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�� ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ ��
⛅ *आज का दिनांक - 09 फरवरी  2017*
⛅ *दिन - गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2073*
⛅ *शक संवत -1938*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*    
⛅ *तिथि -सुबह 09:21 तक त्रयोदशी - सुबह 09:22 से चतुर्दशी*
⛅ *नक्षत्र - पुनर्वसु*
⛅ *योग - आयुष्मान्*
⛅ *राहुकाल - दोपहर 01:57 से शाम 03:19 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:14*
⛅ *सूर्यास्त - 18:31*
⛅ *दिशाशूल - दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व  विवरण - विश्वकर्मा जयंती, गुरुपुष्यामृत योग  (सुबह 10:48 से 10 फरवरी सूर्योदय तक)*
�� *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
�� *चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
          �� *~ हिन्दू पंचांग ~* ��

�� *गुरु पुष्यामृत योग* ��
���� *09 फरवरी 2017 गुरुवार को  (सुबह 10:48 से 10 फरवरी सूर्योदय तक)*
���� *‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |*
���� *देवगुरु बृहस्पति ग्रह का उद्भव पुष्य नक्षत्र से हुआ था, अत: पुष्य व बृहस्पति का अभिन्न संबंध है | पुष्टिप्रदायक पुष्य नक्षत्र का वारों में श्रेष्ठ बृहस्पतिवार (गुरुवार) से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग’ कहलाता है |*
�� *गुरौ पुष्यसमायोगे सिद्धयोग: प्रकीर्तित: |*
���� *शुभ, मांगलिक कर्मों के संपादनार्थ गुरु-पुष्यामृत योग वरदान सिद्ध होता है |*
���� *इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं |*
          �� *~ हिन्दू पंचांग ~* ��

�� *कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में* ��
�� *बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |*
���� *-लोककल्याण सेतु – जून २०१४ से*
          �� *~ हिन्दू पंचांग ~* ��

�� *पुष्य नक्षत्र योग* ��
���� *१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उसपर खुश होते है और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी है देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –*
�� *ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये  नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये  नम : |*
���� *- Shri Sureshanandji Kharghar -Navi Mumbai 7th Apr'13*
        

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