शनिवार, 5 मार्च 2016

महीने बीत जाते हंसाल गुजर जाता हैवृद्धाश्रम की सीढ़ियों परमैं तेरी राह देखती हूँ।आँचल भीग जाता हैमन खाली खाली रहता हैतू कभी नहीं आतातेरा मनीआर्डर आता है।इस बार पैसे न भेजतू खुद आ जाबेटा मुझे अपने साथ अपने घर लेकर जा।तेरे पापा थे जब तकसमय ठीक रहा कटतेखुली आँखों से चले गएतुझे याद करते करते।अंत तक तुझको हर दिनबढ़िया बेटा कहते थेतेरे साहबपन कागुमान बहुत वो करते थे।मेरे ह्रदय में अपनी फोटोआकर तू देख जाबेटा मुझे अपने साथअपने घर लेकर जा।अकाल के समयजन्म तेरा हुआ था तेरे दूध के लिएहमने चाय पीना छोड़ा था।वर्षो तक एक कपड़े कोधो धो कर पहना हमनेपापा ने चिथड़े पहनेपर तुझे स्कूल भेजा हमने।चाहे तो ये सारी बातेंआसानी से तू भूल जाबेटा मुझे अपने साथअपने घर लेकर जा।घर के बर्तन मैं मांजूगीझाडू पोछा मैं करूंगीखाना दोनों वक्त कासबके लिए बना दूँगी।नाती नातिन की देखभालअच्छी तरह करूंगी मैंघबरा मत, उनकी दादी हूँऐसा नहीं कहूँगी मैं।तेरे घर की नौकरानीही समझ मुझे ले जाबेटा मुझे अपने साथअपने घर लेकर जा।आँखें मेरी थक गईंप्राण अधर में अटका हैतेरे बिना जीवन जीनाअब मुश्किल लगता है।कैसे मैं तुझे भुला दूँतुझसे तो मैं माँ हुईबता ऐ मेरे कुलभूषणअनाथ मैं कैसे हुई ?अब आ जा तू मेरी कब्र परएक बार तो माँ कह जाहो सके तो जाते जातेवृद्धाश्रम गिराता जा।

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