शनिवार, 31 दिसंबर 2016


सिर्फ विचार अच्छे हो औऱ करम या आचरण उसके अनुसार नहीं हो तो यह व्यर्थ है। ऐसे विचार कच्चे ढांचे के समान है जिस पर मेहराब बनाई जाती है ये ढांचा टिकाऊ नहीं होता ।

करम औऱ वचन मैं समानता होनी चाहिए जो बोले उसी अनुसार काम करें इससे परब्रह्म का समीप्य प्राप्त होता है एक क्षण मैं धन्य होने या सब कुछ पा जाने का संतोष आ जाता है।

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