शुक्रवार, 10 जून 2016

Z.संत बुल्लेशाह एक बार बाज़ार से गुजर रहे थे ! वहां बड़ी भीड़ थी ;उन्हें लगा कि यहां इतने सारे लोग हैं लेकिन ये तो प्रभु के बारे में जानते ही नहीं !सब लोग अपनी-अपनी मौज में लगे हैं ;किसी तरीके से इन लोगों को समझ में आना चाहिये कि वे प्रभु की संतान हैं !वहां बाज़ार में उन्हें एक सुनार की दुकान दिखाई पड़ी !उन्होंने सुनार से जा कर कहा कि मुझे अल्लाह के लिए अंगूठी चाहिये !सुनार ने कहा -बना दूंगा पर उसका नाप क्या होगा ? बुल्लेशाह जी ने कहा -अल्लाह की उंगली की नाप की बना दो !सुनार ने पूछा कि अल्लाह की उंगली कहां है ?तो उन्होंने अपनी उंगली उसकी ओर करते हुए कहा कि इस नाप की बना दो !सुनार ने कहा -पागल है ?तू कोई अल्लाह है ?बुल्लेशाह जी ने कहा -नहीं यह जो उंगली है यह अल्लाह की उंगली है !सुनार ने सोचा कि यह तो सचमुच ही पागल हो गया है ;अपने आप को खुदा समझने लगा है !उसने मौलवी को बुलाकर कहा कि यह अपने आप को अल्लाह कहता है !तब मौलवी ने बुल्लेशाह जी से पूछा कि क्या यह खुदा की उँगली है !तो उन्होंने कहा कि हाँ यह खुदा की उंगली है !मौलवी ने कहा कि यह तो तेरी उगुली है !उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं यह खुदा की उंगली है !मौलवी ने कहा कि यह काफिर हो गया है अपने आपको खुदा कहता है और उनके लिये मौत की सजा का ऐलान कर दिया !बुल्लेशाह जी अपनी मस्ती में थे !जब उन्हें पकड़कर ले जाया जा रहा था तो चारों तरफ हाहाकार मच गया !सब लोग मस्जिद की ओर भागने लगे कि देखें तो सही इसके साथ क्या होता है !थोड़ी देर में वहां बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई !जब बुल्लेशाह जी मस्ती की हालत से कुछ बाहर निकले तो देखा कि वे तो मस्जिद में हैं !उन्होंने मौलवी से पूछा कि आप मुझे कहां ले लाये हो ?मौलवी ने कहा कि यह मस्जिद है खुदा का घर है !बुल्लेशाह जी ने पूछा -यहां इतनी भीड़ क्यों है ;ये सब लोग कौन हैं !मौलवी ने कहा -ये सब खुदा के बंदे हैं !तो बुल्लेशाह जी ने पूछा -मैं कौन हूँ ?मौलवी ने कहा -तुम भी खुदा के बंदे हो !तो बुल्लेशाह जी ने पूछा -फिर यह उँगली किसकी हुई ?यह भी तोb खुदा की ही हुई और इतना कहकर उन्होंने हंसना शुरू कर दिया !मौलवी का सिर शर्म से बुल्लेशाह जी के समक्ष झुक गया !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें