सोमवार, 7 सितंबर 2020

*दोस्त अब थकने लगे है*किसीका *पेट* निकल आया है,किसीके *बाल* पकने लगे है...सब पर भारी *ज़िम्मेदारी* है,सबको छोटी मोटी कोई *बीमारी* है।दिनभर जो *भागते दौड़ते* थे,वो अब चलते चलते भी *रुकने* लगे है।पर ये हकीकत है,सब दोस्त *थकने* लगे है...1किसी को *लोन* की फ़िक्र है,कहीं *हेल्थ टेस्ट* का ज़िक्र है।फुर्सत की सब को कमी है,आँखों में अजीब सी नमीं है।कल जो प्यार के *ख़त लिखते* थे,आज *बीमे के फार्म* भरने में लगे है।पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है....2देख कर *पुरानी तस्वीरें*,आज जी भर आता है।क्या अजीब शै है ये वक़्त भी,किस तरहा ये गुज़र जाता है।कल का *जवान* दोस्त मेरा,आज *अधेड़* नज़र आता है...*ख़्वाब सजाते* थे जो कभी ,आज *गुज़रे दिनों में खोने* लगे है।पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है...

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