मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

जो चाहा कभी पाया नहीं,

जो पाया कभी सोचा नहीं,

जो सोचा कभी िमला नहीं,

जो िमला रास आया नहीं,

जो खोया वो याद आता है,

पर जो पाया संभाला जाता नहीं ,

क्यों अजीब सी पहेली है िज़न्दगी,

िजसको कोई सुलझा पाता नहीं...

जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है,

क्योंिक,

झुकता वही है िजसमें जान होती है,

अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।

िज़न्दगी जीने के दो तरीके होते है!

पहला: जो पसंद है उसे हािसल करना सीख लो.!

दूसरा: जो हािसल है उसे पसंद करना सीख लो.!

िजंदगी जीना आसान नहीं होता;

िबना संघषर् कोई महान नहीं होता.!

िजंदगी बहुत कुछ िसखाती है;

कभी हंसती है तो कभी रुलाती है;

पर जो हर हाल में खुश रहते हैं;

िजंदगी उनके आगे सर झुकाती है।

चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ;

बहुत कुछ बोलो पर कुछ ना छुपाओ;

खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ;

राज़ है ये िजंदगी का बस जीते चले जाओ।

"गुजरी हुई िजंदगी कभी याद न कर,

तकदीर मे जो िलखा है उसकी फयार्द न कर...

जो होगा वो होकर रहेगा,

तु कल की िफकर मे अपनी आज की हसी बबार्द न कर...

हंस मरते हुये भी गाता है और मोर नाचते हुये भी रोता है....

ये िजंदगी का फंडा है बॉस

दुखो वाली रात िनंद नही आती

और खुशी वाली रात कौन सोता है...

������������������ ईश्वर का िदया कभी अल्प नहीं होता;

जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;

हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;

क्योंिक जीत का कोई िवकल्प नहीं होता।

������������������ िजंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के िलए ही होती हैं :

"सांस और साथ"

सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;

पर िकसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।

������������������ जीवन का सबसे बड़ा अपराध -

िकसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना।

और जीवन की सबसे बड़ी उपलिब्ध -

िकसी की आँख में आंसू आपके िलए होना।

������������������ िजंदगी जीना आसान नहीं होता;

िबना संघषर् कोई महान नहीं होता;

जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;

पत्थर भी भगवान नहीं होता।

������������������ जरुरत के मुतािबक िजंदगी िजओ ख्वािहशों के मुतािबक नहीं।,

क्योंिक जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;

और ख्वािहशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।

������������������

मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता;

िजतना कर्ोध और िचंता से एक क्षण में थक जाता है।

������������������ दुिनया में कोई भी चीज़ अपने आपके िलए नहीं बनी है।

जैसे: दिरया खुद अपना पानी नहीं पीता।

पेड़ -खुद अपना फल नहीं खाते।

सूरज -अपने िलए हररात नहीं देता।

फूल -अपनी खुशबु अपने िलए नहीं िबखेरते।

मालूम है क्यों?

क्योंिक दूसरों के िलए ही जीना ही असली िजंदगी है।

������������������ मांगो तो अपने रब से मांगो;

जो दे तो रहमत और न दे तो िकस्मत;

लेिकन दुिनया से हरिगज़ मत माँगना;

क्योंिक दे तो एहसान और न दे तो शिमर्ंदगी।

������������������ कभी भी 'कामयाबी' को िदमाग

और 'नकामी' को िदल में जगह नहीं देनी चािहए।

क्योंिक,

कामयाबी िदमाग में घमंड और नकामी िदल में मायूसी पैदा करती है।

������������������ कौन देता है उमर् भर का सहारा।,

लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं।

������������������ कोई व्यिक्त िकतना ही महान क्यों न हो,

आंखे मूंदकर उसके पीछे न चिलए।

यिद ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर पर्ाणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मिस्तष्क आिद क्यों देता?

Nice Lines ������������������������������������������ पानी से तस्वीर कहा बनती है,

ख्वाबों से तकदीर कहा बनती है,

िकसी भी िरश्ते को सच्चे िदल से िनभाओ,

ये िजंदगी िफर वापस कहा िमलती है,

कौन िकस से चाहकर दूर होता है,

हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है,

हम तो बस इतना जानते है,

हर िरश्ता "मोती" और हर दोस्त "कोिहनूर" ������ होता है।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

आदर्श भारतीय नारी
————–
पत्नी : खाने में क्या बनाऊँ ?
पति :: कुछ भी बना लो — वैसे क्या बनाओगी ?
पत्नी : जो आप कहो ।
पति :: दाल चावल बना लो ।
पत्नी : सुबह तो खाए थे ।
पति :: रोटी सब्ज़ी बना लो ।
पत्नी : बच्चे नहीं खाएँगे ।
पति :: छोले पूरी बना लो ।
पत्नी : मुझे फ्राइड चीज़ों से हैवी हो जाता है ।
पति :: अंडा भुर्जी बना लो ।
पत्नी : आज मंगलवार है ।
पति :: पराँठे ?
पत्नी : रात को ?
पति :: होटल से मंगवा लेते हैं ।
पत्नी : रोज़ रोज़ बाहर का खाना नहीं खाया जाता ।
पति :: कढ़ी चावल ?
पत्नी : दही नहीं है
पति :: इडली साम्भर ?
पत्नी : टाइम लगेगा पहले बताना था न !
पति :: एक काम करो मैगी बना लो ।
पत्नी : उससे पेट नहीं भरता ।
पति :: पास्ता बना लो ।
पत्नी : उससे लूज़ मोशन नहीं हो जायेंगे ?
पति :: भिन्डी फ्राई और रोटी बना लो
पत्नी : यार भिन्डी को काटने में तो बहुत टाइम लगता है ।
पति :: फ्रूट सलाद ही खा लेते है ।
पत्नी : रात को भूख लगेगी ।
पति :: बेक्ड वेजिटेबल बना लो ।
पत्नी : उफ़ माइक्रोवेव को भी अभी ही ख़राब होना था ।
पति :: खिचड़ी ही बना दो ।
पत्नी : कूकर धुला हुआ नहीं है ।
पति :: फिर क्या बनाओगी ?
पत्नी : जो आप कहें !!

मुश्किल नहीं है कुछ दुनियाँ में,
तू जरा हिम्मत तो कर।
ख्वाब बदलेंगे हकीकत में,
तू ज़रा कोशिश तो कर॥
आंधियाँ सदा चलती नहीं,
मुश्किलें सदा रहती नहीं।
मिलेगी तुझे मंजिल तेरी,
बस तू ज़रा कोशिश तो कर॥
राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है..

एक बार एक दरोगा जी का मुंह लगा नाई पूछ बैठा -

"हुजूर पुलिस वाले रस्सी का साँप कैसे बना देते हैं ?"

दरोगा जी बात को टाल गए।

लेकिन नाई ने जब दो-तीन
बार यही सवाल पूछा तो दरोगा जी ने मन ही मन तय किया कि इस भूतनी वाले को बताना ही पड़ेगा कि रस्सी का साँप कैसे बनाते हैं !

लेकिन प्रत्यक्ष में नाई से बोले - "अगली बार आऊंगा तब
बताऊंगा !"

इधर दरोगा जी के जाने के दो घंटे बाद ही 4 सिपाही नाई
की दुकान पर छापा मारने आ धमके - "मुखबिर से पक्की खबर मिली है, तू हथियार सप्लाई करता है। तलाशी लेनी है दूकान की !"

तलाशी शुरू हुई ...

एक सिपाही ने नजर बचाकर हड़प्पा की खुदाई से निकला जंग लगा हुआ असलहा छुपा दिया !

दूकान का सामान उलटने-पलटने के बाद एक सिपाही चिल्लाया - "ये रहा रिवाल्वर"

छापामारी अभियान की सफलता देख के नाई के होश उड़ गए - "अरे साहब मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता ।

आपके बड़े साहब भी मुझे अच्छी तरह पहचानते हैं !"

एक सिपाही हड़काते हुए बोला - "दरोगा जी का नाम लेकर बचना चाहता है ? साले सब कुछ बता दे कि तेरे गैंग में कौन-कौन है ... तेरा सरदार कौन है ... तूने कहाँ-कहाँ हथियार सप्लाई किये ... कितनी जगह लूट-पाट की ...
तू अभी थाने चल !"

थाने में दरोगा साहेब को देखते ही नाई पैरों में गिर पड़ा - "साहब बचा लो ... मैंने कुछ नहीं किया !"

दरोगा ने नाई की तरफ देखा और फिर सिपाहियों से पूछा - "क्या हुआ ?"

सिपाही ने वही जंग लगा असलहा दरोगा के सामने पेश कर दिया - "सर जी मुखबिर से पता चला था .. इसका गैंग है और हथियार सप्लाई करता है.. इसकी दूकान से ही ये रिवाल्वर मिली है !"

दरोगा सिपाही से - "तुम जाओ मैं पूछ-ताछ करता हूँ !"

सिपाही के जाते ही दरोगा हमदर्दी से बोले - "ये क्या किया तूने ?"

नाई घिघियाया - "सरकार मुझे बचा लो ... !"

दरोगा गंभीरता से बोला - "देख ये जो सिपाही हैं न ...साले एक नंबर के कमीने हैं ...मैंने अगर तुझे छोड़ दिया तो ये साले मेरी शिकायत ऊपर अफसर से कर देंगे ...
इन कमीनो के मुंह में हड्डी डालनी ही पड़ेगी ...
मैं तुझे अपनी गारंटी पर दो घंटे का समय देता हूँ , जाकर किसी तरह बीस हजार का इंतजाम कर ..
पांच - पांच हजार चारों सिपाहियों को दे दूंगा तो साले मान जायेंगे !"

नाई रोता हुआ बोला - "हुजूर मैं गरीब आदमी बीस हजार कहाँ से लाऊंगा ?"

दरोगा डांटते हुए बोला - "तू मेरा अपना है इसलिए इतना सब कर रहा हूँ तेरी जगह कोई और होता तो तू अब तक जेल पहुँच गया होता ...जल्दी कर वरना बाद में मैं कोई मदद नहीं कर पाऊंगा !"

नाई रोता - कलपता घर गया ... अम्मा के कुछ चांदी के जेवर थे ...चौक में एक ज्वैलर्स के यहाँ सारे जेवर बेचकर किसी तरह बीस हजार लेकर थाने में पहुंचा और सहमते हुए बीस हजार रुपये दरोगा जी को थमा दिए !

दरोजा जी ने रुपयों को संभालते हुए पूछा - "कहाँ से लाया ये रुपया?"

नाई ने ज्वैलर्स के यहाँ जेवर बेचने की बात बतायी तो दरोगा जी ने सिपाही से कहा - "जीप निकाल और नाई को हथकड़ी लगा के जीप में बैठा ले .. दबिश पे चलना है !"

पुलिस की जीप चौक में उसी ज्वैलर्स के यहाँ रुकी !

दरोगा और दो सिपाही ज्वैलर्स की दूकान के अन्दर पहुंचे ...

दरोगा ने पहुँचते ही ज्वैलर्स को रुआब में ले लिया - "चोरी का माल खरीदने का धंधा कब से कर रहे हो ?"

ज्वैलर्स सिटपिटाया - "नहीं दरोगा जी आपको किसी ने गलत जानकारी दी है!"
दरोगा ने डपटते हुए कहा - "चुप ~~~ बाहर देख जीप में
हथकड़ी लगाए शातिर चोर बैठा है ... कई साल से पुलिस को इसकी तलाश थी ... इसने तेरे यहाँ जेवर बेचा है कि नहीं ? तू तो जेल जाएगा ही .. साथ ही दूकान का सारा माल भी जब्त होगा !"

ज्वैलर्स ने जैसे ही बाहर पुलिस जीप में हथकड़ी पहले नाई को देखा तो उसके होश उड़ गए,

तुरंत हाथ जोड़ लिए - "दरोगा जी जरा मेरी बात सुन लीजिये!

कोने में ले जाकर मामला एक लाख में सेटल हुआ !

दरोगा ने एक लाख की गड्डी जेब में डाली और नाई ने जो गहने बेचे थे वो हासिल किये फिर ज्वैलर्स को वार्निंग दी - "तुम शरीफ आदमी हो और तुम्हारे खिलाफ पहला मामला था इसलिए छोड़ रहा हूँ ... आगे कोई शिकायत न मिले !"

इतना कहकर दरोगा जी और सिपाही जीप पर बैठ के
रवाना हो गए !

थाने में दरोगा जी मुस्कुराते हुए पूछ रहे थे - "साले तेरे को समझ में आया रस्सी का सांप कैसे बनाते हैं !"

नाई सिर नवाते हुए बोला - "हाँ माई-बाप समझ गया !"

दरोगा हँसते हुए बोला - "भूतनी के ले संभाल अपनी अम्मा के गहने और एक हजार रुपया और जाते-जाते याद कर ले ...
हम रस्सी का सांप ही नहीं बल्कि नेवला .. अजगर ... मगरमच्छ सब बनाते हैं .. बस आसामी बढ़िया होना चाहिए"।।

SORRY
but

its
hard truth of our
nation ................

������������

आहिस्ता  चल  जिंदगी,अभी
कई  कर्ज  चुकाना  बाकी  है
कुछ  दर्द  मिटाना   बाकी  है
कुछ   फर्ज निभाना  बाकी है
                   रफ़्तार  में तेरे  चलने से
                   कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
                   रूठों को मनाना बाकी है
                   रोतों को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए
कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
                    कुछ हसरतें अभी  अधूरी हैं
                    कुछ काम भी और जरूरी हैं
                    जीवन की उलझ  पहेली को
                    पूरा  सुलझाना  बाकी     है
जब साँसों को थम जाना है
फिर क्या खोना ,क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह   बात   बताना  बाकी  है
                     आहिस्ता चल जिंदगी ,अभी
                     कई कर्ज चुकाना बाकी    है
                     कुछ दर्द मिटाना   बाकी   है  
                     कुछ  फर्ज निभाना बाकी है !

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

एक गाँव में 10, साल का लड़का अपनी माँ के साथ रहता था।

माँ ने सोचा कल मेरा बेटा मेले में जाएगा, उसके पास 10 रुपए तो हो, ये सोचकर माँ ने खेतो में काम करके शाम तक पैसे ले आई।

बेटा स्कूल से आकर बोला खाना खाकर जल्दी सो जाता हूँ, कल मेले में जाना है।

सुबह माँ से बोला -मैं नहाने जाता हूँ,नाश्ता तैयार रखना, माँ ने रोटी बनाई, दूध अभी चूल्हे पर था..!

माँ ने देखा बरतन पकडने के िलए कुछ नहीं है, उसने गमर् पतीला हाथ से उठा िलया, माँ का हाथ जल गया।

बेटे ने गदर्न झुकाकर दूध रोटी खाई और मेले में चला गया।

शाम को घर आया,तो माँ ने पूछा - मेले में क्या देखा,10 रुपए का कुछ खाया िक नहीं..!!

बेटा बोला -माँ आँखें बंद कर,तेरे िलए कुछ लाया हूँ।

माँ ने आँखें बंद की,तो बेटे ने उसके हाथ में गमर् बरतन उठाने के िलए लाई सांडसी रख दी।

अब माँ तेरे हाथ नहीं जलेंगे।

माँ की आँखों से आँसू बहने लगे।

दोस्तों, माँ के चरणों मे स्वगर् है, कभी उसे दुखी मत करो..!

सब कुछ िमल जाता है, पर माँ दुबारा नहीं िमलती।

मेरी माँ

I LOVE MY papa

PAPA Poochte HaiN Ki,,,,,,

,,,,,,,,Kitna Kamaya,,,,????

Wife Poochegi,,,,,,

,,,,,,,Kitna Bachaya,,,,,,????

Beta Poochega,,,,,,,

,,,,,,,Kya Laaya,,,,,,???? LekiN

Maa Hi Poochegi :

" Beta Kuch Khaya,,,,????? "

Agar Aap Free Ho

ToH Iss Msg ko Itna

FaeLao Jitna Aap

Apni Maa Se Pyaar Karte

Ho,,,,,,,,!!

Ek Msg Maa Ke NaaM,,,,, :

LOVE U MAA

सोमवार, 13 फ़रवरी 2017



संसार में दो प्रकार के पेड़ पौधे हैं।
प्रथम:-अपना फल अपने आप दे देते हैं-.. आम, अमरुद, केला
इत्यादि....
द्वितीय:-अपना फल छिपाकर रखते हैं-...आलू, अदरक, प्याज इत्यादि....
जो अपना फल अपने आप दे देते हैं,उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं
किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं
ठीक इसी प्रकार जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं,
उनका सभी ध्यान रखते हैं अर्थात् मान-सम्मान देते है,
वही दूसरी ओर जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं,
किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है,वे जड़ सहित खोद लिए जाते है
अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है...



: नशा छोड़ने के लिए अचूक उपाय चाहे वह कोई भी नशा हो
शराब, गुटखा, तम्बाकू या कोई भी।
अदरक के छोटे छोटे टुकड़े काट ले
अब इन पर सेंधा नमक बुरक ले,
अब इन टुकड़ो पर निम्बू निचोड़ ले
और इन टुकड़ो को धुप में सूखने के लिए रख दे।
जब सूख जाए तो बस हो गयी दवा तैयार।
अब जब भी किसी नशे की लत लगे
तो ये टुकड़ा निकाला और चूसते रहो।
ये अदरक मुह में घुलती नहीं
इसको आप सुबह से शाम तक मुह में रख सकते हैं।
अब आप सोचोगे के ऐसा अदरक में क्या हैं तो सुनिए
जब किसी आदमी को नशे की लत लगती हैं तो उसकी बॉडी सल्फर की डिमांड करती हैं,
और अगर हम सल्फर की कमी शरीर में पूरी कर दे
तो फिर बॉडी को ये नशे की उठने वाली तलब नहीं लगेगी।
ये प्रयोग आप 3 से 4 दिन करोगे
तो ही आप नशा मुक्त हो जाओगे।
अगर कोई बहुत बड़ा नशेबाज हैं या रेगुलर ड्रिंक करते हैं
तो उनको ये 7 से 8 दिन लग सकते हैं।
जनजागरण  हमारा भारत नशामुक्त और स्वास्थ्य बने

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

Narendra Modi को चाहने वाले इसे जरूर पढ़ें और ना चाहने वाले भी जरूर पढ़ें . . .

किसी ने सच ही कहा है कि - "चमगादड़ों के कैसे अच्छे दिन ?
दिन अच्छे हों या बुरे चमगादड़ों को तो उल्टा ही लटकना है"।

1. विगत 10 वर्षों से मोबाइल, टीवी, फ्रिज से लेकर बच्चों के खिलौने तक चीन से आ रहे हैं, आज पहली बार SONY अपनी BRAVIA SERIES के टीवी भारत में बनाने जा रहा है (चेन्नई मेंकारखाना ),

XIAOMI, MOTOROLA, APPLE, FOXCONN इत्यादि कम्पनियां भारत में प्रोडक्शन शुरू कर रही हैं। (XIAOMI ने तो अपना पहला Made In India मोबाइल बाजार में उतार भी दिया है)।

BMW जैसी LUXURY कार निर्माता कम्पनी भी भारत में प्लांट लगा रही है। MERCEDES जर्मनी के बाहर अपना पहला कारखाना खोल रही है ( कर्णाटक में),

VOLVO ने कर्णाटक में अपना सन्यंत्र स्थापित किया और आगामी 6 महीनों में इस सन्यंत्र में निर्मित बसें यूरोप को निर्यात होने लगेंगी।

2. जो देश सदैव रक्षा उपकरणों का आयात करता हो, उस भारत ने विगत एक वर्ष में वियतनाम, अफ्रीकन कन्ट्रीज, समेत कई देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करना शुरू कर दिया हो (Today we are even exporting BULLETPROOF Vests to UK, BRAHMOS to VIETNAM).

3. आज यमन से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए US, EUROPE के देश भारत से सहायता माँगते हैं, यह शायद 26 मई 2014 से पहले किसी ने सोंचा भी नहीं होगा???

4. जिस देश को SOFT STATE कहा जाता था, वही भारत आज तजाकिस्तान , मॉरिशस में अपने सैन्य अड्डे बना रहा है।

वर्षों से चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को मिलिट्री यूज़ के लिए develop कर रहा है, सिर्फ 1 वर्ष में चीन को tackle करने के लिए भारत ने ईरान का चाहबर पोर्ट develop किया।

5. जो देश सदैव CEASEFIRE VIOLATION को लेकर UN जाता था, आज उसी देश की शिकायत पाकिस्तान UN से कर रहा है।

6. 1947 के बाद पहली बार भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान से यदि
कश्मीर पर बात होगी तो सिर्फ POK पर होगी।

7. आजतक हमने सदैव भारत में पाकिस्तानी झंडे लहराते हुए देखे थे, परन्तु आज पहली बार पाकिस्तान के बलूचिस्तान और POK में भारतीय तिरंगा
लहराया जा रहा है।

यदि आपके लिए ये अच्छे दिन नहीं हैं तो, विश्वास करिये आपके अच्छे दिन कभी नहीं आ सकते।
#support modi varna abb koi dosra nahi ayegha iss desh ko bachane...

�� ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ ��
⛅ *आज का दिनांक - 09 फरवरी  2017*
⛅ *दिन - गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2073*
⛅ *शक संवत -1938*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*    
⛅ *तिथि -सुबह 09:21 तक त्रयोदशी - सुबह 09:22 से चतुर्दशी*
⛅ *नक्षत्र - पुनर्वसु*
⛅ *योग - आयुष्मान्*
⛅ *राहुकाल - दोपहर 01:57 से शाम 03:19 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:14*
⛅ *सूर्यास्त - 18:31*
⛅ *दिशाशूल - दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व  विवरण - विश्वकर्मा जयंती, गुरुपुष्यामृत योग  (सुबह 10:48 से 10 फरवरी सूर्योदय तक)*
�� *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
�� *चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
          �� *~ हिन्दू पंचांग ~* ��

�� *गुरु पुष्यामृत योग* ��
���� *09 फरवरी 2017 गुरुवार को  (सुबह 10:48 से 10 फरवरी सूर्योदय तक)*
���� *‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |*
���� *देवगुरु बृहस्पति ग्रह का उद्भव पुष्य नक्षत्र से हुआ था, अत: पुष्य व बृहस्पति का अभिन्न संबंध है | पुष्टिप्रदायक पुष्य नक्षत्र का वारों में श्रेष्ठ बृहस्पतिवार (गुरुवार) से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग’ कहलाता है |*
�� *गुरौ पुष्यसमायोगे सिद्धयोग: प्रकीर्तित: |*
���� *शुभ, मांगलिक कर्मों के संपादनार्थ गुरु-पुष्यामृत योग वरदान सिद्ध होता है |*
���� *इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं |*
          �� *~ हिन्दू पंचांग ~* ��

�� *कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में* ��
�� *बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |*
���� *-लोककल्याण सेतु – जून २०१४ से*
          �� *~ हिन्दू पंचांग ~* ��

�� *पुष्य नक्षत्र योग* ��
���� *१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उसपर खुश होते है और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी है देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –*
�� *ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये  नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये  नम : |*
���� *- Shri Sureshanandji Kharghar -Navi Mumbai 7th Apr'13*
        

��  ��सूतक पातक
.

एक पण्डित जी हैं ।
पत्राचार से 12वीं कक्षा पास हैं ।
हर बात में अपनी विद्वत्ता दिखाते हैं ।

एक दिन एक बच्चे से उलझ गये ।

बच्चे ने भी एक प्रश्न दाग दिया कि,
"वो कौन-सी वस्तु है, जो कभी अपवित्र नहीं होती......?"

पण्डित जी टोपी उतार कर पसीने-पसीने हो गये, मगर, उस बच्चे के प्रश्न का जवाब नहीं दे पाये ।
आखिर, हार मान कर बोले, चल तू बता ।

बच्चे ने कहा कि कभी न अपवित्र होने वाली वस्तु  है,
टैन्ट हाउस के गद्दे, जिसे......

हिन्दू,-मुसलमान से ले कर पण्डित, चमार, डोम और भंगी तक इस्तेमाल करते हैं । ये गद्दे मैयत से लेकर पूजा पण्डाल तक और धार्मिक कथा से ले कर उठावनी तक हर मौके पर बिछते हैं । इनको कोई सुतक भी नहीं लगता ।
बाराती भी इन गद्दों पर सोम-रस पीने के बाद वमन करते हैं । छोटे बच्चों को सुविधानुसार इन पर पेशाब करा दिया जाता है । इतना ही नहीं, इन पर बिछी चादरों से जूते भी चमका लियेे जाते हैं । हद तो तब होती है, जब हलवाई इन चादरों में पनीर का चक्का लटका देता है । उसी  पनीर से क्या मजे का मटर-पनीर बनता है......!!
.
                         ��  ��

                   पण्डित चारों खाने चित था.....!!

बच्चा पण्डित जी पर पानी के छीटे मार रहा था......!!
.
.
                            ����
.
.

बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

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          *फुर्सत नहीं है*
              *इंसान को इंसान से मिलने की*
                    *ख्वाहिशे रखता है*
                           *दूर बैठे भगवान से मिलने की ...*

              ��������������

*दरिया ने झरने से पूछा*
*तुझे समन्दर नहीं बनना है क्या..?*
*झरने ने बड़ी नम्रता से कहा*
*बड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है*

*छोटा रह कर मीठा ही रहूँ*
          
               ������������

*मन की आंखो से*
    *प्रभु का दीदार करो*
         *दो पल का है अन्धेरा*
           *बस सुबह का *इन्तजार करो*
            *छोटी सी है ज़िंदगी बस*
           *हर किसी से प्यार करो...*
   
           

*हर पिता के भाग्य मे बेटी नहीं होती*
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*राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुँचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया।*
*तभी दशरथ जी ने आगे बढकर जनक जी के चरण छू लिये।चाॅककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और बोले महाराज आप मुझसे बड़े है और तो और वरपक्ष वाले है ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं .....?*
*इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुंदर बात कही,महाराज आप दाता हो कन्यादान कर रहै हो,मैं तो याचक हूँ आपके द्वार कन्या लेने आया हूँ ,,अब आप ही बताऔ दाता और याचक में बड़ा कौन है ,?*
*यह सुनकर जनक जी की आखो मे अश्रुधारा बह निकली..... ।।*
*भाग्यशाली है वो लोग जिनके घर में होतीं है बेटियाँ, हर बेटी के भाग्य मे पिता होता है लेकिन हर पिता के भाग्य मे बेटी नहीं होती ।।*

*What is Karam?                  How it works?*

*अनजाने कर्म का फल*

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ।
राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था ।
उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ।
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला ।
तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था, उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई ।
किसी को कुछ पता नहीं चला ।
फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मौत हो गयी ।
अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ ।
ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईया .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है ....
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....

बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका रहा ....

फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।
उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई ....जरा ध्यान रखना .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।"

बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।

यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों ??
जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नहीं थी ।
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला .... ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।

बस इसी घटना के तहत *आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं !*

अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि  *हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया....??*

ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं ...

�� *A very deep philosophy of Karma