गुरुवार, 17 मार्च 2016

सुख और दु:ख.......हमारे पारिवारिक सदस्य नही है.... मेहमान है .....बारी बारी से आयेगे ....कुछ दिन ठहर कर चले जायेगे ....अगर वो नही आयेगे ....तो हम अपनों और परायों का अनुभव कहाँ से लायेगे.....

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