मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

जिंदगी क्या होती है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !
एक परांठा जल्दी से ठूंस कर ,
सुबह ही क्लीनिक में आता हूँ ,
एक ही सांस में चाय गटक जाता हूँ ,
पेट के चूहों को अक्सर ही समझाता हूँ ,
तीन बजे जल्दी जल्दी लंच निबटाता हूँ ,
भूख क्या होती है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !
मरीजों की गंध में दिन को बिताता हूँ ,
कभी कभी मजबूरन रूम फ्रेशनर करवाता हूँ ,
कोई उलटी टॉयलेट करे तो जल्दी से साफ़ करवाता हूँ ,
किसी किसी के मुंह की गंध से बेहद खिसियाता हूँ ,
फिर अपने दिल को ढाढस बंधाता हूँ ,
खुशबु क्या होती है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !
भाग के आता हूँ , भाग के जाता हूँ ,
दो मिनट में स्नान ध्यान निबटाता हूँ ,
दौड़ के कभी कभी टॉयलेट जाता हूँ ,
भगवान् को भी दूर से ही हाथ हिलाता हूँ ,
कितना भी जल्दी करूँ तो भी थक जाता हूँ ,
चैन वैन क्या होता है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !
जब भी रात में फोन उठाता हूँ ,
किसी को कराहते पाता हूँ ,
खुद पर भुनभुनाते हुए भी ,
उसको देख कर आता हूँ ,  
कई बार सुबह ही सुबह ,
सरदर्द की गोली खाता हूँ ,
बेहद मजबूरी में ही , मरीज को मना करवाता हूँ ,
नींद वींद क्या होती है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !
वीकेंड पर घूमने के अक्सर प्लान बनाता हूँ ,
टेलर और बारबर  को भी ,
घर पर ही बुलवाता हूँ ,
हॉलिडे बुक कराता हूँ , फिर कैंसिल कराता हूँ ,
बच्चों के स्कूल से क्लिनिक का तालमेल बनाता हूँ ,
शादी ब्याह में भी , अक्सर नही जा पाता हूँ ,
ये इतवार क्या होता है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !
जब भी किसी की जान बचाता हूँ ,
अन्दर से खुश हो जाता हूँ ,
गरीब को पैसे छोड़ कर ,
बदले में दुआएं पाता हूँ ,
अपने पेशे से चिढ़ता भी हूँ ,
अपने पेशे से प्यार भी करता हूँ ,
मौत क्या होती है पता नहीं , भाई मै तो चिकित्सक हूँ !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें