बुधवार, 8 जून 2016

चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने अपनी पत्नी से कहाहमारे ज़माने में मोबाइल नही थे…!पत्नी :पर ठीक पाँच बजकर पचपन मिनीट पर में पानी का ग्लास लेकर दरवाज़े पे आती और आप आ पहुँचते। पति :हाँ मैंने तीस साल नौकरी की पर आज तक में समज नही पाया की में आता इसलिए तुम पानी लाती। यातुम पानी लेकर आती इसलिये में आता थाहाँ…ओर याद है तुम्हारे रीटायर होनेसे पहेले जब तुम्हें डायबीटीज़ नही था ओर में तुम्हारी मनपसंद खीर बनाती तब तुम कहेते की आज दोपहर में ही ख़याल आया की खीर खाने मिल जाए तो मज़ा आ जाए। हाँ .…सच मे…ओफीस से नीकलते वक़्त जो सोचता घर पर आकर देखता हु की वही तुमने बनाया है आैर तुम्हें याद है जब पहेली डीलीवरी के वक़्त में मैके गइ थी ओर जब दर्द शुरु हुआ मुझे लगा काश तुम मेरे पास होते…और घंटे भर मे तो जैसे कोइ ख़्वाब हो तुम मेरे पास थे। पति :हाँ …उस दिन युहि ख़याल आया की जरा देखलु तुम्हें पत्नी :और जब तुम मेरी आँखों मे आँखें डाल कर कविता की दो लाइनें बोलते……पति:हाँ और तुम शर्मा के पलके झुका देतीऔर मैं उसे कविता की 'लाइक' समझतापत्नी:और हाँ जब दोपहर को चाय बनाते वक़्त मे थोड़ा जल गइ थीऔर उसी शाम तुम बर्नोल की ट्युब अपनी देब से निकालकर बोले इसे अलमारि मे रख दो। पति :हाँ …पिछले दिन ही मैंने देखा था ट्युब ख़त्म हो गइ है पता नही कब जरुरत पड़ जाए ये सोचकर मैं ले आया थापत्नी:तुम कहेते आज ओफीस के बाद तुम वही आ जाना सिनेमा देखेंगे और खाना भी बाहर खा लेंगे …पति:और जब तुम आती तो जो मैंने सोच रखा हो तुम वही साड़ी पहन कर आती। फिर नज़दीक जा कर उसका हाथ थाम कर कहा हाँ हमारे समय मे मोबाइल नही थापर…              "हम दोनों थे। "आज बेटा और उसकी बहु साथ तो होते है पर…बातें नही व्होटस् एप होता हैलगाव नही    टेग  होता हैकेमिस्टृी नही  कोमेन्ट होता हैलव नही       लाइक होता हैमिठी नोकझोक नही   अनफ्रेन्ड होता हैउन्हें बच्चै नही केन्डीक्रश, सागा,टेम्पल रन और सबवे होता है…………छोड़ो ये सब बातें हम अब वायब्रंट मोड़ पे है हमारी बेटरी भी १ लाईन पे है……अरे..!!कहाँ  चली ..?चाय बनाने …अरे  मैं कहेने ही वाला था की चाय बना दो ना। पता है मैं अभी भी कवरेज मे हु …और मेसेज भी आते है। दोनों हंस पड़े हाँ हमारे ज़माने मे मोबाइल नही थे……

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