बुधवार, 28 मार्च 2018

*मैं ना होता तो क्या होता पर एक प्रसंग।*                        

एक बार हनुमानजी ने प्रभु श्रीराम से कहा कि अशोक वाटिका में जिस समय रावण क्रोध में भरकर तलवार लेकर सीता माँ को मारने के लिए दौड़ा, तब मुझे लगा कि इसकी तलवार छीन कर इसका सिर काट लेना चाहिये, किन्तु अगले ही क्षण मैंने देखा कि मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया, यह देखकर मैं गदगद् हो गया !
ओह प्रभु!
आपने कैसी शिक्षा दी, यदि मैं कूद पड़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता तो क्या होता ?
 
बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है, मुझे भी लगता कि यदि मै न होता तो सीताजी को कौन बचाता ?
परन्तु आज आपने उन्हें बचाया ही नहीं बल्कि बचाने का काम रावण की पत्नी को ही सौंप दिया।
तब मै समझ गया कि आप जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं, किसी का कोई महत्व नहीं है !
आगे चलकर जब त्रिजटा ने कहा कि लंका में बंदर आया हुआ है और वह लंका जलायेगा तो मै बड़ी चिंता मे पड़ गया कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नही है और त्रिजटा कह रही है तो मै क्या करुं ?
पर जब रावण के सैनिक तलवार लेकर मुझे मारने के लिये दौड़े तो मैंने अपने को बचाने की तनिक भी चेष्टा नहीं की, और जब विभीषण ने आकर कहा कि दूत को मारना अनीति है, तो मै समझ गया कि मुझे बचाने के लिये प्रभु ने यह उपाय कर दिया !

आश्चर्य की पराकाष्ठा तो तब हुई, जब रावण ने कहा कि बंदर को मारा नही जायेगा पर पूंछ मे कपड़ा लपेट कर घी डालकर आग लगाई जाये तो मैं गदगद् हो गया कि उस लंका वाली संत त्रिजटा की ही बात सच थी, वरना लंका को जलाने के लिए मै कहां से घी, तेल, कपड़ा लाता और कहां आग ढूंढता, पर वह प्रबन्ध भी आपने रावण से करा दिया, जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं तो मुझसे करा लेने में आश्चर्य की क्या बात है !

इसलिये हमेशा याद रखें कि संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है, हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं, इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि........
*मै न होता तो क्या होता?*

मंगलवार, 27 मार्च 2018


" अब आप HIV रोग से संक्रमित हैं "

हाल ही में पेरिस फ्रांस के रोग नियंत्रक केंद्र द्वारा वहां भी ऐसी कई घटनाएं फ्रांस के अलग अलग शहरों में होने के प्रमाण दिए हैं। और जितनी भी सुई मिली है वे सभी HIV वायरस से संक्रमित थी।

केंद्र ने यहां तक कहा है कि सुइयाँ बैंक्स के नकदी निकालने वाली मशीनों के खाँचो में भी मिली है। हम आप सभी से मात्र इतना चाहते है कि आप ऐसी क्रियाएं करने से पूर्व सावधानी बरतें
सभी सार्वजनिक बैठने के स्थानों पर बैठने से पूर्व एक बार तीक्ष्ण नजर से स्थान को देख कर ही बैठे और हम ये भी चाहते हैं कि आप ये संदेश अपने परिचितों तक अवश्य पहुंचाएं और उनसे भी कहें कि वे अपने परिचितों तक पहुंचाएं

हाल ही में दिल्ली के एक चिकित्सक के पास ऐसी ही एक  घटना दिल्ली प्रिया सिनेमा हॉल में देखने को मिली एक युवा कन्या जिसका विवाह तय हो चुका था और आने वाले महीने में विवाह संपन्न होना था उसके संग यह घटना घटित हुई और जो सुई उसे चुभी उसपर कागज में लिखा था

" HIV संक्रमित लोगों के परिवार में आपका स्वागत है "

चिकित्सक ने उस कन्या के परिवारीजनों को बताया कि संक्रमण को प्रभाव में आने के लिए कम से कम 6 महीने का समय लगेगा जिससे आपकी बेटी 4 या 5 वर्ष जीवित रह सकेगी किन्तु वह कन्या 4 महीने के भीतर ही देह त्याग गयी निसंदेह यह अचंभित कर देने वाली खबर है।

फालतू के संदेश भेजने से अच्छा है आप इस संदेश को लोगो तक पहुंचाएं क्या पता आपके संदेश से किसी का जीवन बच जाए धन्यवाद

*दूध तो हम में से कई लोग पीते है फिर भी लोगो को शिकायत रहती है*

*कि उन्हें दूध पचता नही है*
और
*ना ही शरीर को लगता है।*
*आज हम आपको एक ऐसी चीज बतायेंगे जिसे दूध में डालकर पीने से आपका शरीर फौलाद की तरह बन जायेगा। आप बीमारियों से कोसों दूर हो जाएंगे और एक स्वस्थ-निरोगी काया पाएंगे।*

ये चीज है दालचीनी जिसे हम दैनिक जीवन मे बहुतायत से उपयोग करते है पर इसके कई फायदों से अनजान हैं। दालचीनी को इसके अनोखे गुणों के कारण वंडर स्पाइस भी कहते है। दालचीनी को दूध के साथ मिलाकर पीने से इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते है, ये ना केवल आपके शरीर को मजबूत करती है बल्कि सुंदरता भी बढ़ाती है।

दालचीनी वाला दूध बनाने के लिए आपको एक ग्लास गर्म दूध में आधा चम्मच दालचीनी अच्छी तरह मिला देना है और इसका गर्म ही सेवन करना है। इस दूध को पीने से आपको कई फायदे होंगे जैसे-

◆आपका ब्लड सुगर लेवल रेगुलेट रहेगा यानी डाइबिटिज के मरीजो के लिए दालचीनी वाला दूध बहुत बहुत फायदेमंद है।

◆ये स्किन और बालों से सम्बंधित हर समस्या को दूर करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते है जो बालों और स्किन से जुड़ी रोगाणुओ को नष्ट कर देते हैं।

◆दालचीनी वाले दूध का सेवन करने से गठिया और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होती ही नही हैं। और जिन लोगो को अर्थराइटिस से सम्बंधित समस्या है उन्हें इससे आराम मिलेगा।

◆पढ़ाई करने वाले छात्रों को दालचीनी वाला दूध देने से उनकी एकाग्रता और मेमोरी पावर बढ़ता है।

◆यदि आपको नींद ना आने कि समस्या है तो रोज रात को ये दूध पीने से आपकी ये समस्या धीरे धीरे चली जायेगी।

◆यदि आप वजन कम करने के लिए परेशान हो रहे है तो रोज रात को दालचीनी वाला दूध पीने से आप महिने में 3 से 4 किलो वजन घटा सकते है।

◆दालचीनी वाले दूध का सेवन करने से आपको जीवन मे कभी भी दिल की बीमारी या हार्ट स्ट्रोक का सामना नही करना पड़ेगा

आपका यह कदम *स्वस्थ भारत के निर्माण* मैं योगदान के रूप में होगा

दो शेरों की दोस्ती बिगड़ जाती है,

दोनों ही एक दुसरे के दुश्मन हो जाते हैं,
फिर दोनों एक दूसरे से 10 साल तक बात तक नही करते,

एक बार पहले शेर और उसकी
बीवी-बच्चों को 25-30 कुत्ते नोचने लगते हैं,

तभी दूसरा शेर आता है, और उन कुत्तों को केले के छिलके की तरह फाड़ के भाग देता है और फिर से दूर जा के बैठ जाता है,

पहले शेर का बेटा उससे पूछता है कि पापा दूसरे शेर से तो आप बात तक नही करते, फिर भी उसने हमको क्यों बचाया....?

पहले शेर ने कहा *"" बेटा, भले ही नाराज़गी हो, पर दोस्ती इतनी भी कमजोर नही होनी चाहिए कि कुत्ते फायदा उठा लें....✍🏻""*.                            भाइयों को समर्पित.............

School

निजी स्कूलों की लूट से बचने के 10 रामवाण उपाय-

1- मोहल्ले के या नजदीक के 50 परिवार एक समूह बनाऐं।

2- उस समूह के सभी लोग अपने बच्चे सरकारी स्कूल में भरती कर दें।

3-केवल पहली साल के लिए  एक साल का निजी स्कूल का खर्च का केवल आधा भाग एडवाँस में उस सरकारी स्कूल को दान कर दें(नगद न दें वल्कि सामान खरीदकर दें और एज्युकेशन पोर्टल पर उस दान की ऐंट्री भी करा दें) ताकि उसमें इनफ्रा स्ट्रक्चर निजी स्कूलों जैसा हो जाए।

4- इन 50 परिवारों में से 5 परिवार कीं पढीं लिखी बहुऐं, बेटियाँ(जो घर पर रहतीं हों) एक महीने समय दान कर स्कूल में पढाने जाऐं और स्कूल की शिक्षा, व्यवस्था को अपने हिसाब का बनाने में टीचर्स का सहयोग कर दें।

इस तरह प्रति 5 परिवार के एक माह देखरेख से 50 परिवार पूरे 10 माह देखरेख कर सकेंगे।

5- प्रति रविवार किटी पार्टी की थीम एज्युकेशन पर रखें जिसमें बच्चों की पढाई, समस्याऐं और समाधान पर चर्चा करें।

6- यह सब केवल पहली साल करना है, अगली साल से बिना एक रुपये खर्च किए ही केवल समय दान करके ही यह सब हो जाएगा।

7- दो साल बाद यह ट्रेंड बन जाएगा और फिर आपको समय दान के दिए सात दिन तक मिलना मुश्किल हो जाएगा।

8- यह ऐसी शुरूआत होगी जो आगे चलकर समाज में सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढाने और  सरकारी स्कूल की मदद करने को फेशन बना देगी और समाज निजी स्कूलों, कोचिंगों की लूट से बच जाएगा।

9- कम से कम इसे शेयर करके संदेश तो मुफ्त में आगे बढा ही सकते हैं।

10 - पहले यह प्रयोग कक्षा 1 से 8 तक के लिए करके देखें। और आज से ही इसकी शुरूआत करें।
दूसरे लुट रहे लोग भी आपके साथ जल्दी ही खड़े मिलेंगे।

*Do Or Die

*एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बीनने गया तो उसने एक अद्भुत बात देखी।*

*एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह खुशी खुशी घसीट कर चल रही थी।*

*यह कैसे ज़िंदा रहती है जबकि किसी शिकार को भी नहीं पकड़ सकती, किसान ने सोचा. तभी उसने देखा कि एक शेर अपने दांतो में एक शिकार दबाए उसी तरफ आ रहा है. सभी जानवर भागने लगे, वह किसान भी पेड़ पर चढ़ गया. उसने देखा कि शेर, उस लोमड़ी के पास आया. उसे खाने की जगह, प्यार से शिकार का थोड़ा हिस्सा डालकर चला गया।*

*दूसरे दिन भी उसने देखा कि शेर बड़े प्यार से लोमड़ी को खाना देकर चला गया. किसान ने इस अद्भुत लीला के लिए भगवान का मन में नमन किया। उसे अहसास हो गया कि भगवान जिसे पैदा करते हैं, उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देते हैं।*

*यह जानकर वह भी एक निर्जन स्थान चला गया और वहां पर चुपचाप बैठ कर भोजन का रास्ता देखता। कई दिन गुज़र गए, कोई नहीं आया। वह मरणासन्न होकर वापस लौटने लगा।*

*तभी उसे एक विद्वान महात्मा मिले। उन्होंने उसे भोजन पानी कराया, तो वह किसान उनके चरणों में गिरकर वह लोमड़ी की बात बताते हुए बोला, महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर दया दिखाई पर मैं तो मरते मरते बचा; ऐसा क्यों हुआ कि भगवान् मुझ पर इतने निर्दयी हो गए ?*

*महात्मा उस किसान के सर पर हाथ फिराकर मुस्कुराकर बोले, तुम इतने नासमझ हो गए कि तुमने भगवान का इशारा भी नहीं समझा इसीलिए तुम्हें इस तरह की मुसीबत उठानी पड़ी। तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान् तुम्हे उस शेर की तरह मदद करने वाला बनते देखना चाहते थे, निरीह लोमड़ी की तरह नहीं।*

*हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं। ईश्वर ने हम सभी के अंदर कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं। चुनाव हमें करना है*

*शेर बनना है या लोमड़ी।*

इनकम दो तरह की होती है

एक एक्टिव इनकम और
दूसरी पेसिव इनकम

एक्टिव इनकम : - एक्टिव इनकम के लिये आपको लगातार एक्टिव रहना पड़ता है जैसे अगर आप नौकरी करते हैं तो आपको रोज अपनी ड्यूटी करनी होगी तभी आपको महीने के आखिर में तनख्वाह मिलेगी और अगर आप बिजनेस करते हैं तो रोज आपको अपनी दुकान का शटर उठाकर दिन भर बैठना होगा तभी आपको इनकम आएगी ।

एक्टिव इनकम लेने वाले लोग साधारण होते हैं इसीलिए 90% लोग एक्टिव इनकम वाले ही होते हैं और इनके पास पूरी दुनियां की धन दौलत  केवल 10% ही हिस्सा इनके पास  होता है ।

पेसिव इनकम : - पेसिव इनकम लेने वाले लोग अगर लगातार एक्टिव न भी रहें तो भी इनको जीवन भर पैसा आता रहेगा जैसे मार्कजुकरबर्ग , राहुल बजाज, रतन टाटा , मुकेश अम्बानी और अजीम प्रेम जी ऐसे लोग अपना एक बड़ा सा नेटवर्क बना लेते हैं जो इनके न रहने पर भी इनके लिये काम करता रहता है।

पेसिव इनकम लेने वाले लोग असाधारण होते हैं इसीलिए ऐसे लोग पूरी दुनियाँ में केवल 10% ही होते हैं और आश्चर्य की बात है कि पूरी दुनिया की धन दौलत का 90% हिस्सा इन्ही लोगों के पास होता है ।

दोस्तो ये जिंदगी सिर्फ एक बार ही मिली है हम इसे बड़ा सा नेटवर्क बनाकर  10% पेसिव इनकम वाले असाधारण लोगों में शामिल कर लें या 90% वाले एक्टिव इनकम के साधारण लोगों में शामिल कर ले
*फैसला हमारे हाथ में*

👌UNMOL👌

💥 “ये बिल क्या होता है माँ ?”
       8 साल के बेटे ने माँ से पूछा।

💥 माँ ने समझाया -- “जब हम किसी से कोई सामान
     लेते हैं या काम कराते हैं, तो वह उस सामान या काम
     के बदले हम से पैसे लेता है, और हमें उस काम या
     सामान की एक सूची बना कर देता है,
     इसी को हम बिल कहते हैं।”

💥 लड़के को बात अच्छी तरह समझ में आ गयी।
      रात को सोने से पहले, उसने माँ के तकिये के नीचे
      एक कागज़ रखा,
      जिस में उस दिन का हिसाब लिखा था।

💥 पास की दूकान से सामान लाया             5रु
      पापा की bike पोंछकर बाहर निकाली।  5 रु
      दादाजी का सर दबाया                         10 रु
      माँ की चाभी ढूंढी                                10 रु
      कुल योग                                           30 रु

💥 यह सिर्फ आज का बिल है ,
      इसे आज ही चुकता कर दे तो अच्छा है।

💥 सुबह जब वह उठा तो उसके तकिये के नीचे 30 रु.  
      रखे थे। यह देख कर वह बहुत खुश हुआ
      कि ये बढ़िया काम मिल गया।

💥 तभी उस ने एक और कागज़ वहीं रखा देखा।
      जल्दी से उठा कर, उसने कागज़ को पढ़ा।
      माँ ने लिखा था --

😘 जन्म से अब तक पालना पोसना --       रु 00
💥बीमार होने पर रात रात भर
      छाती से लगाये घूमना --                     रु 00
😘 स्कूल भेजना और घर पर
       होम वर्क कराना  --                          रु 00
💥 सुबह से रात तक खिलाना, पिलाना,
      कपड़े सिलाना, प्रेस करना --               रु 00
💥 अधिक तर मांगे पूरी करना --              रु 00
      कुल योग                                         रु 00

💥 ये अभी तक का पूरा बिल है,
      इसे जब चुकता करना चाहो कर देना।

💥 लड़के की आँखे भर आईं
      सीधा जा कर माँ के पैरों में झुक गया
      और मुश्किल से बोल पाया --

     “तेरे बिल में मोल तो लिखा ही नहीं है माँ,
      ये तो अनमोल है,"
      इसे चुकता करने लायक धन तो
      मेरे पास कभी भी नहीं होगा।
      मुझे माफ़ कर देना , माँ।“

शुक्रवार, 16 मार्च 2018

*महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं?*

शिव जी पार्वती जी से कहते हैं कि हे देवी ! जो व्यक्ति एक बार *राम* कहता है उसे मैं तीन बार प्रणाम करता हूँ।

*पार्वती जी ने एक बार शिव जी से पूछा आप श्मशान में क्यूँ जाते हैं और ये चिता की भस्म शरीर पे क्यूँ लगाते हैं?*

उसी समय शिवजी पार्वती जी को श्मशान ले गए। वहाँ एक शव अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। लोग *राम नाम सत्य है* कहते हुए शव को ला रहे थे।

शिव जी ने कहा कि देखो पार्वती ! इस श्मशान की ओर जब लोग आते हैं तो *राम* नाम का स्मरण करते हुए आते हैं। और इस शव के निमित्त से कई लोगों के मुख से मेरा अतिप्रिय दिव्य *राम* नाम निकलता है उसी को सुनने मैं श्मशान में आता हूँ, और इतने लोगों के मुख से *राम* नाम का जप करवाने में निमित्त बनने वाले इस शव का मैं सम्मान करता हूँ, प्रणाम करता हूँ, और अग्नि में जलने के बाद उसकी भस्म को अपने शरीर पर लगा लेता हूँ।

*राम* नाम बुलवाने वाले के प्रति मुझे अगाध प्रेम रहता है।

एक बार शिवजी कैलाश पर पहुंचे और पार्वती जी से भोजन माँगा। पार्वती जी विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थीं। पार्वती जी ने कहा अभी पाठ पूरा नही हुआ, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए।

शिव जी ने कहा कि इसमें तो समय और श्रम दोनों लगेंगे। संत लोग जिस तरह से सहस्र नाम को छोटा कर लेते हैं और नित्य जपते हैं वैसा उपाय कर लो।

पार्वती जी ने पूछा वो उपाय कैसे करते हैं? मैं सुनना चाहती हूँ।

शिव जी ने बताया, केवल एक बार *राम* कह लो तुम्हें सहस्र नाम, भगवान के एक हज़ार नाम लेने का फल मिल जाएगा।

एक *राम* नाम हज़ार दिव्य नामों के समान है।

पार्वती जी ने वैसा ही किया।

पार्वत्युवाच –
*केनोपायेन लघुना विष्णोर्नाम सहस्रकं?*
*पठ्यते पण्डितैर्नित्यम् श्रोतुमिच्छाम्यहं प्रभो।।*

ईश्वर उवाच-
*श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे।*
*सहस्र नाम तत्तुल्यम राम नाम वरानने।।*

यह *राम* नाम सभी आपदाओं को हरने वाला, सभी सम्पदाओं को देने वाला दाता है, सारे संसार को विश्राम/शान्ति प्रदान करने वाला है। इसीलिए मैं इसे बार बार प्रणाम करता हूँ।

*आपदामपहर्तारम् दातारम् सर्वसंपदाम्।*
*लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो भूयो नमयहम्।*

भव सागर के सभी समस्याओं और दुःख के बीजों को भूंज के रख देनेवाला/समूल नष्ट कर देने वाला, सुख संपत्तियों को अर्जित करने वाला, यम दूतों को खदेड़ने/भगाने वाला केवल *राम* नाम का गर्जन(जप) है।

*भर्जनम् भव बीजानाम्, अर्जनम् सुख सम्पदाम्।*
*तर्जनम् यम दूतानाम्, राम रामेति गर्जनम्।*

प्रयास पूर्वक स्वयम् भी *राम* नाम जपते रहना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करके *राम* नाम जपवाना चाहिए। इस से अपना और दूसरों का तुरन्त कल्याण हो जाता है। यही सबसे सुलभ और अचूक उपाय है।

इसीलिए हमारे देश में प्रणाम–
*राम राम* कहकर किया जाता है।

*जय श्री राम*

*ऐसा क्यों (Why) ??? विचार कीजियेगा ????

जिसकी आँखों में नींद है …. उसके पास अच्छा बिस्तर नहीं …जिसके पास अच्छा बिस्तर है …….उसकी आँखों में नींद नहीं ….

जिसके मन में दया है ….उसके पास खर्च करने के लिए धन नहीं ….जिसके पास खर्च करने के लिए धन है ….उसके मन में दया नहीं ….

जिन्हे कद्र है रिश्तों की … उन से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता.... जिनसे रिश्ता रखना चाहते हैं ….उन्हें कद्र नहीं है रिश्तों की ….

जिसको भूख है ………उसके पास खाने के लिए भोजन नहीं….जिसके पास खाने के लिए भोजन है ………उसको भूख नहीं…

कोई अपनों के लिए…. रोटी छोड़ देता है…कोई रोटी के लिए….. अपनों को छोड़ देता है….

ये दुनिया भी कितनी निराली है, कभी वक्त मिले तो सोचना..

                            

गुरुवार, 15 मार्च 2018

*दही में नमक डाल कर न खाऐं*

कभी भी आप दही को नमक के साथ मत खाईये। दही को अगर खाना ही है, तो हमेशा दही को मीठी चीज़ों के साथ खाना चाहिए, जैसे कि गुड के साथ, बूरे के साथ आदि।

इस क्रिया को और बेहतर से समझने के लिए आपको बाज़ार जाकर किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना है, और वहां से आपको एक लेंस खरीदना है, अब अगर आप दही में इस लेंस से देखेंगे तो आपको छोटे-छोटे हजारों बैक्टीरिया नज़र आएंगे।

ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर-उधर चलते फिरते नजर आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जाने चाहिए, क्योंकि जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेस अच्छे से चलता है।

*हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए खाते हैं।*

दही को आयुर्वेद की भाषा में जीवाणुओं का घर माना जाता है, अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों जीवाणु नजर आएंगे।

अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होंगे।

*वहीं अगर आप दही में एक चुटकी नमक भी मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे* और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी जो कि किसी काम नहीं आएगी।

अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे क्योंकि नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन है।

आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि जीवाणुओं को बढाये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे।

दही को गुड़ के साथ खाईये, गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं थोड़ी देर गुड मिला कर रख दीजिए।

बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है।

मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी।

सुना है कि भगवान कृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे।

पुराने जमाने में लोग अक्सर दही में गुड़ या मिश्री डाल कर दिया करते थे।

*बहुत सुंदर कथा ..*

*एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..।*

*वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।*

*एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"*

*दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा..*

*वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता - "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"*

*वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की-"कितना अजीब व्यक्ति है,एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"*

*एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली-"मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।"*

*और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।*

*हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..।*

*इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।*

*हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।*

*ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..।*

*वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।*

*जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।*

*लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"*

*जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..।*

*उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?*

*और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था-*
*जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा,और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।।*

              *" निष्कर्ष "*
           ==========
*हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।*