रविवार, 12 जून 2016

नीलगाय से जुडे कुछ तथ्य आपके सामने रखना चाहते है, एक बार ईण्डोनेसिया में भी हमारे यहा जैसी समस्या आगई थी, निलगायों के मारने पर प्रतिवंद होने के कारण, ईण्डोनेसिया में निलगायो कि संख्या काफि बढ गई थी! किसानों को काफ़ी नुकशान होने लगा, यहां तक कि शहरों में भी निलगायो का प्रकोप बढने लगा, फिर भी सरकार मारना नहि चाहाति थी ! एक दिन किसी संस्था ने सरकार को सुझाव दिया, कि इन निलगायों का सदुपियोग हो सक्ता है! क्यो कि निलगाय के दूध में ज्यादा पौष्टिकता होती है! दूध भी ज्यादा होता है! साथ ही बैलो के काम भी आसकता है! क्यूँकि उनमे ताकत ज्यादा होती है! सो वे किशाने के ज्यादा फ़ायदेमंद भी हो सक्ते है! इसे उपयोग में लेने के कायदे, कुछ निलगाय को सरकार कि या किसि संस्था कि देखरेख में पालतू बनाया जाय, पालतू का अर्थ है उंन्हे पहले गौशाला में रखा जाय, उनके जो बच्चे होंगे वे इन्सानो के संपर्क में होंगे, और वे आसानी से पालतू होंगे और उसके बाद, इच्छुक लोगो को दे दिया जाय ! सरकार ने इस विषय को गम्भीरता से लिया और बहुत ही सकारात्मक परिणाम उभार कर आए, आज वहां निलगाय कि कोई समश्या हि नही! निलगाय भी साधारण गाय कि ही तरह उपयोग में आती है! अब वहा लोगो में निलगाय के प्रति ज्यादा प्रेम देखा गया है! क्यूँकि यह साधारण बैल के मुकाबले ज्यादा मेहनत कर सकता है, निलगाय के दुध में पौष्टिकता कि कोई कमी नही! दूध भी अधिक होता है! और जर्सी गाय कि तरह हानिकारक भी नही होता!अतः महोदय से आग्रह है, आप के प्रयाश से अगर हमारे यहां भी ऐसा होना संभव हो जाय तो! एक तो निर्दोस जानवरों कि जिस प्रकार निर्मम हत्या हो रही है, वह बंद हो जायेगि साथ ही गरीब किशनों को लाभ मिलाने लगेगा!

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