शनिवार, 25 जून 2016

चीनी चीजो का बहिस्कार करो ...।

चिड़िया जैसी आँखों में फिर भारत खटक गया ,
इसीलए एन एस जी में दाखिल होते होते अटक गया ।
उसने हमारे स्वाभिमान से उठते सर को देख लिया ,
साफ़ साफ़ चीनी आँखों में हमने डर को देख लिया ।
मालुम है उसको अब ये विश्व विजयी रथ नहीं रुक पायेगा ,
नेहरू को तो झुका लिया , पर मोदी का सर ना झुक पायेगा ।
एक तिहाई दुनिया खड़ी है जब भारत माँ के अभिनंदन में ,
तुझ जैसे साँपों से कोई फर्क नहीं खुद्दारी के चन्दन में ।
जिद पर अड़ा है तो हम जिद का गुब्बारा फोड़ भी सकते है ,
अब पैसठ वाली बात नहीं हम चीनी दिवार तोड़ भी सकते है ।
हमने आँख उठाई तो ड्रेगन तुम बिना जहर के हो जाओगे ,
तुम्हारा सामान बेचना बंद किया तो दर दर के हो जाओगे ।
तुम्हारी अर्थव्यवस्था में कमाई है हमारे खून पसीने की ,
हमने प्रतिबन्ध लगा दिया तो भीख मांगोगे जीवन जीने की ।
और भारत में भी जो जीत ढूंढ रहे मोदी की इस हार में ,
उनको प्लाट दिलवादो बीजिंग के मछली बाजार में ।
डूब मरो विपक्ष वालो मत अट्टहास कर हाहाकार करो ,
भारत माँ की संतान हो तो चीनी चीजों का बहिस्कार करो ।

1 टिप्पणी:

  1. 'अकेलापन' इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है.!
    और 'एकांत'
    इस संसार में सबसे बड़ा वरदान.!!

    ये दो समानार्थी दिखने वाले
    शब्दों के अर्थ में
    . आकाश पाताल का अंतर है।

    अकेलेपन में छटपटाहट है
    तो एकांत में आराम है।

    अकेलेपन में घबराहट है
    तो एकांत में शांति।

    जब तक हमारी नज़र
    बाहरकी ओर है तब तक हम.
    अकेलापन महसूस करते हैं
    और
    जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
    तो एकांत अनुभव होने लगता है।

    ये जीवन और कुछ नहीं
    वस्तुतः
    अकेलेपन से एकांत की ओर
    एक यात्रा ही है.!!

    ऐसी यात्रा जिसमें
    रास्ता भी हम हैं, राही भी हम हैं
    और मंज़िल भी हम ही हैं.!!


    🙏प्रसन्न रहिए,अपना ख्याल रखिए🙏

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