बुधवार, 6 अप्रैल 2016

घर मै फ्रिज है घर मै टीबी शौच को बाहर जाती बीवी।
सौ बिघा है घर मै खेती  बाहर शौच को जाती बेटी।
घर बनवाया कितना सुन्दर शौचालय ना घर के अन्दर।
लाखो के पहने है गहने बाहर शौच को जाती बहने।
घर मै बहू करे मर्यादा बाहर बदन दिखाये आधा।
शौचालय है शान हमारी छुमन्तर होती बिमारी।
गाँव गाँव की हालत ऐसी बीच सड़क पर बेटी बैठी।
गाँव मै जब होता अंधियारा
महिला देखे सड़ककिनारा।
शौचालय बन वालो भईया सरकार दे रही खूब रूपैया
 
बाहर नही सोच को जाना
शौचालय अपना बनवाना 
बाहर शौच काम है गंधा बंद करो ये मिलकर धंधा।
करते काम सभी ये खोटा जाओ ना बाहर लेकर लोटा 
अपनी इज्जत आप बचाओ नही शौच को बाहर जाओ।
बाहर शौच है सोच पुरानी बदल के लिख दो नई कहानी 
केसे रेप केस हो जाते है पल मै इज्जत धो जाते है।
रहन सहन घर का सब बदला
बाहर शौच ना जाना बदला।
नई रजाई नया है गदा बदला नही शौच का अडा। 
बहू ब्याह कर घर मै लाये पर शौचालय ना बनाये।
 
सोच अभी है बही पुरानी बाहर शौच को जाये बहू रानी 
बैठी बीच सड़क पर चाची आया कोई उठी हगासी। 
घर मै आई नई फटफटिया शौच को जाती बाहर बिटिया।
शौचालय है बहुत जरूरी पंचायत देती है मंजूरी। 
शौचालय तुम खुद बनवाओ
बारह हजार रूपये पाओ।
बारह हजार की मिलती राशी
फौरन खाते मै आ जाती। 
पंचायत को आपका देना खाता रूपया बैंक मै है आता। 
नही बीच मै कोई दलाल छीन ना पाये कोई आपका माल।
सबको शौक पडी है गहनों की।बाहर ईज्जत जाये बहनों की।
घर की इज्जत बाहर न जाये घर में जल्द ही शौचालय बनवाये।।

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