शनिवार, 23 अप्रैल 2016

Very lovely lines by Shri Harivansh Rai Bachchan ..बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले .धनवान दोस्त ने उसकी आलिशान गाड़ी पार्क की औरगरीब मित्र से बोला चल इस गार्डन में बेठकर बात करते है .चलते चलते अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहातेरे में और मेरे में बहुत फर्क है .हम दोनों साथ में पढ़े साथ में बड़े हुएमै कहा पहुच गया और तू कहा रह गया ?चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया .अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?गरीब दोस्त ने कहा तुझे कुछ आवाज सुनाई दी?अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पांच का सिक्का उठाकर बोलाये तो मेरी जेब से गिरा पांच के सिक्के की आवाज़ थी।गरीब दोस्त एक कांटे के छोटे से पोधे की तरफ गयाजिसमे एक तितली पंख फडफडा रही थी .गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकला औरआकाश में आज़ाद कर दिया .अमीर दोस्त ने आतुरता से पुछातुझे तितली की आवाज़ केसे सुनाई दी?गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा" तेरे में और मुझ में यही फर्क हैतुझे "धन" की सुनाई दी और मुझे "मन" की आवाज़ सुनाई दी ."यही सच है ".इतनी ऊँचाई न देना प्रभु कि,धरती पराई लगने लगे lइतनी खुशियाँ भी न देना कि,दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका,निर्बल पर प्रयोग करूँ lनहीं चाहिए ऐसा भाव कि,किसी को देख जल-जल मरूँऐसा ज्ञान मुझे न देना,अभिमान जिसका होने लगे Iऐसी चतुराई भी न देना जो,लोगों को छलने लगे ।: खवाहिश  नही  मुझे  मशहूर  होने  की।आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।क्यों  की  जिसकी  जितनी  जरुरत  थी  उसने उतना  हीपहचाना  मुझे।ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है, शामें  कटती  नहीं, और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी, जीत  जाओ  तो  कई अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,और  हार  जाओ  तो  अपने ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।

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