शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा-माधव.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ?*

*एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा-माधव.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ?*

*कृष्ण अर्जुन को पतंग  उड़ाने ले गए।*

*अर्जुन कृष्ण  को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहे थे,*

*थोड़ी देर बाद अर्जुन बोले-*

*माधव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें ? ये और ऊपर चली जाएगी|*

*कृष्ण ने धागा तोड़ दिया ..*

*पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...*

*तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया...*

*पार्थ..  'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे :*

           *-घर-*
         *-परिवार-*
           *-मित्र-*
       *-अनुशासन-*
      *-माता-पिता-*
       *-गुरू-और-*
          *-समाज-*

*और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...*

*वास्तव में यही वो धागे होते हैं - जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..*

*इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ...'*

*"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.."*

*धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन कहते हैं!*


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