एक पान वाला है, जब भी पान खाने जाओं ऐसा लगता है कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता है, कई बार उसे कहा की भाई देर हो जाती है जल्दी पान लगा दिया करों पर उसकी बात ख़त्म ही नही होतीं।एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई तक़दीर और तदबीर की, मैंने सोचा आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते है।मेरा सवाल था आदमीं मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से, उसके दिये जवाब से मेरे दिमाग़ के जाले साफ़ ही गए, कहने लगा आपका किसी बैंक में लाकर तो होगा उसकी चाबियाँ भी होगी, इस सवाल का जवाब है, हर लाकर की दो चाबियाँ होती है एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास अपने पास जो चाबी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य जब तक दोनों नहीं लगती ताला नही खुल सकता।आप करम योगी पुरुष है और मैनेजर भगवान,अपन को अपनी चाबी लगाते रहना चाहिये, पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाबी लगा दे और कही ऐसा न हो की भगवान अपनी भाग्यवाली चाबी लगा रहा हो ,हम परिश्रम वाली चाबी लगा ही ना पाये और ताला खुलने से रह जाये।।
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