शनिवार, 3 मार्च 2018

मित्रता क्यों और कैसी होना चाहिए:- पहले मित्र बनते थे सुख-दुःख में साथ देते थे।
एक दूसरे की मदद करते थे।एक दूसरे के काम आते थे। आपस मे किसी भी तरह का मनमुटाव नही होता था न ही ईर्ष्या की भावना होती थी। एक दूसरे की भावना की कद्र किया करते थे।
दोस्तों को आपस मे अभिमान नाम मात्र को भी नही होता था।अमीरी गरीबी,जात पात कोसों दूर रहती थी। परन्तु आजकल ठीक इसके विपरीत देखने मे आ रहा है। अब आजकल के युवा अपने से ज्यादा रसूखदार को दोस्त बनाना चाहता है वो अपने मित्र का फेमिली बेक ग्राउंड भी देखने लगे है साथ मे सामने वाले का स्टेन्डर्ड कैसा है हमसे ऊंचा है तो दोस्ती भी लम्बे समय तक टिक सकती है।
पहले इन सब बातों को गौर नही किया जाता था किंतु जमाने के साथ साथ दोस्ती में भी बदलाव देखने मे आता जा रहा है।लोग अपने से ऊपर वाले कि ही ज्यादातर कद्र करते है। अब दोस्ती के सही मायने मतलबी होते जा रहे है। इसका समाज मे भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है,समय के साथ साथ बड़ा बदलाव होता जा रहा है जो अविश्वनीय किन्तु सत्य बात है..

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