रविवार, 25 दिसंबर 2016

आज दंगल देखी , बडी शानदार फ़िल्म बनाई हैं आमिर खान ने (क्लासिक सिनेमा ढूँढने वाले कृपया कहीं और तलाश करलें ) । इससे बेहतर फ़िल्म बेटियों और भारतीयता पर मुख्य धारा का कौन निर्माता निदेशक बना सकता है ? वास्तविक लोकेशन्स और बडा हिस्सा हरियाणा के गाँवों में ही फ़िल्माया गया है । पूरी फ़िल्म में ग्लैमर का नामोनिशान नहीं है सिवाय वयस्क हुई गीता फोगाट के कुछ शॉट्स में । जब फ़िल्म की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रगान बजा तो कई लोग 'अनमने से , 'देर से उठते हुये' , 'ओह माई गॉड ', 'अब ये भी होगा ' कहते हुये खड़े हुये पर जब फ़िल्म के दौरान गीता की जीत और अन्तरराष्ट्रीय खिताबी मेडल मिलने पर नियमानुकूल भारतीय राष्ट्रगान सुनाई पड़ा तब तक फ़िल्म का असर इतना गहरा चुका था कि अपने आप बगैर बाध्यता के सब तुरंत असली देशप्रेम राष्ट्रीय भावना से अपनी अपनी सीटों से खड़े हो चुके थे । यह अकेला प्रभाव सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हजार गुना बडा और अप्रतिम था और फिर साबित करता है कि क़ानून से आप किसी को बेमन से खडा तो कर सकते हैं पर मुखमुद्रा की भावभंगिमा में 'ओह माईगॉड 'नहीं रोक सकते हैं ! सुप्रीम कोर्ट यदि संवेदनशील और विवेकशील हो तो इस फ़िल्म को देखने के बाद अपना फ़ालतू का निर्णय रद्द कर देना चाहिये । और वे छिछले छद्मराष्ट्रवादी जो पिछले दो बरसों से अभियान चलाये हुये थे तीनों खान अभिनेताओं के ख़िलाफ़ वे तो कही ं भी चूँ करते हुये नहीं दिखाई दिये सिवाय फेसबुकिया क्रांति के । आमिर ने इतनी ज़ोर से चॉटा मारा है अपनी सृजनशील कृतित्व से कि लाल गाल लिये दो हफ़्तों तक चुप रहेंगे । केंद्र और राज्य सरकारों को इस फ़िल्म को टैक्स फ़्री कर देना चाहिये , जो काम और असर उनके सैंकड़ों हजारो करोड रूपयों के विज्ञापन बजट से नहीं हुआ वह आमिर की यह अकेली फ़िल्म कर रही है । एक्सेलेंस को , अतिश्रेष्ठ गुणवत्ता को पनपने के लिये एक उद्दात्त विचार व वातावरण की आवश्यकता होती है , और यही श्रेष्ठ गुणवत्ता दुनिया में हमें टिकने लायक बनायेगी । घटिया , संकीर्ण , छिछोरे विचार वैसे ही इंसान व पेशेवर पैदा करते हैं , वहॉं ठाकरे , खेर , तोगडिया , बाबा , योगी , दाऊद , हाफ़िज़ , प्राची , , साक्षी व मजीठिया जैसे ही होंगे । विज्ञान , कला , साहित्य , कविता , संगीत , दर्शन ,राजनीति व इतिहास की सर्वश्रेष्ठता लुप्त रहेगी । दूसरे या तीसरे दर्जे के ही प्रमुखता पाये रहेगें । आमिर एक बडे पायदान पर पहुँच गये हैं - सलाम और अभिनंदन । निवेदन: मुझे कोई कमीशन नहीं मिलने वाला लेकिन पूरे परिवार के साथ बच्चों के साथ आप लोग जाओ और दंगल देखो सिनेमा के बडे परदे पर । एक भी बेटी , बेटा या बाप व मॉं यदि प्रेरणा ले ले तो फिर क्या , जयहिंद

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