बार 28 मार्च 2017 मंगलवार से शुरू होने वाला यह नवरात्र 05 अप्रैल 2017 बुधवार तक चलेगा। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है।*
🌷 *घटस्थापना का शुभ मुहूर्त*
🏡 *जिन घरों में नवरात्रि पर घट-स्थापना होती है उनके लिए 28 मार्च, 2017 : इस दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 26 मिनट से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक का है। वैसे तो नवरात्रि का शुभ वक्त तो पूरे दिन रहेगा लेकिन अगर शुभ मुहूर्त पर घट-स्थापना होगी तो जातक को फल अच्छा मिलेगा।*
👉🏻 *28 मार्च, 2017 प्रथम नवरात्र को देवी के शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है।*
👉🏻 *29 मार्च 2017 : नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।*
👉🏻 *30 मार्च 2017 : तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है।*
👉🏻 *31 मार्च 2017 : नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है।*
👉🏻 *01 अप्रैल 2017 : पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है।*
👉🏻 *02 अप्रैल 2017 : नारदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।*
👉🏻 *03 अप्रैल 2017 : नवरात्र पर्व की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है।*
👉🏻 *04 अप्रैल 2017 : अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं।*
👉🏻 *05 अप्रैल 2017 : नवरात्र पर्व की नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।*
         

Budhha

बुद्ध ने एक सच्चाई बताई थी:-

​​मरना सभी को है...​लेकिन मरना कोई नहीं चाहता...​

​आज परिस्थिति और भी विषम हैं​

​भोजन सभी को चाहिए लेकिन..​​खेती करना कोई नहीं चाहता​
पानी सभी को चाहिए लेकिन..​
​पानी बचाना कोई नहीं चाहता..​
दूध सभी को चाहिए लेकिन ...​
​गाय पालना कोई नहीं चाहता...​
​छाया सभी को चाहिए लेकिन...​
​पेड़ लगाना और उसे​ ​जिन्दा रखना कोई नहीं चाहता...​
बहु सभी को चाहिए पर...​
बेटी बचाना कोई नहीं चाहता...​