गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

जयमातादी
माँ तुम आओ सिंह की सवार बन कर !  
 माँ तुम आओ रंगो की फुहार बनकर !      
माँ तुम आओ पुष्पों की बहार बनकर !

माँ तुम आओ सुहागन का श्रृंगार बनकर ! 
  माँ तुम आओ खुशीयाँ अपार बनकर !   
   माँ तुम आओ रसोई में प्रसाद बनकर !
  माँ तुम आओ रिश्तो में प्यार बनकर !  
 माँ तुम आओ बच्चो का दुलार बनकर !     
 माँ तुम आओ व्यापार में लाभ बनकर ! 

माँ तुम आओ समाज में संस्कार बनकर !  
 माँ तुम आओ सिर्फ तुम आओ,      
क्योंकि तुम्हारे आने से ये सारे सुख   
 खुद ही चले आयेगें तुम्हारे दास बनकार !
।।जय माता की।।

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