~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~
⛅ *आज का दिनाँक - 04 फरवरी 2017*
⛅ *दिन - शनिवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2073*
⛅ *शक संवत -1938*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - रात्रि 08:44 तक अष्टमी*
⛅ *नक्षत्र - भरणी*
⛅ *योग - शुक्ल*
⛅ *राहुकाल - सुबह 09:53 से सुबह 11:14 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:15*
⛅ *सूर्यास्त - 18:29*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - भीष्मअष्टमी (भीष्म पितामह श्राद्ध दिवस)*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*'ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।'*
*शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।*
*हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*
*~ हिन्दू पंचांग ~*
*भीष्म अष्टमी*
*माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इस तिथि पर व्रत करने का विशेष महत्व है। यह बार यह व्रत 4 फरवरी,शनिवार को है। धर्म शास्त्रों के अनुसार,इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे।*
*उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है। इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश,तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए,चाहे उसके माता-पिता जीवित ही क्यों न हों। इस व्रत के करने से मनुष्य सुंदर और गुणवान संतान प्राप्त करता है-*
*माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।*
*श्राद्धच ये नरा:कुर्युस्ते स्यु:सन्ततिभागिन:।।*
*(हेमाद्रि)*
*महाभारत के अनुसार जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण,जलदान आदि करता है,उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं-*
*शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।*
*संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।*
*ऐसे करें भीष्म अष्टमी व्रत*
*भीष्म अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर स्नान करना चाहिए। यदि नदी या सरोवर पर न जा पाएं तो घर पर ही विधिपूर्वक स्नानकर भीष्म पितामह के निमित्त हाथ में तिल, जल आदि लेकर अपसव्य (जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर) तथा दक्षिणाभिमुख होकर निम्नलिखित मंत्रों से तर्पण करना चाहिए-*
*वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।*
*गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।*
*भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।*
*आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।*
*इसके बाद पुन: सव्य (जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर) होकर इस मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए-*
*वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।*
*अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।*
*~ हिन्दू पंचांग ~*
*गुप्त नवरात्रि*
गतांक से आगे........
*आठवें दिन करें माता महागौरी की आराधना*
*माघ मास की गुप्त नवरात्रि के आठवे दिन (4 फरवरी, शनिवार) मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।*
*नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्र जागृत करने का दिन है। सोम चक्र उर्ध्व ललाट में स्थित होता है। आठवें दिन साधना करते हुए अपना ध्यान इसी चक्र पर लगाना चाहिए। श्री महागौरी की आराधना से सोम चक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।*
शेष कल........
*~ हिन्दू पंचांग ~*
*गुप्त नवरात्रि*
गतांक से आगे........
*अष्टमी तिथि (4 फरवरी, शनिवार) को माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं ।इससे घर में सुख-समृद्धि आती है ।*
शेष कल........
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