मंगलवार, 7 जून 2016

"सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो !प्रसाद लेना है तो, स्वाद मत देखो !सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो !बिनती करनी है तो, स्वार्थ मतदेखो !समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो !रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!"जीत" किसके लिए, हार' किसके लिए,'ज़िंदगी भर' ये 'तकरार' किसके लिए..जो भी 'आया' है वो 'जायेगा' एक दिन यहाँ से,फिर ये इंसान को इतना "अहंकार" किसके लिए..

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