" ख्वाहिशों से नहीं गिरते हैं, फूल झोली में, कर्म की शाख को हिलाना होगा।
कुछ नहीं होगा कोसने से अँधेरे को, अपने हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा ।"
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