मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

#बेटी ही असली वारिस :-

#बेटी ही असली वारिस :-

एक इलाके में एक भले आदमी का देहांत हो गया था, लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पाऊं पकड़ लिया और बोला की मरने वाले से मेरे 15 लाख लेने है,पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा जी। 
सब लोग खड़े तमाशा देख रहे थे,  बेटों ने कहा कि मरने से पहले पिता जी ने हमें तो पैसे लेने की कोई ऐसी बात  नहीं बताई कि वह कर्जदार है, इसलिए हम नही दे सकतें ।
इसके बाद मृतक के भाइयों ने कहा के जब बेटे को ही पता नहीं कर्ज का तो हम जिम्मेदार क्यों ? जब ये ही नही दे रहे तो हम क्यों दें। 
अब सभी लोग खड़े है और उसने अर्थी पकड़ी हुई है, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई। मरने वाले कि एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए दे दी और उससे कहा कि अभी मेरे पास ये ये ही तकड पैसे है और कुछ ज़ेवर है इनको रख लो बाद में मैं आपका सभी कर्ज  चुका दूँगी जी परन्तु अभी आप मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को ना रोको , जितना भी कर्ज हो तो वह उसे भी चुका देगी लेकिन इस समय उसके पिता जी की अर्थी को जाने दीजियेगा ऐसा बोली। 
मैं मरने से पहले सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी।
अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगो से मुखातिब हो कर बोला कि  रुकावट के लिए सभी से माफी चाहता हूँ  असल बात ये है कि मरने वाले से 15 लाख लेने नहीं है बल्कि उनके देने है और उनके किसी वारिस को मैं नहीं जानता था तो मैंने ये खेल खेला,क्योंकि 15 लाख ₹ के लिए ना जाने कितने लोग खड़े जो जाते जी ये अब मुझे पता चल चुका है कि उसकी वारिस एक बेटी है और उसका कोई बेटा या भाई नही है जी।

मत मारो तुम कोख में इसको
इसे सुंदर जग में आने दो,
छोड़ो तुम अपनी सोच ये छोटी 
एक माँ को ख़ुशी मनाने दो,
बेटी के आने पर अब तुम
घी के दिये जलाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

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