सोमवार, 1 मई 2017

Salt

क्या आप रोज खाने खाये जाने वाले नमक के बारे में जानते है?

तो नमक के बारे में ये बातें जान लें।

नमक में दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देने का गुण होता है

वास्तुशास्त्र में

नमक को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

नमक के अलग-अलग इस्तेमाल से घर से नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मानसिक शांति, सेहत, सुख-समृद्धि और पैसे के मामले में नमक की भूमिका अहम है।

वास्तु के अनुसार यदि नमक का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए, तो एक चुटकी नमक ही काफी है दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए काफी है...।

एक चुटकी नमक का कमाल...

यदि आप आए दिन बीमार रहते हैं।

घर में परिवार के सदस्यों के बीच आए दिन झगड़े होते हैं।

हर तरफ  नकारात्मकता नजर आती है,

तो नमक वाले पानी से पूरे घर में पोंछा लगाएं। बस पोंछे वाले पानी में एक चुटकी काला नमक मिलाएं, फिर देखें इसका कमाल।

कुछ दिनों में इसका असर देखने को मिल जाएगा।

यदि हर दिन संभव न हो, तो मंगलवार को जरूर नमक को पोंछा लगाएं। इस उपाय से न सिर्फ घर की नकारात्मकता दूर होगी, घर में सकारात्मक एनर्जी आएगी।

परविार के सदस्य बीमार भी नहीं पड़ते हैं। सौभाग्य के दरवाजे खुलेंगे।

किसमें रखें नमक...

आप जरा अपने घर में यह देखिए कि जिस बर्तन में नमक रखा जा रहा है, वह किस चीज से बना है।

स्टील यानी लोहे से बने बर्तन में नमक कभी नहीं रखना चाहिए।

वास्तु में ऐसी मान्यता है कि नमक को हमेशा कांच के जार में भरकर रखना चाहिए।

साथ ही इसमें एक लौंग डाल दें, तो फिर सोने पे सुहागा... इससे घर में सुख-समृद्धि तो रहती ही है। पैसों की भी कभी कमी महसूस नहीं होती। धन का फ्लो बना रहता है।

नमक मानसिक शांति भी देता है...

यदि आपका मन हर समय बेचैन रहता है।

न तो घर में मन लगता, न बाहर, ना ही ऑफिस में…

आप लाख कोशिश करते हैं, फिर मानसिक शांति नहीं मिल रही होती है।

ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए नमक का उपाय रामबाण का काम करता है।

इस उपाय में भी एक चुटकी नमक कमाल करता है।

जी हां, नहाते समय समय पानी में एक चुटकी नमक मिला लें और उससे स्नान करें।

वास्तु विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा करने से मानसिक बेचैनी कम हो जाती है। तन-मन हमेशा तरोताजा रहता है। आलस्य से छुटकारा मिल जाता है।

डॉक्टर है नमक…

यदि घर में कोई लंबे समय से बीमार चल रहा हो, तो उसके बिस्तर के पास कांच की बोतल में नमक भरकर रखें और हर महीने इसे बदल दें।

वास्तु शास्त्र के मुताबिक, ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत में काफी सुधार आ सकता है। यह उपाय तब तक करते रहें, जब तक वह व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ ने हो जाए।

पहाड़ी नमक का कमाल...

कौन व्यक्ति नहीं चाहेगा कि उसके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहे, लेकिन हम देखते हैं कि व्यक्ति हर तरह से सम्पन्न होता है, लेकिन बावजूद इसके उसके घर में सुख आ अभाव रहता है।

शांति भंग हो जाती है। असल में वास्तुदोष होने से घर में नकारात्मकता का प्रवेश होता है और व्यक्ति परेशान रहता है।

इससे छुटकारा पाने के लिए या वास्तुदोष खत्म करने के लिए इसमें एक नमक का उपाय बहुत कारगर साबित हो सकता है।

बाजार में पहाड़ी सैंधा नमक भी मिलता है। इसे लाकर अपने घर के एक कोने में रख दें।

आप कुछ ही दिनों में महसूस करेंगे कि घर की सारी नकारात्मकत एनर्जी दूर हो जाएगी। परिवार के लोग खुश रहने लगेंगे। घर में सुख-शांति फैल जाएगी।

नमक को लेकर ये दो सावधानियां...

नमक के बारे मे प्राचीन मान्यता है कि यदि आप नमक सीधे किसी के हथेली में रखकर देते हैं, तो इससे उस व्यक्ति के साथ अवश्य ही आपका झगड़ा हो सकता है।

इसलिए इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि नमक कभी किसी को हाथ में न दें, बल्कि चम्मच से बर्तन के जरिए दें।

इसके अलावा नमक को कभी जमीन में न गिरने दें।

नमक को कभी बेकार भी मत होने दें। वास्तु के अनुसार, यदि नमक जमीन पर सीधे गिरता है, तो यह माने लें कि आप सीधे अपने दुर्भाग्य को दावत दे रहे हैं।

*सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया*।।।

सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है सेंधा नमक

आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??

आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं !!

एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !!

सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !!

पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है !

जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है !

मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है

सैंधा नमक ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इसके सेवन से शरीर मे स्थित पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !!_ क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है और फायदेमंद है।

आयोडीन युक्त नमक के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता।

फैक्ट्री में समुद्री नमक को आयोडीन युक्त और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है।

भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था।

विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है।

हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा, कैपटन कुक ) ने इस प्रकार का नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ !

अब समझिए खेल क्या था ??

खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है !

ये आयोडीन युक्त नमक सेहत और दिमाग के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !!

और जो नमक किसी जमाने मे 1 से 2 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है !

यह जान लें कि दुनिया के अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस आदि जैसे 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 50 साल पहले ही ban कर दिया।

उनकी सरकार ने कहा हमने अपने लोगों को आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) जिसके फलस्वरूप हमारे यहां के अधिकांश लोग नपुंसक हो गए !

जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया !

उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया !

और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।

आज से कुछ वर्ष पहले हमारे देश मे कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे !

सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।!

क्योंकि सैंधा नमक अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं !

सैंधा नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है !

सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है।

सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।

सैंधा नमक पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है।

यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

वर्तमान समय मे आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले आयोडीन युक्त समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) , डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है ।

इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त की अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है !

ये आयोडीन युक्त नमक पानी में कभी भी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है !

और ये आयोडीन युक्त समुद्री नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !

समुद्री नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है।

समुद्री नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है।

विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं जिससे रक्त वाहनियों में ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है।

आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है।

यह आयोडीन नमक कोशिकाओ में स्थित पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।

पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है।

सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है।

सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता और जो हम समुन्दी नमक खाते है उससे शरीर मे कमजोरी, हड्डी कमजोर हो जाती है । तो आइए प्रकृति द्वारा जारी नमक खाये ।

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