🕉 *अनुष्ठान से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें*
*अनुष्ठान शुरू करने के दिन*
*शुभ दिन:*
*सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार और रविवार।*
*शुभ तिथि :*
*दूज, तीज, पंचमी, सप्तमी, दशमी, द्वादशी और त्रयोदशी.*
*( २,३,५,७,१०,१२,१३)*
इन बताये गये दिनों और तिथि में अनुष्ठान शुरू करने में कोई बाधा नहीं होती और हमारा संकल्प पूरा होता है।
🕉 *विघ्न बाधा से बचने के लिए*
"ॐ ह्रीं ॐ" का १०८ बार जप करके अनुष्ठान शुरू करने से अनुष्ठान सफल होता है ।
रोज़ एक माला इस मंत्र की करने से कोई बाधा नहीं आएगी और शरीर व स्थान की शुद्धि होगी ।
*आंवला प्रयोग*
अनुष्ठान के पहले आंवले का जूस रोज सुबह नाश्ते में लें 5-7 दिन लें, जिससे नाडियाँ शुद्ध रहें |
🕉 *अनुष्ठान के लिये*
अनुष्ठान करना हो तो सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार या रविवार, इन 5 दिनों में से किसी भी दिन शुरु करें अर्थात मंगलवार और शनिवार को छोड़कर बाकी के 5 दिन शुरु करें अनुष्ठान पूरा होकर रहेगा।
🕉 अनुष्ठान की शुरुआत करने से पहले “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र की माला करें तो अनुष्ठान में विघ्न नहीं आयेगा।
फिर श्वास रोककर गुरुमन्त्र का जप करें गुरुदेव की तस्वीर के सामने अपना संकल्प बोलें, ये संकल्प पूरा हो जाये ऐसी प्रार्थना करें जितने दिन का अनुष्ठान कर रहे हैं, जैसे 7 दिन या 11 दिन तो उतने दिन तक हर दिन श्वास रोक कर गुरुमंत्र का जप करके संकल्प बोलने का प्रयोग करें, तो कार्य सिद्ध होगा|
🕉 *आसन सिद्ध करने के लिए :-*
अनुष्ठान शुरू कर रहे हो तो पहले आसन सिद्ध करें...स्थापना करें ।
पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठें ।
चावल के दाने ( अक्षत ) हल्दी से पीले कर दें ।
अग्नि कोण (पूर्व और दक्षिण के बीच का ) में आसन के नीचे कोने पर वो दाने रख दिए और ' ॐ गं गणेशाय नमः ' मेरा आसन और अनुष्ठान सिद्ध हो ...मेरे जप ध्यान में कोई विघ्न न आए।
फिर नेऋत्त्य कोण ( दक्षिण और पश्चिम के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे दाने रख दिए और प्रार्थना करें ' ॐ एं सरस्वत्यै नमः ' ...हें सरस्वती मुझे सद्बुद्धि देना... मेरे अनुष्ठान में मैं ही अड़चन न बनूँ ...मैं उपवास न तोडूं .... मेरी बुद्धि बनी रहे ।
फिर वायव्य कोण ( पश्चिम और उत्तर के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे चावल के दाने रखे और ' ॐ दुं दुर्गाय नमः ' हें माँ दुर्गा ... काम , क्रोध , लोभ, मोह, मद, मत्सर, आदि अगर मेरे जप अनुष्ठान में अड़चन बनें तो मेरे ये दुर्गुणों को भी तू दूर करना।
फिर ईशान कोण ( उत्तर और पूर्व के बीच का कोण ) के कोने के नीचे दाने रख दिए और ' श्याम क्षेत्रपालय नमः ' जपे ।
*गुरुदेव का स्मरण–प्रेम–अनुष्ठान –*
🕉 गुरुदेव की ध्यान की एम्. पी. थ्री वगैरह सुनते हुये कभी गुरुदेव की तस्वीर को देखते रहे |
फिर आँखों के द्वारा ऐसी भावना करें कि मेरे गुरुदेव को मेरे भीतर ही ले जा रहा हूँ |
मन से दूसरी चिंताएं और दूसरे लोगों का चिंतन नहीं निकलता हो ना !
तो गुरुदेव की तस्वीर को देखते देखते ये भाव किया कि मैं मेरे गुरुदेव को भीतर ले जा रहा हूँ और भीतर जो भी कचरा है मेरे-तेरे का वो जाये बाहर |
ये भी कर सकते हैं |
कभी अनुष्ठान किया जाए तो केवल माला का ही नहीं गुरुदेव के ही सुमरन-ध्यान-प्रेम आदि का अनुष्ठान २१ दिन, ११ दिन, ७ दिन|
दिन में तीन बार गुरुदेव के सामने बैठ जाये और उनकी तस्वीर को निहारते –निहारते उन्ही में खो जाये |
दूरी, भेद और भिन्नता को मिटाये, शरणागति और प्यार को सजीव बनाये |
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