मंगलवार, 21 जून 2016

गेहूं ,चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लें ! इस दलिये में अजवायन २० ग्राम तथा सफ़ेद तिल ५० ग्राम भी मिला दें ! ५० ग्राम दलिये को ४०० मि.ली.पानी में पकाएं ! स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें ! नियमित रूप से एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है.
* अश्वगंधा के एक पत्ते को हाथ से मसलकर गोली बनाकर प्रतिदिन सुबह,दोपहर,शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लें ! एक सप्ताह के नियमित सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो वजन कम किया जा सकता है !
* मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है .
* आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी व्यंजनों का सेवन एक माह तक बिलकुल बंद रखें तथा इसमें रोटी भी शामिल है अब अपना पेट पहले के ४-६ दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें और दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल ,अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं तथा सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लें . सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़ कर खाएं बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए . इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं . इस प्रकार ६-७ दिन तक खाते रहें . इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें फिर ५ किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें ! ६-७ दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें .एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं लेकिन शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ . भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां करें …
* एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसको छानकर एक एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से मोटापा दूर होता है ..
* चित्रक कि जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर किया जा सकता है .
* बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
* सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
* अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
* भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
* 120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
* विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।
* तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है। तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।तथा तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
* रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें। त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
* हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
* सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
* सोंठ, 

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