मैया जिसको जल दे दे वो पौधा संदल बन जाता है
मैया के चरणो को छू करके पानी भी गंगाजल बन जाता है
हिमगिरि जैसी ऊँचाई है सागर जैसी गहराई है
दुनिया मे जितनी खुश्बू है वो माँ के आँचल से आई है
मैया हरी दूब है धरती की मैया केसर क्यारी की
मैया की उपमा केवल मैया है मैया हर घर की फुलवारी है
पेड पौधे लहलहाते है तो मैया मेरी मुस्काती है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर भी मैया को शीश झुकाता है
हर घर मे मैया की पूजा हो एेसा संकल्प उठाती हूँ
हर परिवार पेड़ लगाए दस बस यहि हमारा नारा हो
हर घर मे बस मैया मैया का जयकारा हो
जय जय कुलदेवी मात शाकम्भरी की जय
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