गुरुवार, 23 जून 2016

कल तक उड़ती थी चेहरे पर**
आज पैरों से लिपट गयी**
चन्द बूँदें क्या बरसीं बरसात की**
धूल की फ़ितरत ही बदल गयी****
***स्वागत मानसून***☔☔🙏🏻🙏🏻

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