जो *पिता* के पैरों को छूता है
वो कभी *गरीब* नहीं होता।
जो *मां* के पैरों को छूता है
वो कभी *बदनसीब* नही होता।
जो *भाई* के पैरो को छूता है
वो कभी *गमगीन* नही होता।
जो *बहन* के पैरों को छूता है
वो कभी *चरित्रहीन* नहीं होता।
*जो गुरू के पैरों को छूता है*
*उस जैसा कोई*
*खुशनसीब नहीं होता*.......
अच्छा *दिखने* के लिये मत जिओ
बल्कि *अच्छा* बनने के लिए जिओ
जो *झुक* सकता है वह सारी
☄दुनिया को *झुका* सकता है
अगर बुरी आदत *समय पर न बदली* जाये
तो बुरी आदत *समय बदल देती* है
चलते रहने से ही *सफलता* है,
रुका हुआ तो पानी भी *बेकार* हो जाता है
*झूठे दिलासे* से *स्पष्ट इंकार* बेहतर है
अच्छी *सोच*, अच्छी *भावना*,
अच्छा *विचार* मन को हल्का करता है
मुसीबत सब पर आती है,
कोई *बिखर* जाता है
और कोई *निखर* जाता है
दुनिया की ताकतवर चीज है *"लोहा"*
जो सबको काट डालता है ....
लोहे से ताकतवर है *"आग"*
जो लोहे को पिघला देती है...
आग से ताकतवर है *"पानी"*🌧
☄जो आग को बुझा देता है....
और पानी से ताकतवर है *"इंसान"*
जो उसे पी जाता है....
इंसान से भी ताकतवर है *"मौत"*
जो उसे खा जाती है....
और मौत से भी ताकतवर है *"दुआ"*
जो मौत को भी टाल सकती है...
"तेरा मेरा"करते एक दिन चले जाना है...
जो भी कमाया यही रह जाना है
*कर ले कुछ अच्छे कर्म*
*साथ यही तेरे आना है*
*मुझे वो रिश्ते पसंद है,*
*जिनमें "मैं" नहीं "हम"हो*
"परिवार" से बड़ा कोई
"धन" नहीं!
"पिता" से बड़ा कोई
"सलाहकार" नहीं!
"माँ" की छाव से बड़ी
कोई "दुनिया" नहीं!
"भाई" से अच्छा कोई
"भागीदार" नहीं!
"बहन" से बड़ा कोई
"शुभचिंतक" नहीं!
"पत्नी" से बड़ा कोई
"दोस्त" नहीं
इसलिए
"परिवार" के बिना
"जीवन" नहीं!!!
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