रविवार, 2 अप्रैल 2017

एक फ़कीर नदी के किनारे बैठा था किसी ने पूछा बाबा क्या कर रहे हो?

फ़कीर ने कहा इंतज़ार कर रहा हूँ की पूरी नदी बह जाए तो फिर पार करूँ।

उस व्यक्ति ने कहा कैसी बात करते हो बाबा पूरा जल बहने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नही कर पाओगे।

फ़कीर ने कहा यही तो मै तुम लोगो को समझाना चाहता हूँ,

कि तुम लोग जो सदा यह कहते रहते हो की एक बार जीवन की ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाएं

तो मौज करूँ, घूमूँ फिरू, सबसे मिलूँ, सेवा करूँ. जैसे नदी का जल खत्म नही होगा हमको इस जल से ही पार जाने का रास्ता बनाना है।

इस प्रकार जीवन खत्म हो जायेगा पर जीवन के काम खत्म नही होंगे. 💐

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