शुक्रवार, 10 जून 2016

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है ....परन्तु अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है ।उस अवस्था में उसके शरीर के3 प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं .....पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है, तथा शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं ।चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है,और भोजन में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है ।पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से चिपकने के कारण पूर्णरूप से खुल नहीं पाते हैं, उड़ान को सीमित कर देते हैं ।भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना,और भोजन खाना .. तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं ।उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं....1. देह त्याग दे,2. अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे !!3. या फिर "स्वयं को पुनर्स्थापित करे" !!आकाश के निर्द्वन्द एकाधिपति के रूप में.जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं, अंत में बचता है तीसरा लम्बा और अत्यन्त पीड़ादायी रास्ता ।बाज चुनता है तीसरा रास्ता ..और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है ।वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है ..और तब स्वयं को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ करता है !!सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है,चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं है पक्षीराज के लिये !और वह प्रतीक्षा करता हैचोंच के पुनः उग आने का ।उसके बाद वह अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है,और प्रतीक्षा करता है ..पंजों के पुनः उग आने का ।नयी चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक-एक कर नोंच कर निकालता है !और प्रतीक्षा करता है ..पंखों के पुनः उग आने का ।150 दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा के बाद ...मिलती है वही भव्य और ऊँची उड़ान पहले जैसी....इस पुनर्स्थापना के बादवह 30 साल और जीता है ....ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ ।इसी प्रकार इच्छा, सक्रियता और कल्पना, तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं हम इंसानों में भी !हमें भी भूतकाल में जकड़ेअस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी ।150 दिन न सही.....60 दिन ही बिताया जायेस्वयं को पुनर्स्थापित करने में !जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने औरनोंचने में पीड़ा तो होगी ही !!और फिर जब बाज की तरह उड़ानें भरने को तैयार होंगे ..इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी,अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी ।हर दिन कुछ चिंतन किया जाएऔर आप ही वो व्यक्ति हेजो खुद को दुसरो से बेहतर जानते है ।सिर्फ इतना निवेदन की निष्पक्षता के साथ छोटी-छोटी शुरुवात करें परिवर्तन करने की ।विचार कर जीवन में आत्मसात कर लेने वाला है यह संदेश....."*AlwayS be Positive & Progressive..

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