कल तक उड़ती थी चेहरे पर**
आज पैरों से लिपट गयी**
चन्द बूँदें क्या बरसीं बरसात की**
धूल की फ़ितरत ही बदल गयी****
***स्वागत मानसून***☔☔🙏🏻🙏🏻
आज पैरों से लिपट गयी**
चन्द बूँदें क्या बरसीं बरसात की**
धूल की फ़ितरत ही बदल गयी****
***स्वागत मानसून***☔☔🙏🏻🙏🏻
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें