रविवार, 18 फ़रवरी 2018

*अकेले हम बूँद हैं,*
          *मिल जाएं तो सागर हैं।*
*अकेले हम धागा हैं,*
          *मिल जाएं तो चादर हैं।*
*अकेले हम कागज हैं,*
          *मिल जाए तो किताब हैं।*
*अकेले हम अलफ़ाज़ हैं,*
          *मिल जाए तो जवाब हैं।*
*अकेले हम पत्थर हैं,*
          *मिल जाएं तो इमारत हैं।*
*अकेले हम दुआ हैं,*
          *मिल जाएं तो इबादत हैं।*

*संस्कारों से बड़ी कोई*
                *वसीयत नहीं....*
                  *और*
     *ईमानदारी से बड़ी कोई*
                  *विरासत नहीं...!*
               

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