रविवार, 24 अप्रैल 2016

मैया जिसको जल दे दे वो पौधा संदल बन जाता है मैया के चरणो को छू करके पानी भी गंगाजल बन जाता है हिमगिरि जैसी ऊँचाई है सागर जैसी गहराई है दुनिया मे जितनी खुश्बू है वो माँ के आँचल से आई है मैया हरी दूब है धरती की मैया केसर क्यारी की मैया की उपमा केवल मैया है मैया हर घर की फुलवारी है पेड पौधे लहलहाते है तो मैया मेरी मुस्काती है देखो तो दूर क्षितिज अंबर भी मैया को शीश झुकाता है हर घर मे मैया की पूजा हो एेसा संकल्प उठाती हूँ हर परिवार पेड़ लगाए दस बस यहि हमारा नारा हो हर घर मे बस मैया मैया का जयकारा हो जय जय कुलदेवी मात शाकम्भरी की जय

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