मंगलवार, 14 जून 2016

झाँक रहे है इधर उधर सब। अपने अंदर झांकें कौन ? ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां। अपने मन में ताके कौन ? सबके भीतर दर्द छुपा है। उसको अब ललकारे कौन ? दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते । खुद को आज सुधारे कौन? पर उपदेश कुशल बहुतेरे । खुद पर आज विचारे कौन? हम सुधरें तो जग सुधरेगा यह सीधी बात उतारे कौन?


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